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छतरपुर

कहीं बांध से छोड़े गए पानी से तबाही, कहीं पानी न मिलने से सूखने लगी फसल

उत्तरप्रदेश के बांध से पानी छोडऩे पर हरपालपुर इलाके के तीन गांव की फसल हुई खराबचंदला इलाके में फसल के लिए दूसरी वार पानी से देने से जलसंसाधन विभाग ने खड़े किए हाथ

छतरपुरJan 15, 2019 / 07:23 pm

Dharmendra Singh

Water resources department has given standing water for the second time

Water resources department has given standing water for the second time

छतरपुर। सरकार द्वारा कर्जमाफी का मलहम लगने से पहले ही किसान नई मुसीबत में फंस गए हैं। अपनी जमा पूंजी के साथ ही कर्ज लेकर रबि फसल की बुआई करने वाले किसानों की मुश्किलें अभी से शुरु हो गई है। जिले में कहीं बांध के पानी की अधिकता तो कहीं पानी की कमी के कारण किसान की फसल चौपट हो रही है। जिले के हरपालपुर इलाके के तीन गांव में उत्तप्रदेश सरकार के अधीन पहाड़ी बांध से पानी छोडऩे के कारण खेत पानी में डूब गए हैं, किसानों की फसल के साथ ही उनकी लागत भी डूब गई है। वहीं चंदला इलाके में बरियारपुर से फसल के लिए दोबारा पानी नहीं मिलने से फसल सूखने लगीं हैं। जलसंसाधन विभाग ने भी बरियारपुर डेम में जलभराव कम होने के कारण इस साल दोबारा पानी देने से हाथ खड़े कर दिए हैं। यूं तो राज्य सरकार किसानों को सिंचाई सुविधाएं देने का दावा करती है, लेकिन सिंचाई सुविधाओं का असंतुलन ही किसानों की मुसीबत बन गया है।
चंदला इलाके में पानी नहीं मिलने से सूखे के हाताल
इस बार बरियारपुर बांध की बाई नहर से चंदला इलाके के किसानों को फसल के लिए पर्याप्त पानी नहीं मिल पा रहा है। चंदला इलाके के गौरिहार, सरबई सर्किल तक सिंचाई का पानी देने वाली बरियारपुर बाईं नहर से इस बार किसानों को फसल के लिए दूसरी बार पानी मिलने की संभावना नहीं है। इस इलाके में गेंहूं की खेती बहुतायत में होती है, जिसके लिए 4 से पांच बार पानी देने की जरुरत होती है। लेकिन नहर से 22 अक्टूबर 2018 को पानी छोडऩे के बाद दोबारा पानी नहीं छोड़ा गया है, जिससे इलाके के खेतों खड़ी फसल पानी की कमी के चलते सूखने लगी हैं। नहर से पानी नहीं मिलने से परेशान किसान कुओं में पंप लगाकर जैसे-तैसे फसल को बचाने की जुगत में लगे हुए हैं। चंदला इलाके के किसानों को पानी देने के लिए बरियारपुर बांध, कुटनी बांध और सिंहपुर बैराज बनाए गए थे। इन तीनों बांध से मिलने वाले पानी से इलाके के किसान गेंहूं और दलहन की खेती करते हैं। इस बार बारिश से बांधों का जलभराव कम होने से किसानों को सिर्फ एक बार ही पानी दिया गया है। बरियारपुर बांध में 32 एमसीएम पानी के अतिरिक्त पानी ही सिंचाई के लिए दिया जाता है। इसलिए इस बार किसानों को दूसरी बार भी पानी नहीं मिल पा रहा है। जबकि उन्हें कम से कम 4 से 5 बार फसल की सिंचाई की जरूरत है। वहीं दलहन के लिए 2 बार सिंचाई की जरुरत होती है। लेकिन बांध से पानी न मिलने के कारण सिंचाई नहीं हो पाने से किसानों की फसल सूखने लगी है। ऐसे में किसानों की लागत तक डूबने के हालात पैदा हो गए हैं। क्षेत्रों में नहरें तो आई लेकिन समय से पानी ना आने के कारण फसलें सूखने लगी है। तुरकनपुरवा निवासी शहजादे खान पिता कल्लू खान, जिलानी खान पिता सत्तार खान, मैनुद्दीन खान पिता शहजादे खान, अहमद खान पिता कल्लू खान, खुर्शीद आलम पिता स्व0अब्दुल रब सिद्दीकी, अब्दुल सत्तार पिता बाबू खान ,अब्दुल रशीद उर्फ रमजान खान पिता बाबू खान ने बताया कि, नहर टूटी-फूटी पड़ी हुई है। पानी नही छोडऩे से फसल सूखने लगी है। ग्राम कौथेहा निवासी लालसिंह पिता नन्हे सिंह, रामकिशोर पिता रामेश्वर सोनी आदि लोगों ने नहर में समय से पानी ना छोड़े जाने के कारण फसल सूखने की बात कही है। इतनी ही नहीं क्षेत्र में नीलगायों का आतंक हैं। जिसके चलते किसान रात-रात भर खेतों की रखवाली करते हैं। लेकिन पानी न मिलने और नीलगाय के कारण किसान की फसल बर्बाद हो रही है।
हरपालपुर इलाके के गावों में पानी में डूब गए खेत
हरपालपुर इलाके के तीन गांव सरसेड़, कैथौकर और चपरन, धसान नदी पर पहाड़ी बंधा से लगे हुए हैं। उत्तरप्रदेश सरकार के अधीन पहाड़ी बांध से रविवार को अचानक पानी छोड़ दिया गया। जिससे तीनों गांव के ऐसे किसान जो नदी किनारे खेती कर रहे हैं, उनकी फसल पानी में डूब गई। इस इलाके के किसानों ने नदी किनारे के इलाके में तरबूज की फसल बोई थी, जो पानी भरने से डूब गई है। हालात ये है, कि किसानों को अपने खेतों तक पहुंचने के लिए नाव का सहारा लेना पड़ रहा है। पहाड़ी बांध की उंचाई दो साल पहले बढ़ाने के बाद से बांध का जलस्तर बढऩे से पिछले दो साल से नदी और सहायक नालों का जलस्तर भी बढ़ जाता है, इससे कैथोकर, सरसेड़ और चपरन के किसानों के खेतों में पानी भर जाने से 2 साल से फसल बर्बाद हो जा रही है। बांध से पानी छोड़े जाने के कारण खरीफ की फसल पहले ही बर्बाद हो चुकी है और अब रबि की फसल में नदी किनारे के खेत पानी में डूबने से किसान मुसीबत में पड़ गए हैं। राजस्व विभाग के कर्मचारी कहते हैं, कि नदी किनारे खेतों में जहां पानी भर गया है, वो राजस्व की जमीन नहीं है, बल्कि नदी का डूब क्षेत्र है। ऐसे में सवाल ये उठता है कि, तरबूज की खेती किसान नदी किनारे ही दशकों से करते आ रहे हैं। लेकिन कभी बांध से पानी छोडऩे के कारण इनकी फसल खराब नहीं हुई, ऐसा सिर्फ पिछले दो साल से हो रहा है. कि किसान की खरीफ और रबि की फसल खराब हो जा रही है। उत्तरप्रदेश सरकार के जलसंसाधन विभाग और छतरपुर जिले के जिला प्रशासन के बीच तालमेल न होने का खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है।
पानी की कमी है
किसानों को पहले से ही कहा गया था कि इस बार बारिश कम होने से बांध का जलभराव कम हुआ है, इसलिए चंदला इलाके में ऐसी फसल बोई जाएं जिनमें कम से कम पानी लगता हो। बांध में उपलब्ध पानी से एक बार सिंचाई के लिए पानी दे दिया गया था, लेकिन अब दूसरी बार पानी देने की स्थिति नहीं है।
आइबी नायक, कार्यपालन यंत्री, जल संसाधन विभाग
बांध के पानी से नदी किनारे के किसानों की फसल डूबने की जानकारी मिली है। उत्तरप्रदेश के अधिकारियों से बात करके पानी का स्तर कम करवाने की पहल की जा रही है। कलेक्टर साहब भी अपने स्तर पर महोबा के जिलाधीश से बात कर चुके हैं। किसानों की समस्या को गंभीरता से लिया जा रहा है। प्रशासन नुकसान का सर्वे भी कराएगा।
बीबी गंगेले, एसडीएम नौगांव

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