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छतरपुर

पिता के कारण बेटियों ने महसूस किया गर्व

पिता की प्यारी बेटियों ने उनके कार्य स्थलों पर जाकर देखा कि उनके पापा कितनी मेहनत करते हैं। वे पिता के काम में कुछ देर के लिए ही सही लेकिन हाथ बंटाकर बहुत खुश थी। उन्हें यह भी अहसास हुआ कि उनके पिता सुबह से शाम तक कितना कठिन परिश्रम करते हैं। इसी परिश्रम से वे परिवार को पालते हैं और समाज में अपनी पहचान भी बनाई है।

छतरपुरSep 19, 2019 / 08:10 pm

Dharmendra Singh

bitiya @ work

bitiya @ work

1.
ऑफिस- जन कार्यालय
बिटिया का नाम- राजनंदिनी सिंह
पिता का नाम- पुष्पेन्द्र प्रताप सिंह(राजनेता)
पापा मुझे भी दिखाइए आप क्या काम करते हैं, कैसे करते है? पापा ने मुझे एक फाइल दिखाई और बताया कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए कार्ययोजना कैसे बनाई जाती है। इसके लिए किन बातों का ध्यान रखा जाता है। पापा का काम मुझे कुछ कुछ समझ आ रहा है। मैं भी पापा की तरह जनसेवा का कार्य करुंगी।–राजनंदिनी सिंह







2.
ऑफिस- मेडिकल कंपनी
बिटिया का नाम- हर्षिता खरे
पिता का नाम- प्रातुल खरे(मेडिकल रिप्रजेन्टेटिव)
– पापा मेडिकल कंपनी में रीप्रजेन्टेटिव हैं। बीमारियों की दवाएं मेडिकल स्टोर के जरिए लोगों तक पहुंचाने का काम करते हैं। मेडिकल पेशा होने के कारण पापा बिजी रहते हैं, लेकिन लोगों की बीमारी दूर करते हैं, तो खुशी होती है। मैं भी पापा की तरह मेडिकल फील्ड में काम करके लोगों के कष्ट दूर करने का काम करुंगी।—हर्षिता खरे
३.
ऑफिस-
बिटिया का नाम- काम्या, कंगना
मां का नाम- नीलम पांडेय (समाजसेवी)
महात्मा गांधी के जीवन से प्रेरित होकर मेरी मां समाज सेवा करती है। मां ने हमें भी गांधी जी की जीवनी पढ़ाई, इसके साथ ही देश के बड़े-बड़े समाजसेवियों के जीवन के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि समाज सेवा सही मायने में क्या है। समाजसेवा करने का मकसद दिखाना नहीं, सिर्फ करना होता है। मैं भी मां की तरह समाजसेवा से जुडूंगी। —कंगना
4.
ऑफिस-डीपीएस स्कूल
बिटिया का नाम- आर्ची तिवारी
मां का नाम- प्रीति तिवारी(शिक्षक)
मेरी मां शिक्षक है, स्कूल में बच्चों को पढाती हैं। बच्चों को अच्छे संस्कार सिखाती हैं, मुझे भी मां संस्कार और शिक्षा का ज्ञान दे रही हैं। मां के प्रति बच्चे आदर का भाव रखते हैं, उन्हें समाज में भी सम्मान मिलता है। ये देखकर मुझे भी खुशी होती है। मैं भी बड़ी होकर मां की तरह शिक्षक बनूंगी—आर्ची तिवारी
5.ऑफिस-प्रधान डाकघर
बिटिया का नाम- संस्कृति चौहान
पिता का नाम-मनोज कुमार सिंह चौहान(सब पोस्ट मास्टर)
आज मैं पापा के ऑफिस गई, मैं अबतक समझती थी कि डाकघर में पत्र और रजिस्ट्री का काम होता है। लेकिन मैने वहां देखा कि पत्र, रजिस्ट्री, आरडी-बचत खाता, किसान विकास पत्र, राष्ट्रीय बचत पत्र जैसे कई काम एक साथ किए जा रहे हैं। मैने देखा कि पापा किस तरह से इतने सारे लोगों को समझाते, योजनाओं की जानकारी देते हुए काम करते हैं। मुझे बहुत खुशी हुई। –संस्कृति चौहान

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