जटाशंकर में उमड़े एक लाख श्रद्धालु
जिले के धाॢमक पर्यटन स्थल जटाशंकर में सोमवती अमावस्था पर भारी भीड़ उमड़ी। जटाशंकर न्यास के अध्यक्ष अरविंद अग्रवाल ने बताया कि रविवार की शाम से ही लोग जटाशंकर पहुंचने लगे थे। रात 12 बजे के बाद से ही अमावस्या दर्शन का सिलसिला शुरु हुआ। वहीं सोमवार की सुबह 5 बजे से जटाशंकर महादेव के जलाभिषेक की शुरुआत हुई, जो देर शाम तक चलता रहा। जटाशंकर से 40 से 50 किलोमीटर दूर तक के गांवों से लोग भीषण गर्मी में भी बड़ी संख्या में जटाशंकर पहुंचे। श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला दोपहर 2 बजे तक चलता रहा। भीषण गर्मी में एक लाख से ज्यादा लोगों के आने की वजह से इस बार न्यास ने विशेष प्रबंध किए थे। पीने के पानी के 14 नए प्वॉइंट बनाए गए, जबकि 12 प्वॉइंट पहले से ही चालू हैं।
जिले के धाॢमक पर्यटन स्थल जटाशंकर में सोमवती अमावस्था पर भारी भीड़ उमड़ी। जटाशंकर न्यास के अध्यक्ष अरविंद अग्रवाल ने बताया कि रविवार की शाम से ही लोग जटाशंकर पहुंचने लगे थे। रात 12 बजे के बाद से ही अमावस्या दर्शन का सिलसिला शुरु हुआ। वहीं सोमवार की सुबह 5 बजे से जटाशंकर महादेव के जलाभिषेक की शुरुआत हुई, जो देर शाम तक चलता रहा। जटाशंकर से 40 से 50 किलोमीटर दूर तक के गांवों से लोग भीषण गर्मी में भी बड़ी संख्या में जटाशंकर पहुंचे। श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला दोपहर 2 बजे तक चलता रहा। भीषण गर्मी में एक लाख से ज्यादा लोगों के आने की वजह से इस बार न्यास ने विशेष प्रबंध किए थे। पीने के पानी के 14 नए प्वॉइंट बनाए गए, जबकि 12 प्वॉइंट पहले से ही चालू हैं।
खजुराहो में जुटी श्रद्धालुओं की भीड़
सोमवती अमावस्या पर खजुराहो के मतंगेश्वर महादेव मंदिर में सुबह से ही भारी भीड़ उमड़ी। खजुराहो के आसपास के इलाके के साथ ही दूर-दराज से लोग रविवार की रात को ही खजुराहो पहुंच गए और सुबह सूर्योदय के साथ ही श्रद्धालुओं ने शिवसागर सरोवर में स्नान के बाद मतंगेश्वर को जल अर्पित किया। खजुराहो के मतंगेश्वर महादेव मंदिर में भीषण गर्मी के बावजूद उत्साह देखने लायक था। मंदिर परिसर में इतनी भीड़ थी कि, पैर रखने के लिए जगह मिलना मुश्किल हो रहा था। मतंगेश्वर के जलाभिषेक का सिलसिला देर शाम तक समान गति में चलता रहा। दोपहर की चिलचिलाती धूप में भी लोग लाइन में लगकर अपनी बारी का इंतजार करते रहे। भोले के जयकारों के साथ भगवान मतंगेश्वर की जय हो के नारे से पूरा इलाका गुंजायमान हो गया। वहीं महिलाओं ने बरगद और पीपल के पेड़ पर 108 परिक्रमा देकर पति की लंबी आयु व संतान की समृद्धि की मन्नत मांगी।
सोमवती अमावस्या पर खजुराहो के मतंगेश्वर महादेव मंदिर में सुबह से ही भारी भीड़ उमड़ी। खजुराहो के आसपास के इलाके के साथ ही दूर-दराज से लोग रविवार की रात को ही खजुराहो पहुंच गए और सुबह सूर्योदय के साथ ही श्रद्धालुओं ने शिवसागर सरोवर में स्नान के बाद मतंगेश्वर को जल अर्पित किया। खजुराहो के मतंगेश्वर महादेव मंदिर में भीषण गर्मी के बावजूद उत्साह देखने लायक था। मंदिर परिसर में इतनी भीड़ थी कि, पैर रखने के लिए जगह मिलना मुश्किल हो रहा था। मतंगेश्वर के जलाभिषेक का सिलसिला देर शाम तक समान गति में चलता रहा। दोपहर की चिलचिलाती धूप में भी लोग लाइन में लगकर अपनी बारी का इंतजार करते रहे। भोले के जयकारों के साथ भगवान मतंगेश्वर की जय हो के नारे से पूरा इलाका गुंजायमान हो गया। वहीं महिलाओं ने बरगद और पीपल के पेड़ पर 108 परिक्रमा देकर पति की लंबी आयु व संतान की समृद्धि की मन्नत मांगी।
108 परिक्रमा के साथ की वट पूजा
शहर के मंदिरों में वट के पेड़ की पूजा अर्चना का सिलसिला दोपहर तक चलता रहा। पौराणिक मान्यता है कि इस व्रत को करने से पति को दीर्घायु मिलती है। वहीं जिसकी संतान होती है, वे महिलाएं भी वट सावित्री व्रत रखती हैं। मान्यता है कि, इस व्रत से संतान का भी भविष्य उज्जवल होता है। वट सावित्री व्रत जिसे वर पूजा भी कहते हैं। यह व्रत ज्येष्ठ माह की अमास्या को रखा जाता है। वर पूजा के दिन सभी सुहागिन और सौभाग्यवती स्त्रियां वट वृक्ष यानी बरगद के पेड़ का पूजन करती हैं और उसकी परिक्रमा लगाती हैं।
शहर के मंदिरों में वट के पेड़ की पूजा अर्चना का सिलसिला दोपहर तक चलता रहा। पौराणिक मान्यता है कि इस व्रत को करने से पति को दीर्घायु मिलती है। वहीं जिसकी संतान होती है, वे महिलाएं भी वट सावित्री व्रत रखती हैं। मान्यता है कि, इस व्रत से संतान का भी भविष्य उज्जवल होता है। वट सावित्री व्रत जिसे वर पूजा भी कहते हैं। यह व्रत ज्येष्ठ माह की अमास्या को रखा जाता है। वर पूजा के दिन सभी सुहागिन और सौभाग्यवती स्त्रियां वट वृक्ष यानी बरगद के पेड़ का पूजन करती हैं और उसकी परिक्रमा लगाती हैं।