scriptजरा सोचिए: शहर में आग भडक़ी तो होगी बेकाबू, निटपने के इंतजाम नाकाफी | Patrika News
छतरपुर

जरा सोचिए: शहर में आग भडक़ी तो होगी बेकाबू, निटपने के इंतजाम नाकाफी

जब भी कोई बड़े अग्निकांड की खबर सामने आती है तो ये सवाल खड़ा हो जाता है कि छतरपुर जिले में अग्निकांड से निपटने के साधन, सुविधाएं कैसी हैं और खास स्थानों पर क्या प्रबंध किए गए हैं। इन सवालों का जवाब खोजने पर पता चलता है कि सीमित साधन सुविधाएं और सही प्रबंधन न होने से जब कभी कहीं आग भडक़ी तो बेकाबू हो सकती है।

छतरपुरMay 27, 2024 / 10:38 am

Dharmendra Singh

district hospital

पांच मंजिला जिला अस्पताल भवन

छतरपुर. जब भी कोई बड़े अग्निकांड की खबर सामने आती है तो ये सवाल खड़ा हो जाता है कि छतरपुर जिले में अग्निकांड से निपटने के साधन, सुविधाएं कैसी हैं और खास स्थानों पर क्या प्रबंध किए गए हैं। इन सवालों का जवाब खोजने पर पता चलता है कि सीमित साधन सुविधाएं और सही प्रबंधन न होने से जब कभी कहीं आग भडक़ी तो बेकाबू हो सकती है।

दिल्ली- राजकोट की घटनाओं ने खड़े किए सवाल


दिल्ली में बच्चों के अस्पताल व 4 मंजिला मकान में आग और राजकोट के गेम जोन में लगी भीषण आग में बच्चों व लोगों की जिंदगियां खोने पर जिला प्रशासन के सम्मुख ये सवाल खड़ा कर दिया है कि जिले में आग से बचाव और आग लगने की स्थिति में उससे निपटने की व्यवस्था कैसी है। हालांकि जब कहीं से बड़े हादसे की खबर आती है तो कुछ समय तक इस बारे में सोचा जाता है और बाद में सब भूल जाते हैं। यही कारण है कि पूरे जिले की तो बात ही अलग, केवल छतरपुर शहर में ही न तो आग से निपटने के लिए कोई ठोस कार्ययोजना है न खास स्थानों पर अग्निकांड से हादसे के खतरे को ध्यान में रखकर सुविधाएं उपलब्ध कराई गई है।

बाजार में फायर बिग्रेड का जाना मुश्किल


छतरपुर शहर में जिला चिकित्सालय, कलेक्ट्रेट, बाजार, बीच में स्थित बजरिया, मॉल या शापिंग कॉम्पलेक्स, नर्सिंग होम, पांच मंजिला भवनों में संचालित कार्यालय या फिर बस स्टैंड पर स्थित पेट्रोप पंप या टिंबर मार्केट हैं। इन सभी स्थानों पर न तो दुकानदारों ने न अधिकारियों ने इस बात पर ध्यान दिया है कि यदि यहां आग भडक़ी तो क्या होगा, उसे कैसे नियंत्रित करेंगे। शहर के मुख्य बाजार में अतिक्रमण और सकरे रास्ते हमेशा जाम से लोगों के लिए परेशानी की वजह बने रहते हैं। बाजार के बीच में स्थित बजरिया क्षेत्र जहां सुबह से रात 8 बजे तक सबसे बड़ी संख्या में महिलाएं पहुंचती हैं। यहां रास्ते के नाम पर केवल पगडंडी है। यदि यहां कभी एक चिंगारी भडक़ी तो हालात बेकाबू हो जाएंगे। यहां फायर बिग्रेड के आसानी से पहुंचने की संभावना ही नहीं है। बाजार में भी जरूरत पडऩे पर यदि फायर ब्रिगेड संबंधित स्थान पर पहुंचने के लिए निकले तो काफी देर बाद पहुंच सकेगी, इससे हालात बेकाबू हो सकते हैं।

बस स्टैंड क्षेत्र में सबसे बड़ा खतरा


शहर के भीड़-भाड़ भरे बस स्टैंड के आसपास तीन पेट्रोल पंप संचालित हैं। इन पंपों के चारों तरफ बिल्डिंग करने वाली मशीनों की दुकाने हैं, लोग बीड़ी, सिगरेट सुलगाते रहते हैं। बस स्टैंड से कुछ दूरी पर एक पेट्रोल पंप है और ठीक सामने टिंबर मार्केट बड़े क्षेत्र में फैला है। टिम्बर कारोबारियों के पास न तो अग्नि शमन यंत्र है न उन्होंने कभी ये सोचा है कि यहां कभी आग भडक़ी तो क्या होगा। टिंबर मार्केट से सटी घनी बस्ती भी लगी हुई है। प्रशासन ने भी कभी टिंबर मार्केट में आग से निपटने के इंतजामों की समीक्षा नहीं की है। न इस बात पर गौर कि या है कि बस स्टैंड के चारों तरफ पेट्रोल पंप व टिम्बर मार्केट जैसे व्यवसायिक उपक्रम आग से निपटने के इंतजामों के बिना आखिर कै से चल रहे हैं।

सरकारी भवनों में भी उचित इंतजाम नहीं


इसी तरह जितने भी नर्सिंग होम चल रहे हैं या फिर जिला अस्पताल की बात करें तो यहां भी एक्सपायर डेट वाले अग्नि शमन यंत्र टंगे मिल जाते हैं जो शोपीस से कम नहीं है। ऐसे ही यंत्र कलेक्ट्रेट व अन्य सरकारी दफ्तरों की शोभा बने हैं। जिला अस्पताल बहुमंजिला है, जहां बड़ी संख्या में लोग हमेशा रहते हैं। हालांकि भवन में फायर एक्जिट बनाया गया है। लेकिन आग बुझाने के संसाधन हमेशा दुरस्त नहीं रहते हैं। न ही हमारे शहर में बहुमंजिला इमारतों के हिसाब की फायर बिग्रेड उपलब्ध हैं।

कोचिंग सेंटरों में नहीं इंतजाम


शहर में कई कोचिंग सेंटर बच्चों से मोटी फीस वसूलकर चलाए जा रहे हैं, इन सेंटर्स में भी आग से निपटने के कोई इंतजाम नहीं हैं। कु छ कोचिंग तो दो-तीन मंजिला ऊंचे भवनों में चल रही हैं जहां से निकासी का मात्र एक रास्ता है। यहां भी कभी यदि सूरत के तक्षशिला कोचिंग की तरह कोई अग्निकांड होता है तो लेने के देने पड़ जाएंगे। ठीक इसी तरह स्टेडियम के सामने संचालित एक माल, नौगांव रोड पर संचालित दो बड़े शॉपिंग सेंटर में भी आग से निपटने के समुचित इंतजाम नहीं है। यहां भी बाहर जाने के लिए एक ही मार्ग है। जबकि ऐसे स्थानों पर एक आपाताकालीन द्वार रखना अनिवार्य है। इन शॉपिंग सेंटर में दिखावे के लिए आउट आफ डेट वाले अग्नि शमन यंत्र जरूर टंगे हुए हैं। यहां भी कभी यदि एक चिंगारी लपटों में बदलती है तो एक बड़ी घटना होने की आशंका बनी रहेगी।

जिले में आग से निपटने 18 फायर ब्रिगेड


8687 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में में फैले छतरपुर जिले की तीन नगर पालिका, 12 नगर परिषदों और 559 ग्राम पंचायतों के 1187 गांवों में आग से निपटने के लिए के वल 18 फायर बिग्रेड मौजूद हैं। इन्हें चलाने वाले ट्रेंड कर्मचारियों के बजाय इन पर सफाई कर्मचारी और भृत्यों को तैनात किया गया है। कई जगह इस काम में नगर सैनिकों को भी लगाया जाता है। ट्रेनिंग न मिलने और जरूरी उपकरण के अभाव में यह अनाड़ी कर्मचारी आग बुझाने में ज्यादा कारगर साबित नहीं होते हैं।

Hindi News/ Chhatarpur / जरा सोचिए: शहर में आग भडक़ी तो होगी बेकाबू, निटपने के इंतजाम नाकाफी

ट्रेंडिंग वीडियो