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छतरपुर

विंध्यवासिनी सरोवर के लिए अब संत समाज मैदान में उतरा, सफाई अभियान किया शुरू

साधु संतो ने शहर की विंध्यवासिनी तलैया की सफाई शुरु कर दी है। साधु-संत सुबह से ही तालाब की जलकुंभी और कचरा निकालने में जुट गए। इसके साथ ही प्रशासन से भी तालाब को बचाने की मांग की है।

छतरपुरMay 09, 2024 / 11:38 am

Dharmendra Singh

vindhyvasni pond

तालाब की सफाई करते साधु संत

छतरपुर. नगर पालिका और जिला प्रशासन के उदासीन रवैये के कारण शहर के तालाबों की बदत्तर स्थिति है। अब तालाबों को लेकर समाज के लोग खुद ही आक्रोशित होकर आगे आए हैं। साधु संतो ने शहर की विंध्यवासिनी तलैया की सफाई शुरु कर दी है। साधु-संत सुबह से ही तालाब की जलकुंभी और कचरा निकालने में जुट गए। इसके साथ ही प्रशासन से भी तालाब को बचाने की मांग की है।

एक ट्रॉली जलकुंभी निकाली


महोबा रोड स्थित विंध्यवासनी सरोवर की दशा-दिशा बदलने की साधु संतो की मुहिम के तहत सुबह से साधु संत व समाजसेवी तालाब किनारे जुटे और जलकुंभी निकालने के लिए श्रम किया। सभी के संयुक्त प्रयास से एक ट्रॉली जलकुंभी निकाली गई। जलकुंभी को ट्रैक्टर ट्रॉली के जरिए कचरा घर ले जाया गया। साधु संतो का कहना है कि रोजाना जलकुंभी निकाली जाएगी, जब तक तालाब पूरा साफ नहीं हो जाता।

अतिक्रमण हटाने की मांग


साधु संतों और समाजसेवियों ने कलेक्टर कार्यालय और नगर पालिका जाकर एक ज्ञापन सौंपते हुए स्वच्छता की मांग की है। महंत भगवानदास श्रंगारी महाराज के नेतृत्व में कलेक्टर कार्यालय पहुंचे साधु संतों ने कहा कि मप्र और उप्र को जोडऩे वाले महोबा रोड राजमार्ग पर मौजूद यह तालाब नगर की पहचान और धार्मिक आस्था का केन्द्र है फिर भी नगर पालिका के उदासीन रवैये के कारण यह गंदगी से सराबोर हो चुकी है। लोगों ने यहां सीवर टैंक के पाइप छोड़ रखे हैं, मंदिर जाने वाले रास्ते की दीवार भी टूट गई है, तालाब में गंदगी होने के कारण लोगों की धार्मिक आस्थाएं भी खण्डित हो रही हैं। अत: जल्द से जल्द इस तालाब को अतिक्रमण मुक्त कर स्वच्छता अभियान चलाया जाए।

शहर के 11 में से बचे हैं 7 तालाब


शहर के अधिकांश तालाब अतिक्रमण का शिकार हैं। उनको मिट्टी कूड़ा-कचरा आदि डालकर भरा जा रहा है। कई तालाब जलकुंभी का शिकार बन गए हैं। तालाबों में पानी आने के प्राकृतिक रास्ते अवरुद्ध कर दिए गए हैं, जिससे उनमें बारिश का पानी संग्रहित नहीं हो पा रहा है। कुछ तालाबों का वर्ष 2008-09 में गहरीकरण कराया गया था लेकिन उसका कोई खास फायदा नहीं मिला है। तालाबों में प्राकृतिक तरीके से पानी के आने के रास्ते बंद होने व उसमें कचरा डाले जाने और नियमित सफाई व्यवस्था नहीं होने से तालाब अपने अस्तित्व के लिए जूझ रहे हैं। ऊपर से अतिक्रमण के कारण तालाबों का रकबा भी सिमटता जा रहा है।

चार तालाब पूरी तरह हो गए खत्म


रियासत काल से लेकर दो दशक पहले तक कभी छतरपुर को तालाबों का शहर कहा जाता था, लेकिन शहर के 11 में से 4 तालाब तो पूरी तरह खत्म हो गए हैं। बचे 7 तालाब भी भू-माफियाओं के निशाने पर है। अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहे शहर के तालाबों की दयनीय स्थिति और रसूखदार भू-माफियाओं की पहुंच का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि आज भी पुराने राजस्व रिकॉर्ड में 11 तालाब दर्ज हैं लेकिन 11 में से 4 तालाब न केवल पूरी तरह खत्म हो चुके हैं बल्कि उन पर बड़ी-बड़ी इमारतें खड़ी कर दी गईं हैं।

इनका कहना है


विंध्यवासनी तालाब की सफाई का साधु संतो ने बीडा उठाया है। हमने प्रयास शुरू कर दिए हैं। प्रशासन से भी कहा है, हमारी धरोहर को संरक्षित करने की दिशा में शीघ्र कार्य किया जाना जाहिए।
भगवान दास श्रंगारी, प्रमुख, रामजानकी टौरिया मंदिर

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