टीम बनाकर खोज रहे मरीज
स्वास्थ्य विभाग द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता अभियान चलाकर टीबी के मरीजों की खोज की जा रही है। इसके लिए विभिन्न टीमों का गठन किया गया है। टीबी के मरीजों को तलाशने के लिए दो स्तर पर टारगेट का निर्धारण किया जाता है। टीबी रोग को लेकर हर व्यक्ति में जागरूकता रहना चाहिए। इससे सतर्क रहने की जरूरत है। यदि दो हफ्ते तक खांसी बनी रहती है, तो अनदेखी न करें, डॉक्टर को दिखाएं। सरकारी स्तर पर टीबी के मरीजों का निशुल्क इलाज किया जा रहा है। उन्हें अतिरिक्त सुविधाएं दी जाती हैं।
स्वास्थ्य विभाग द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता अभियान चलाकर टीबी के मरीजों की खोज की जा रही है। इसके लिए विभिन्न टीमों का गठन किया गया है। टीबी के मरीजों को तलाशने के लिए दो स्तर पर टारगेट का निर्धारण किया जाता है। टीबी रोग को लेकर हर व्यक्ति में जागरूकता रहना चाहिए। इससे सतर्क रहने की जरूरत है। यदि दो हफ्ते तक खांसी बनी रहती है, तो अनदेखी न करें, डॉक्टर को दिखाएं। सरकारी स्तर पर टीबी के मरीजों का निशुल्क इलाज किया जा रहा है। उन्हें अतिरिक्त सुविधाएं दी जाती हैं।
फैंफड़ो पर पड़ता है असर
टीबी एक संक्रामक बीमारी है, जो ट्यूबरक्युलोसिस बैक्टीरिया के कारण होती है। इस बीमारी का सबसे अधिक दुष्प्रभाव फेफड़ों पर पड़ता है। फेफड़ों के अलावा ब्रेन, यूटरस, मुंह, लिवर, किडनी गले आदि में भी टीबी हो सकती है। सबसे अधिक टीबी फेफड़ों के जरिए होती है। यह हवा के जरिए एक दूसरे में फैलती है। टीबी के मरीज के खांसने और छींकने के दौरान नाक-मुंह से निकलने वाली बारीक बूंदे इन्हें फैलाती हैं।
टीबी एक संक्रामक बीमारी है, जो ट्यूबरक्युलोसिस बैक्टीरिया के कारण होती है। इस बीमारी का सबसे अधिक दुष्प्रभाव फेफड़ों पर पड़ता है। फेफड़ों के अलावा ब्रेन, यूटरस, मुंह, लिवर, किडनी गले आदि में भी टीबी हो सकती है। सबसे अधिक टीबी फेफड़ों के जरिए होती है। यह हवा के जरिए एक दूसरे में फैलती है। टीबी के मरीज के खांसने और छींकने के दौरान नाक-मुंह से निकलने वाली बारीक बूंदे इन्हें फैलाती हैं।
इन लक्षण पर ध्यान देना जरूरी
टीबी खतरनाक इसलिए है, क्योंकि शरीर के जिस हिस्से में होती है, सही इलाज न हो तो उसे बेकार कर देती है। इसलिए टीबी के लक्षण नजर आने पर जांच जरूर करना चाहिए। इसके शुरुआती लक्षण खांसी आना है। पहले तो सूखी खांसी आती है, लेकिन बाद में खांसी के साथ बलगम और खून भी आने लगता है। दो हफ्ते या उससे ज्यादा खांसी आए तो टीबी की जांच कराना चाहिए। रात में पसीना आना भी टीबी का लक्षण हो सकता है।
टीबी खतरनाक इसलिए है, क्योंकि शरीर के जिस हिस्से में होती है, सही इलाज न हो तो उसे बेकार कर देती है। इसलिए टीबी के लक्षण नजर आने पर जांच जरूर करना चाहिए। इसके शुरुआती लक्षण खांसी आना है। पहले तो सूखी खांसी आती है, लेकिन बाद में खांसी के साथ बलगम और खून भी आने लगता है। दो हफ्ते या उससे ज्यादा खांसी आए तो टीबी की जांच कराना चाहिए। रात में पसीना आना भी टीबी का लक्षण हो सकता है।
इनका कहना है
केंद्र सरकार ने जिले की 11 ग्राम पंचायतों को टीबी मुक्त घोषित किया है। पुराने व नए संदिग्धों की जांच के बाद ही टीबी मुक्त घोषित करने का नोटिफि केशन किया जाता है। जिले में कुल मरीजों की संख्या साल के अंत में कुछ बढ़ी है, लगातार अभियान चलाया जा रहा है।
डॉ. राजकुमार अवस्थी, नोडल अधिकारी
केंद्र सरकार ने जिले की 11 ग्राम पंचायतों को टीबी मुक्त घोषित किया है। पुराने व नए संदिग्धों की जांच के बाद ही टीबी मुक्त घोषित करने का नोटिफि केशन किया जाता है। जिले में कुल मरीजों की संख्या साल के अंत में कुछ बढ़ी है, लगातार अभियान चलाया जा रहा है।
डॉ. राजकुमार अवस्थी, नोडल अधिकारी