scriptजिले की 548 पंचायतों में केवल 11 टीबी मुक्त, जिले में 2200 मरीज, कैसे पूरा होगा 2025 में टीबी मुक्त का सपना | Only 11 are TB free in 548 panchayats of the district | Patrika News
छतरपुर

जिले की 548 पंचायतों में केवल 11 टीबी मुक्त, जिले में 2200 मरीज, कैसे पूरा होगा 2025 में टीबी मुक्त का सपना

स्वास्थ विभाग के अभियान में लगातर मिल रहे मरीज, स्वस्थ भी हो रहे, लेकिन जड़ से खत्म होने में लगेगी देर

छतरपुरApr 12, 2024 / 10:59 am

Dharmendra Singh

टीबी अस्पताल नौगांव

टीबी अस्पताल नौगांव

छतरपुर. जिले की 548 पंचायतों में से केवल 11 ग्राम पंचायतों ही अबतक टीबी मुक्त घोषित हो पाई हैं। केंद्र सरकार ने जिले की नुना, पलकोंहा , ककियानाला, सेदरा, फुटेरा, सतपड़ा, सोरावी, बंधा चंदोली, भगवां, फुटवारी और रानीताल अब टीबी मुक्त होने का नोटिफिकेशन जारी किया है। लेकिन जिले में टीबी के मरीज बड़ी संख्या में अब भी हैं। पिछले साल 3 हजार मरीज पाए गए थे, वहीं, इस साल 2200 मरीज मौजूद है। जिसमें 11 ड्रग रेजिस्टेंट मरीज भी है। ऐसे में प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत वर्ष 2025 तक टीबी को जड़ से खत्म करने का टारगेट कैसे पूरा होगा।
टीम बनाकर खोज रहे मरीज
स्वास्थ्य विभाग द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता अभियान चलाकर टीबी के मरीजों की खोज की जा रही है। इसके लिए विभिन्न टीमों का गठन किया गया है। टीबी के मरीजों को तलाशने के लिए दो स्तर पर टारगेट का निर्धारण किया जाता है। टीबी रोग को लेकर हर व्यक्ति में जागरूकता रहना चाहिए। इससे सतर्क रहने की जरूरत है। यदि दो हफ्ते तक खांसी बनी रहती है, तो अनदेखी न करें, डॉक्टर को दिखाएं। सरकारी स्तर पर टीबी के मरीजों का निशुल्क इलाज किया जा रहा है। उन्हें अतिरिक्त सुविधाएं दी जाती हैं।
फैंफड़ो पर पड़ता है असर
टीबी एक संक्रामक बीमारी है, जो ट्यूबरक्युलोसिस बैक्टीरिया के कारण होती है। इस बीमारी का सबसे अधिक दुष्प्रभाव फेफड़ों पर पड़ता है। फेफड़ों के अलावा ब्रेन, यूटरस, मुंह, लिवर, किडनी गले आदि में भी टीबी हो सकती है। सबसे अधिक टीबी फेफड़ों के जरिए होती है। यह हवा के जरिए एक दूसरे में फैलती है। टीबी के मरीज के खांसने और छींकने के दौरान नाक-मुंह से निकलने वाली बारीक बूंदे इन्हें फैलाती हैं।
इन लक्षण पर ध्यान देना जरूरी
टीबी खतरनाक इसलिए है, क्योंकि शरीर के जिस हिस्से में होती है, सही इलाज न हो तो उसे बेकार कर देती है। इसलिए टीबी के लक्षण नजर आने पर जांच जरूर करना चाहिए। इसके शुरुआती लक्षण खांसी आना है। पहले तो सूखी खांसी आती है, लेकिन बाद में खांसी के साथ बलगम और खून भी आने लगता है। दो हफ्ते या उससे ज्यादा खांसी आए तो टीबी की जांच कराना चाहिए। रात में पसीना आना भी टीबी का लक्षण हो सकता है।
इनका कहना है
केंद्र सरकार ने जिले की 11 ग्राम पंचायतों को टीबी मुक्त घोषित किया है। पुराने व नए संदिग्धों की जांच के बाद ही टीबी मुक्त घोषित करने का नोटिफि केशन किया जाता है। जिले में कुल मरीजों की संख्या साल के अंत में कुछ बढ़ी है, लगातार अभियान चलाया जा रहा है।
डॉ. राजकुमार अवस्थी, नोडल अधिकारी
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