सरकारी खर्च से कराया ऑफिस और घर का रिनोवेशन
वन विभाग में एसडीओ स्तर के अधिकारियों के लिए जो सरकारी आवास आवंटित किए गए हैं उनमें सबसे हाइटेक-सुंदर और सुविधा संपन्न बंगला एसडीओ परमार का है। ग्रीन नेट से ढके इस बंगले की सजावट पर ही लाखों रुपए खर्च किए गए हैं। बंगले के रिनोवेशन पर 5 से 7 लाख रुपए खर्च किए गए हैं। यह पूरा खर्च विभागीय स्तर पर हुआ है। इसी तरह ऑफिस के सौंदर्यीकरण पर भी 3 लाख रुपए से अधिक खर्च किया गया था। नियमानुसार एसडीओपी स्तर के अधिकारी को कार्यालय में एसी लगाने की पात्रता नहीं है, लेकिन एसडीओ परमार के हाइटेक ऑफिस में एसी लगा है और इस पर आने वाले बिजली बिल का खर्च विभाग के खाते से जाता है।
वन विभाग में एसडीओ स्तर के अधिकारियों के लिए जो सरकारी आवास आवंटित किए गए हैं उनमें सबसे हाइटेक-सुंदर और सुविधा संपन्न बंगला एसडीओ परमार का है। ग्रीन नेट से ढके इस बंगले की सजावट पर ही लाखों रुपए खर्च किए गए हैं। बंगले के रिनोवेशन पर 5 से 7 लाख रुपए खर्च किए गए हैं। यह पूरा खर्च विभागीय स्तर पर हुआ है। इसी तरह ऑफिस के सौंदर्यीकरण पर भी 3 लाख रुपए से अधिक खर्च किया गया था। नियमानुसार एसडीओपी स्तर के अधिकारी को कार्यालय में एसी लगाने की पात्रता नहीं है, लेकिन एसडीओ परमार के हाइटेक ऑफिस में एसी लगा है और इस पर आने वाले बिजली बिल का खर्च विभाग के खाते से जाता है।
अधिकांश नौकरी छतरपुर जिले में ही करते आ रहे परमार
एसडीओ परमार सन् 2000 में रेंजर के रूप में छतरपुर जिले में पदस्थ हुए थे। छतरपुर, बड़ामलहरा, बकस्वाहा, किशनगढ़ में रेंजर के रूप में पदस्थ रहे। बीच में कुछ दिनों के लिए वे 2004 में पन्ना उत्तर वन मंडल में पदस्थ रहे। प्रमोशन मिलते ही वे फिर से छतरपुर आ गए। तब से यहीं पदस्थ है। इस समय वे एसडीओ फारेस्ट हैं और उनके अनुविभाग में छतरपुर और लवकुशनगर रेंज आते हैं। हाल ही में उनका तबादला राज्य शासन स्तर पर किया गया था, लेकिन उनका तबादला निरस्त हो गया। जबकि परमार का तबादला छतरपुर रेंज के सभी कर्मचारियों द्वारा दिए गए सामूहिक ज्ञापन, जांच के दौरान सहित कई बाद हुआ फिर भी वह कुर्शी से नहीं हटे।
एसडीओ परमार सन् 2000 में रेंजर के रूप में छतरपुर जिले में पदस्थ हुए थे। छतरपुर, बड़ामलहरा, बकस्वाहा, किशनगढ़ में रेंजर के रूप में पदस्थ रहे। बीच में कुछ दिनों के लिए वे 2004 में पन्ना उत्तर वन मंडल में पदस्थ रहे। प्रमोशन मिलते ही वे फिर से छतरपुर आ गए। तब से यहीं पदस्थ है। इस समय वे एसडीओ फारेस्ट हैं और उनके अनुविभाग में छतरपुर और लवकुशनगर रेंज आते हैं। हाल ही में उनका तबादला राज्य शासन स्तर पर किया गया था, लेकिन उनका तबादला निरस्त हो गया। जबकि परमार का तबादला छतरपुर रेंज के सभी कर्मचारियों द्वारा दिए गए सामूहिक ज्ञापन, जांच के दौरान सहित कई बाद हुआ फिर भी वह कुर्शी से नहीं हटे।
राजनगर विधायक ने वाईएस परमार के खिलाफ विधानसभा में लगाया था प्रश्न
विधायक विक्रम सिंह नातीराजा ने विधानसभा में तारांकित प्रश्न क्रमांक 1940 लगाकर पूछा है कि छतरपुर अनुभाग में उप वन मंडलाधिकारी पिछले 3 साल 8 माह से पदस्थ हैं, उनके द्वारा न्यायालय में राजसात वाहनों की सूचना देने के बावजूद कितने वाहनों को अभिसंधानित कर निजी स्वार्थवश विधि विरुद्ध कार्रवाई की गई। यदि हां, तो क्या शासन इनके विरुद्ध कार्रवाई करेगा, यदि हां, तो कब तक, विधायक ने यह भी पूछा कि क्या विभागीय भुगतान के लिए शासन के साप्ताहिक भुगतान के निर्देश हैं। सहित तारांकित प्रश्न क्रमांक 1939 लगाते हुए सवाल किया गया था। जिसके बाद उन्हें छतरपुर से स्थानांतरण किया गया था। लेकिन उन्होंने स्थानांतरण रुकवा लिया था।
विधायक विक्रम सिंह नातीराजा ने विधानसभा में तारांकित प्रश्न क्रमांक 1940 लगाकर पूछा है कि छतरपुर अनुभाग में उप वन मंडलाधिकारी पिछले 3 साल 8 माह से पदस्थ हैं, उनके द्वारा न्यायालय में राजसात वाहनों की सूचना देने के बावजूद कितने वाहनों को अभिसंधानित कर निजी स्वार्थवश विधि विरुद्ध कार्रवाई की गई। यदि हां, तो क्या शासन इनके विरुद्ध कार्रवाई करेगा, यदि हां, तो कब तक, विधायक ने यह भी पूछा कि क्या विभागीय भुगतान के लिए शासन के साप्ताहिक भुगतान के निर्देश हैं। सहित तारांकित प्रश्न क्रमांक 1939 लगाते हुए सवाल किया गया था। जिसके बाद उन्हें छतरपुर से स्थानांतरण किया गया था। लेकिन उन्होंने स्थानांतरण रुकवा लिया था।
प्रधान मुख्य वन संरक्षक भोपाल ने किया निम्बित
प्रधान मुख्य वन संरक्षक भोपाल रमेश कुमार गुप्ता द्वारा 20 सितंबर 2021 को आदेश जारी किए है। पत्र क्रमांक 225 ने बताया कि वाईएस परमार सहायक वन संरक्षक दिनांक 7 मई 2017 से वर्तमान तक उपवनमंडल अधिकारी छतरपुर के पद पर पदस्थ हैं उपस्थिति अवधि में राजसात प्रकरणों की जांच हेतु मुख्य वन संरक्षक छतरपुर के आदेश क्रमांक 25 दिनांक 26 मार्च 2021 से गठित जांच समिति गठित की गई। वन मंडल अधिकारी छतरपुर द्वारा कई बार स्मरण कराए जाने के बाद भी श्री परमार द्वारा जांच समिति के समक्ष वाहन राजसात से संबंधित अभिलेख प्रस्तुत नहीं किए गए। तत्पश्चात वन मंडल द्वारा उपलब्ध कराए गए अभिलेखों के आधार पर जांच कर जांच समिति द्वारा प्रस्तुत प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया। जांच प्रतिवेदन के अनुसार श्री परमार द्वारा किए जाने संबंधी सूचना दिए जाने के बाद निर्देश एवं विधिविरुद्ध कार्रवाई कर 27 वाहनों को अर्थदंड से दंडित कर प्रशमन कर वाहनों को निर्मुक्त किया गया। इस प्रकार वाईएस परमार द्वारा उक्त पदस्थ्िित की अवधि में वाहन राजसात प्रकरणों में अनियमितता बरती जाने तथा तत्संबंध में गठित जांच समिति को जांच हेतु वाहन राजसात से संबंधित अभिलेख उपलब्ध नहीं कराने कराए जाने के लिए प्रथम दृष्टया दोषी पाए जाने के कारण मध्य प्रदेश सिविल सेवा (वर्गीकरण नियंत्रण तथा अपील) नियम 1966 के नियम 9 (1) (क) के परंतुक में निहित प्रावधान के तहत तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाता है। निलंबित अवधि में इनका मुख्यालय कार्यालय सागर रहेगा। निलंबन अवधि में नियमानुसार जीवन निर्वाह भत्ते की पात्रता होगी।
प्रधान मुख्य वन संरक्षक भोपाल रमेश कुमार गुप्ता द्वारा 20 सितंबर 2021 को आदेश जारी किए है। पत्र क्रमांक 225 ने बताया कि वाईएस परमार सहायक वन संरक्षक दिनांक 7 मई 2017 से वर्तमान तक उपवनमंडल अधिकारी छतरपुर के पद पर पदस्थ हैं उपस्थिति अवधि में राजसात प्रकरणों की जांच हेतु मुख्य वन संरक्षक छतरपुर के आदेश क्रमांक 25 दिनांक 26 मार्च 2021 से गठित जांच समिति गठित की गई। वन मंडल अधिकारी छतरपुर द्वारा कई बार स्मरण कराए जाने के बाद भी श्री परमार द्वारा जांच समिति के समक्ष वाहन राजसात से संबंधित अभिलेख प्रस्तुत नहीं किए गए। तत्पश्चात वन मंडल द्वारा उपलब्ध कराए गए अभिलेखों के आधार पर जांच कर जांच समिति द्वारा प्रस्तुत प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया। जांच प्रतिवेदन के अनुसार श्री परमार द्वारा किए जाने संबंधी सूचना दिए जाने के बाद निर्देश एवं विधिविरुद्ध कार्रवाई कर 27 वाहनों को अर्थदंड से दंडित कर प्रशमन कर वाहनों को निर्मुक्त किया गया। इस प्रकार वाईएस परमार द्वारा उक्त पदस्थ्िित की अवधि में वाहन राजसात प्रकरणों में अनियमितता बरती जाने तथा तत्संबंध में गठित जांच समिति को जांच हेतु वाहन राजसात से संबंधित अभिलेख उपलब्ध नहीं कराने कराए जाने के लिए प्रथम दृष्टया दोषी पाए जाने के कारण मध्य प्रदेश सिविल सेवा (वर्गीकरण नियंत्रण तथा अपील) नियम 1966 के नियम 9 (1) (क) के परंतुक में निहित प्रावधान के तहत तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाता है। निलंबित अवधि में इनका मुख्यालय कार्यालय सागर रहेगा। निलंबन अवधि में नियमानुसार जीवन निर्वाह भत्ते की पात्रता होगी।