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छिंदवाड़ा

शेयर बाजार में लगाए थे 50 लाख, फायदा नहीं हुआ तो मौत को लगाया गले

जांच में 39 लाख रुपए शेयर बाजार में निवेश करना सामने आया था। छानबीन और समय के साथ यह रकम बढ़कर अब 50 लाख रुपए पहुंच चुकी है। अभी जांच जारी है।

छिंदवाड़ाAug 13, 2022 / 03:45 pm

Subodh Tripathi

शेयर बाजार में लगाए थे 50 लाख, फायदा नहीं हुआ तो मौत को लगाया गले

शेयर बाजार में लगाए थे 50 लाख, फायदा नहीं हुआ तो मौत को लगाया गले

छिंदवाड़ा. शहर के नरसिंहपुर रोड स्थित बालाजी नगर निवासी पाठक परिवार के तीन सदस्यों की मौत की वजह साफ हो चुकी है। परिवार के मुखिया विनोद पाठक ने ही पत्नी कंचन पाठक एवं बेटी अर्पणा पाठक सहित स्वयं पर ज्वलनशील पदार्थ छिड़ककर आग लगा ली थी। इसके पीछे का शुरुआत कारण आर्थिक तंगी सामने आई थी, जिसकी पुष्टि हो चुकी है।
कम समय में अधिक रुपए कमाने के लालच में एक ही परिवार के तीन सदस्यों की मौत हो गई। शेयर बाजार में लगातार रुपए लगाने और डूबते जाने के चलते सम्पन्न परिवार आर्थिक संकट की जद में आ गया। उधार लेकर भी रुपए लगाए, लेकिन कुछ भी हासिल नहीं हो पाया। रुपए लौटाने और आगे के जीवन-यापन में तंगी को बड़ी वजह मानते हुए विनोद ने स्वयं के साथ ही बेटी और पत्नी को मौत के हवाले कर दिया।
अभी जांच जारी है कि इसके अलावा और कहां कितनी राशि निवेश की गई थी। मृतक के किराए के मकान से जब्त किए दस्तावेजों के आधार पर पुलिस को शेयर बाजार में बड़ी राशि निवेश करने के साक्ष्य भी मिले हैं। आर्थिक तंगी से परेशान होकर ही यह खौफनाक कदम उठाया गया था। एक रजिस्टर भी जब्त किया है, जिसमें राशि के लेनदेन का कच्चा लेखा-जोखा है। बताया जा रहा है कि रिश्तेदारों से ली गई राशि की जानकारी बेटी अर्पणा के हाथों से लिखी गई है, जबकि बाहरी लोगों से लिए गए ऋण की जानकारी विनोद ने अपने हाथों से लिखी है। परिवार के सदस्यों में भाई, बहन सहित अन्य लोगों से ऋण लेने का खुलासा भी हुआ है।
50 लाख निवेश के मिले दस्तावेज


पुलिस की शुरुआती जांच में 39 लाख रुपए शेयर बाजार में निवेश करना सामने आया था। छानबीन और समय के साथ यह रकम बढ़कर अब 50 लाख रुपए पहुंच चुकी है। अभी जांच जारी है। यह रकम और बढ़ सकती है। जिस कम्पनी के शेयर खरीदे उनका बाजार मूल्य लगातार गिरता गया और पाठक परिवार को इसका नुकसान उठाना पड़ा। पास की जमा पूंजी, मकान एवं जमीन बेचकर राशि लगाई वह भी उन्हें पार नहीं लगा पाई। अंत में रिश्तेदारों से उधार लेकर रुपए लगाए, वह भी डूब गए। इस तरह वे कंगाल होते चले गए और अंत में उन्होंने मौत को गले लगा लिया।
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