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छिंदवाड़ा

Artist: कला को निखारने जुटे रंगकर्मी, खेड़ा महोत्सव में दिखाएंगे जलवा

रंगकर्मी भी नए जोश के साथ कला का जौहर दिखाने के लिए तैयार हैं।

छिंदवाड़ाJul 29, 2021 / 12:19 pm

ashish mishra

Artist: कला को निखारने जुटे रंगकर्मी, खेड़ा महोत्सव में दिखाएंगे जलवा

Artist: कला को निखारने जुटे रंगकर्मी, खेड़ा महोत्सव में दिखाएंगे जलवा

छिंदवाड़ा. अनलॉक के बाद धीरे-धीरे सबकुछ सामान्य हो रहा है। रंगकर्मी भी नए जोश के साथ कला का जौहर दिखाने के लिए तैयार हैं। सक्रिय एवं सकारात्मक रंगकर्म को समर्पित नाट्य संस्था ओम् मंच पर अस्तित्व के कार्यकारी अध्यक्ष राजेंद्र आचार्य ने बताया कि प्रेमचंद जयंती के अवसर पर तीन दिवसीय नाट्य समारोह ‘खेड़ा महोत्सव’ का आयोजन एफडीडीआई सभागार में किया जाएगा, जिसमें जिले की 6 संस्थाएं शामिल होंगी। संस्थाएं 30, 31 जुलाई व 1 अगस्त को अपनी नाट्य प्रस्तुति देंगी। संस्था के पदाधिकारी पंकेश बगमार ने कहा कि विगत वर्षों में कोरोना के चलते नाटकीय गतिविधियां थम सी गई थी जिसे दोबारा पुनरुत्थान की आवश्यकता थी। इस दौरान जिले की नाट्य संस्थाओं से चर्चा के बीच इस आयोजन की नींव डाली गई यह आयोजन समग्र प्रयास की एक मिसाल के तौर पर देखा जा सकता है। आयोजन के दौरान जय मानस मंडल इकलहरा द्वारा लोक नृत्य की भी शानदार प्रस्तुति दी जाएगी। महोत्सव में प्रस्तुति देने के लिए कलाकार कड़ा अभ्यास कर रहे हैं।

तीन दिन में छह नाटक की होगी प्रस्तुति
महोत्सव में महानतम कथा सम्राट प्रेमचंद द्वारा लिखित 6 कहानियों पर 6 नाट्य प्रस्तुतियां दी जाएंगी। प्रथम दिवस 30 जुलाई को किरदार संस्था द्वारा सद्गति(निर्देशक-पवन नेमा), अमनरस संस्था द्वारा पंच परमेश्वर(निर्देशक- अजय चौकसे), द्वितीय दिवस 31 जुलाई को प्रेमचंद जयंती के दिन सुयश लोकरंग स्थान द्वारा नाटक चमत्कार (निर्देशक-अम्बर तिवारी), ओम् संस्था द्वारा बड़े घर की बेटी (निर्देशक-तृप्ति विश्वकर्मा) एवं तृतीय दिवस समापन प्रस्तुतियों के रूप में एस 3 एम संस्था द्वारासवा सेर गेहूं (निर्देशक-केशव कैथवास)] संस्कार भारती द्वारा बूढ़ी काकी(निर्देशक-विजय आनंद दुबे) की प्रस्तुति की जाएगी। इस दौरान हर दिन रंगारंग प्रस्तुति भी होगी।
महोत्सव में स्थानीयता के होंगे दर्शन
आयोजकों ने बताया कि जब भी प्रेमचंद की कहानियों को हम पढ़ते हैं या उनकी कहानियों का जिक्र आता है तो सबसे पहली तस्वीर किसी गांव की उभरती है। प्रेमचंद की ताकत थी कि उन्होंने ग्रामीण सभ्यता में उपजी हुई कुरीतियों पर प्रहार किया और उन्हें पाटने की पूरी कोशिश की। भारत दर्शन में अगर प्रेमचंद के प्रयासों को देखना हो तो सामाजिक बदलाव की इबारत में उनका नाम साफ.-साफ पढ़ा जा सकता है। खेड़ा महोत्सव भी इसी परिकल्पना को साकार करने का एक प्रयास है। इस तीन दिवसीय आयोजन में सभी नाटकों में दर्शकों को ग्रामीण भारत के स्थानीयता के दर्शन हो सकेंगे।
कोरोना प्रोटोकॉल के तहत देंगे प्रस्तुति
संस्था के मीडिया प्रभारी शिव सिंग डेहरिया ने बताया कि कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हुए सीमित आमंत्रित अतिथियों के बीच आयोजन होगा। इवेंट कॉर्डिनेटर यश साहू ने बताया कि संस्था द्वारा सोशल मीडिया के माध्यम से प्रस्तुतियों को प्रसारित किया जाएगा। उन्होंने सभी दर्शक से घर पर ही संस्था से जुड़े हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर नाटकों का लुफ्त उठाने की अपील की।

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