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छिंदवाड़ा

Education: एक साल पहले मांगा था आवेदन, भूल गया विश्वविद्यालय, पढि़ए पूरा मामला

राजभवन से ही अंतिम मुहर नहीं लगी है।

छिंदवाड़ाOct 17, 2021 / 06:32 pm

ashish mishra

College: कॉलेज पहुंचने पर जानकारी मिली मेरिट सूची में था नाम, नहीं मिला दाखिला, पढ़ें पूरी खबर

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छिंदवाड़ा. छिंदवाड़ा विश्वविद्यालय द्वारा लगभग एक साल बाद भी शोध केन्द्रों के संबंध में कॉलेजों का निरीक्षण नहीं किया गया है। ऐसे में पीएचडी की राह देख रहे विद्यार्थियों में मायूसी छा गई है। इसके पीछे वजह फैकल्टी डीन की स्थापना न होना भी है। बताया जाता है कि विश्वविद्यालय ने डीन के नामों का प्रस्ताव शासन को भेज दिया है, लेकिन राजभवन से ही अंतिम मुहर नहीं लगी है। गौरतलब है कि लगभग एक साल पहले विश्वविद्यालय ने इस संबंध में पहल की थी। कॉलेजों से आवेदन मांगे थे। उस समय पीजी कॉलेज ने दस एवं राजमाता सिंधिया गल्र्स कॉलेज ने चार विषयों में शोध केन्द्र बनाने के लिए छिंदवाड़ा विश्वविद्यालय में निरीक्षण शुल्क जमा किया था। उम्मीद थी कि शोध केन्द्र के लिए अप्लाई करने वाले कॉलेज विश्वविद्यालय के मापदंडों पर खरे उतरे तो उन्हें मान्यता मिल जाएगी। इसके बाद विद्यार्थी इन कॉलेजों से विभिन्न विषयों में शोध कर सकेंगे। इस सुविधा के हो जाने से जिले के विद्यार्थियों को पीएचडी के लिए जबलपुर, सागर, भोपाल सहित अन्य बड़े शहरों की दौड़ नहीं लगानी पड़ेगी। इसके अलावा कॉलेजों में शोध केन्द्र बन जाने से जिले के अधिक से अधिक विद्यार्थी शोध कर सकेंगे इससे उनकी क्वालिफिकेशन बढ़ेगी। इसके साथ ही कॉलेजों को कई सेंट्रल गर्वर्नमेंट के रिसर्च इस्टीट्यूट से फंडिंग होगी तो कॉलेज का इंन्फ्राट्रक्चर एवं शोध की सुविधाएं बढ़ेगी। एक दूसरे से मिलकर काम करने की संभावना बढ़ेगी। शोध होंगे तो पेंटेट होंगे और नेशनल रैकिंग सुधरेगी। हालांकि ऐसा हुआ नहीं। आवेदन के बाद विश्वविद्यालय ने राजमाता सिंधिया गल्र्स कॉलेज का ही निरीक्षण किया। इसके बाद आगे की कार्यवाहीं अब तक नहीं हुई है। बता दें कि छिंदवाड़ा विश्वविद्यालय ने उच्च शिक्षा के क्षेत्र में छिंदवाड़ा सहित सिवनी, बालाघाट, बैतूल में विद्यार्थियों को अधिक से अधिक सुविधा देने के लिए अक्टूबर 2020 में चारों जिलों के संबद्ध कॉलेजों से शोध केन्द्र बनाने हेतु आवेदन आमंत्रित किया था।
पीजी कॉलेज में दो विषयों के लिए था शोध केन्द्र
पीजी कॉलेज में भूगोल एवं राजनीति शास्त्र विषय में सागर विश्वविद्यालय से मान्यता प्राप्त शोध केन्द्र स्थापित था। इसके अलावा राजमाता सिंधिया गल्र्स कॉलेज में एक भी विषय का शोध केन्द्र नहीं था। जिले के इन दोनों ही प्रमुख कॉलेज में शोध केन्द्र हो जाने से विद्यार्थियों को काफी लाभ पहुंचेगा।
मापदंडों पर उतरना होगा खरा
छिंदवाड़ा विश्वविद्यालय में शोध केन्द्र के लिए अप्लाई करने वाले कॉलेजों को मान्यता तभी मिलेगी जब वे विश्वविद्यालय के मापदंड पर खरे उतरेंगे। विश्वविद्यालय को इन कॉलेजों में लाइब्रेरी, लैब, रिसर्च गाइड, ऑनलाइन रिर्सोसेज सहित अन्य बिन्दुओं को देखना है। इन सबकी व्यवस्था होने पर ही कॉलेजों को शोध केन्द्र बनाने की विश्वविद्यालय द्वारा अनुमति दी जाएगी।

इन कॉलेजों ने किया है अप्लाई
पीजी कॉलेज ने छिंदवाड़ा विश्वविद्यालय को बॉटनी, कमेस्ट्री, फिजिक्स, भूगोल, राजनीतिशास्त्र, अर्थशास्त्र, हिंदी, समाजशास्त्र, अंग्रेजी, इतिहास विषय में शोध केन्द्र बनाने के लिए निरीक्षण शुल्क जमा किया है। इसके अलावा राजमाता सिंधिया गल्र्स कॉलेज ने बॉटनी, जुलॉजी, हिंदी, होम साइंस विषय में, शासकीय परासिया कॉलेज ने इतिहास एवं कमेस्ट्री विषय में, शासकीय बिछुआ कॉलेज ने भूगोल एवं समाजशास्त्र विषय में एवं सिवनी जिले के बरघाट कॉलेज ने लाइब्रेरी साइंस विषय में रिसर्च केन्द्र बनाने के लिए अप्लाई किया है। सभी कॉलेज ने प्रति विषय 15 हजार रुपए भी निरीक्षण शुल्क के रूप में विश्वविद्यालय में जमा कराए हैं।
इनका कहना है..

आट्र्स, साइंस, सोशल साइंस, कॉमर्स सहित अन्य फैकल्टी लिए डीन के नाम का प्रस्ताव शासन को भेजा जा चुका है। राजभवन से ही सभी की नियुक्ति होनी है। शोध केन्द्र के संबंध में जल्द ही कॉलेजों का निरीक्षण होगा।
यूएस सालसेकर, कुलसचिव, छिंदवाड़ा विवि

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