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छिंदवाड़ा

Forest: इस उपज की प्रोसेसिंग और मार्केटिंग खुद करेंगे आदिवासी

हर्रई,तामिया,जुन्नारदेव और अमरवाड़ा के पांच सौ समूहों को 20 मशीनें देगी जिला पंचायत
 

छिंदवाड़ाFeb 26, 2020 / 11:38 am

manohar soni

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छिंदवाड़ा/जिले की प्रमुख वनोपज चिरौंजी की प्रोसेसिंग और मार्केटिंग आप खुद आदिवासी करेंगे। इसके मुनाफा का हकदार भी उन्हें बनाया जाएगा। हर्रई, तामिया, जुन्नारदेव और अमरवाड़ा विकासखंड के पांच सौ स्व-सहायता समूहों को 20 मशीनें जिला पंचायत मुहैया कराएगी और उन्हें इस व्यवसाय से जोड़ेगी।
गर्मी के सीजन में इस लघु वनोपज को आदिवासी महिलाएं-पुरुष जंगल से बीनकर लाते हैं और उसे बिचौलियों को ही बेचते रहे हैं। इससे बिचौलिए तो मालामाल और आदिवासी इस प्राकृतिक संपदा के होने के बावजूद गरीब है। वह सीजन में 80 से 90 रुपए किलो तक इस महत्वपूर्ण लघु वनोपज को बेच देते हैं। चिरौंजी का कोई समर्थन मूल्य ना होने से यह विडंबना कई सालों से चलती आ रही है। आदिवासियों को कभी भी उनकी मेहनत का सही मूल्य नहीं मिलता है। इस स्थिति को देखते हुए जिला पंचायत द्वारा इन क्षेत्रों में पांच सौ स्व-सहायता समूह को तैयार किया जा रहा है जिसमें करीब 6 हजार सदस्य होंगे। इन सदस्यों को चिरौंजी प्रोसेसिंग की मशीनें उपलब्ध कराई जाएंगी। इनसे चिरौंजी को मार्केटिंग के लायक बनाया जाएगा। इस समय चिरौंजी की मार्केट कीमत 1400 से 1600 रुपए प्रति किलो है।
जिला पंचायत सीईओ गजेन्द्र सिंह नागेश का कहना है कि हर्रई,अमरवाड़ा,तामिया और जुन्नारदेव विकासखंड में चिरौंजी प्रमुख लघु वनोपज है। इसकी प्रोसेसिंग और मार्केटिंग से आदिवासी को जोड़ा जाएगा और उन्हें आत्मनिर्भर बनाया जाएगा। इस संबंध में अधिकारियों की बैठक भी ली गई है।

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