केन्द्रीय विद्यालय क्रमांक-एक में प्राचार्य हरि प्रसाद धारकर नेे केन्द्रीय विद्यालय संगठन नई दिल्ली की पुस्तक उपहार योजना को और आगे बढ़ाया और इसमें वस्त्र उपहार जैसे नेक कार्य को शुरु कर दिया। प्राचार्य ने बताया कि कई गरीब विद्यार्थियों के पास ठंड में जैकेट नहीं थी। जैकेट थोड़ी महंगी आती है। जबकि स्कूल के ही कई विद्यार्थियों के पास जैकेट घर में थी और वह छोटी हो गई थी। मैंने विद्यार्थियों से आव्हान किया और विद्यार्थी स्वत: ड्रेस ले आने लगे। विद्यार्थियों को इस बात की खुशी होती है कि उनकी किताबें एवं ड्रेस किसी के काम आ रही है।
विद्यार्थी ड्रेस एवं किताबें उपहार स्वरूप स्कूल में दान करने से पहले बकायदा उसकी अच्छे से क्लीनिंग कराते हैं। एक अच्छा पैकेजिंग कराकर नए जैसे कपड़े करके उसे दान देते हैं। ऐसे ही किताबों के साथ भी वे करते हैं। जब गरीब विद्यार्थी इन उपहार को स्कूल से ले जाता है तो वह नई किताबों एवं ड्रेस का अनुभव करता है।
‘पत्रिका’ ने ‘आओ किताबें करें दान’ अभियान चलाया था, जिसका भारी प्रतिसाद मिला था। इस वर्ष पत्रिका जिले के अन्य केन्द्रीय विद्यालय एवं प्राइवेट स्कूलों से यह अपील करता है कि वे भी केन्द्रीय विद्यालय वन की तरह पहल करें और अपने ही स्कूल के विद्यार्थियों से उनकी पुरानी ड्रेस एवं किताबों दान कराएं और अपने स्कूल के जरूरतमंद बच्चों को प्रदान करें। इस एक कदम से कई बच्चों को मदद मिलेगी।
इनका कहना है…
केन्द्रीय विद्यालय संगठन नई दिल्ली की पुस्तक उपहार योजना पहले से चल रही है। मैंने वस्त्र उपहार योजना शुरु कराई है। विद्यार्थियों इससे काफी प्रभावित हैं। पिछले वर्ष कई विद्यार्थियों ने पुस्तक एवं ड्रेस जरुरतमंद विद्यार्थियों के लिए प्रदान किए थे। इस बार भी अपील की गई है। इससे संसाधनों के समुचित उपयोग, पर्यावरण सुरक्षा एवं दान की भावना का छात्रों में विकास होगा।
हरि प्रसाद धारकर, प्राचार्य, केन्द्रीय विद्यालय क्रमांक-वन