scriptबीच नदी में मिलने आए थे दो प्रेमी, हजारों लोगों ने कर दिया पथराव, सैकड़ों लोग घायल! | gotmar mela pandhurna 2021 | Patrika News
छिंदवाड़ा

बीच नदी में मिलने आए थे दो प्रेमी, हजारों लोगों ने कर दिया पथराव, सैकड़ों लोग घायल!

gotmar mela pandhurna 2021- 300 वर्षों से आज भी खेला जाता है खूनी खेल, 17वीं सदी के प्रेमियों की याद में पांढुर्ना में आज बरसते हैं पत्थर…।

छिंदवाड़ाSep 07, 2021 / 08:52 am

Manish Gite

pandurna2.png

पांढुर्नाः विश्व प्रसिद्ध गोटमार मेले में नदी के दोनों तरफ के गांव वाले एक दूसरे पर करते हैं पथराव।

छिंदवाड़ा/पांढुर्ना। प्रतिबंध के बावजूद 17वीं सदी की एक घटना आज भी दोहराई जाती है। कई थानों की पुलिस तैनात है। धारा 144 लगी है। इसके बावजूद भी यहां हजारों लोग पथराव करते हैं। इस खूनी खेल में कई लोगों की जान भी चली जाती है। घायलों की संख्या भी हजारों में पहुंच जाती है।

पांढुर्ना में पोला पर्व के दूसरे दिन विश्व प्रसिद्ध गोटमार मेले (gotmar mela pandhurna 2021) में यहां पथराव करने की परंपरा है। इस खूनी खेल में कई लोगों की मौत भी हो चुकी है। इसे देखते हुए प्रशासन ने एंबुलेंस और डॉक्टर भी तैनात कर दिए हैं। सांवरगांव और पांढुर्ना में लोगों के इलाज के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बनाए हैं, जहां घायलों का इलाज किया जाएगा।

 

Updates

 

 

8.45 pm

नदी के दोनों तरफ गांव में इस बार भारी पथराव की आशंका, ट्रैक्टर ट्रालियों में भरकर लाए गए हैं पत्थर। सांवरगांव और पांढुर्ना में दो-दो इमरजेंसी स्वास्थ्य केंद्र बनाए गए हैं। यहां घायलों का इलाज किया जाएगा। इसके साथ ही छिंदवाड़ा में गंभीर घायलों के लिए व्यवस्था की गई है।

 

8.40 pm

7 सितंबर मंगलवार को भी सुबह से यहां पत्थरबाजी के लिए लोग जुटने लगे हैं। यहां कभी भी पथराव शुरू हो सकता है। दो गांव के लोग मारते हैं पत्थर। युद्ध जैसा माहौल नजर आता है। यहां बरसों पुरानी परंपरा को आज भी दोहराया जाता है। बड़ी संख्या में देखने भी लोग पहुंचते हैं। यहां देखने वालों को भी जान का खतरा रहता है। न कोरोना का डर न गाइडलाइन का पालन। नदी के एक तरफ पांढुर्ना है और दूसरी तरफ सावरगांव है। दोनों ही गांव के लोग नदी के बीच स्थित झंडा लगाकर करते हैं पथराव।

 

8.15 pm

इससे पहले सुबह 5 बजे से ही यहां नदी के बीच में झंडा लगाकर पूजा करने का दौर चल रहा है। लोग पूजा-पाठ कर रहे हैं। इसके बाद दोनों तरफ से पथराव की रस्म निभाई जाएगी।

 

 

https://www.dailymotion.com/embed/video/x83zqno

7.50 pm

नदी किनारे स्थित यह जगह युद्ध भूमि जैसी नजर आती है। दिनभर यह रस्म चलती रहती है। सुबह शुरू हुए इस गोटमार मेले में दोपहर में पथराव और अधिक बढ़ जाता है। इसे देखते हुए पुलिस बल और घायलों को अस्पताल ले जाने के लिए एंबुलेंस तैनात की गई है।

 

7.40 pm

अमावस्या को यहां पर बैलों का त्यौहार पोला धूमधाम से मनाने के बाद, दूसरे दिन साबरगांव के सुरेश कावले परिवार की पुश्तैनी परम्परा के मुताबिक जंगल से पलाश के पेड़ को काटकर घर पर लाने के बाद उस पेड़ को सजाया जाता है और लाल कपड़ा, तोरण, नारियल, हार और झाड़ियां चढ़ाकर पूजन किया जाता है। सुबह से इस यह प्रक्रिया करने के बाद पथराव शुरू किया जाता है।

 

7.15 pm

पुलिस नदी की तरफ जाने वालोंं को बैरिकेडिंग करके रोक रही थी। नदी के दोनों तरफ ट्रेक्टर ट्रालियों में भरकर पत्थर लाए गए और नदी के किनारे डाल दिए गे। यही नजारा नद के दूसरी तरफ भी है।

 

7.00 pm

नदी के दोनों तरफ भारी पुलिस बल तैनात। विश्व प्रसिद्ध गोटमार मेले से पहले ही तैनात कर दिया गया था भारी पुलिस बल।

300 सालों से जाम नदी के तट पर पांढुर्ना और सांवरगांव के लोग एक दूसरे पर पत्थर फेंककर रस्म अदायगी करते हैं। इस खूनी खेल के लिए पुलिस और प्रशासन ने व्यापक इंतजाम पहले ही कर लिए थे। किंवदंती है कि सावरगांव की एक आदिवासी कन्या का पांढुर्ना के किसी लड़के से प्रेम हो गया था। दोनों ने चोरी छिपे प्रेम विवाह कर लिया। जब लड़का और लड़की जाम नदी के बीच में से गुजर रहे थे, तभी सावरगांव के लोगों ने इन पर हमला कर दिया। फिर इसकी जानकारी पांढुर्ना के लोगों को लगी तो पांढुर्ना के लोग भी जवाब में पथराव करने लगे। नदी के दोनों तरफ से हुए पथराव में दोनों प्रेमियों की मृत्यु जाम नदी में ही हो गई थी। अब इस स्थान पर यह पथराव रस्म अदायगी के लिए होता है। मां चंडिका की पूजा-अर्चना कर गोटमार मेले का आयोजन किया जाता है।

 

विश्व प्रसिद्ध है यह मेला

 

pandurna1.jpg

पत्थरबाजी बंद करने के प्रयास विफल

मानव अधिकार आयोग की सिफारिशों पर प्रशासन वर्ष 2009 से कई बार इस मेले में पत्थरबाजी बंद करने के प्रयास कर चुका है, लेकिन सफलता नहीं मिल सकी। इस मेले में हर वर्ष करीब 400 लोग घायल होते हैं। इसके साथ ही अनेक की मौत भी हो चुकी है। फिर भी मेले की परम्परा कायम है। पिछले वर्ष कोरोना संक्रमण के बावजूद मेला हुआ और इस बार भी पुराने स्वरूप में स्थानीय लोग इस रस्म अदायगी को पूरा करने प्रतिबद्ध दिख रहे हैं। इधर, कलेक्टर सौरभ कुमार ने धारा 144 के तहत प्रतिबंधात्मक आदेश जारी किए।

 

प्रशासनिक इंतजाम

 

 

pandurna-01.jpg

भारी पुलिस बल मौजूद

जिले के सभी थाना और चौकी का स्टाफ गोटमार मेले में ही तैनात है। पुलिस अधीक्षक विवेक अग्रवाल और अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक संजीव कुमार उइके भी पूरे समय गोटमार मेले की प्रत्येक गतिविधि पर नजर बनाए हुए हैं। पुलिस अधीक्षक अग्रवाल ने बताया कि गोटमार मेले में 10 डीएसपी, 18 निरीक्षक, 400 जिला पुलिस बल एवं एसएएफ की 2 टुकड़ी तैनात है। सोशल मीडिया पर प्रसारित होने वाले संदेशों पर भी नजर रखी जा रही है।

Home / Chhindwara / बीच नदी में मिलने आए थे दो प्रेमी, हजारों लोगों ने कर दिया पथराव, सैकड़ों लोग घायल!

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो