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इस बारिश में भी तिरपाल के भरोसे रहना होगा शासकीय कर्मचारियों को, आवासों के हाल बेहाल

खुद के खर्चें पर छत की करते है मरम्मत व बिछाते है हजारों रुपए की तिरपाल, सबसे बुरे हाल शिक्षा, वनविभाग व पीडब्ल्यूडी विभाग के आवासों के

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जर्जर आवास

जर्जर आवास

छिंदवाड़ा. शासकीय कर्मचारियों को शासकीय आवास की सुविधा दी जाती है लेकिन सुविधाओं के नाम पर शासकीय कर्मचारी ठगा जाता है। आवास तो सालों से खड़े है लेकिन उसका रखरखाव नहीं होने से वह रहने लायक नहीं बचे है। वर्तमान में कई आवास तो कई दशक पुराने है जो कि कंडम घोषित हो गए है जिन्हें तोड़ा जाना चाहिए। कई आवास तो अंग्रेजों के समय के है जिनमें अभी भी विभाग के कर्मचारी रह रहे है।

पीडब्ल्यूडी, शिक्षा व वन विभाग के आवास में वर्तमान में काफी जर्जर-जर्जर अवस्था में पहुंच गए है लेकिन फिर भी कर्मचारी व उनका परिवार उनमे रहने को मजबूर है। जिनके सुधार कार्य के लिए विभाग के पास बजट का टोटा बना हुआ है, जबकि अधिकारियों के बंगलों पर मनमाना बजट खर्च होता है।

  • अब नहीं रहती आवास पाने होडएक समय था जब शासकीय कर्मचारियों में शासकीय आवास पाने की होड़ लगी रहती थी। आवास पाने के लिए सैकड़ों आवेदन लगते थे। किसी कर्मचारी के रिटायर होने की सूचना लगते ही कर्मचारी अधिकारियों के चक्कर लगाने में जुट जाते थे, लेकिन अब इन शासकीय आवासों को पाने कोई होड़ नजर नहीं आती है। पूर्व में विभाग आवासों का मेंटनेंस के लिए बजट उपलब्ध कराता था जिससे पुताई, छत मरम्मत, फर्श सुधार होता था लेकिन अब किसी तरह का बजट खर्च होता नजर नहीं आता है। खजरी मार्ग स्थित पीडब्ल्यूडी कॉलोनी में तो कई आवास जर्जर होने के कारण बंद पड़े है तो कई में लोग सुधार कार्य करवा कर रह रहे है।
  • नए आवास बने पर पुराने भूलेवन विभाग की बात की जाए तो अधिकारियों के नए कार्यालय के साथ बंगले व तीन रेंज कार्यालय तथा कर्मचारी आवासों का निर्माण पूर्व में खजरी मार्ग के समीप किया गया। लेकिन विभाग उन पुराने आवासों को भूल गया है जिसमें अभी भी उनके कर्मचारी रह रहे है। यहीं स्थिति अन्य विभागों की भी बनी हुई है नई इमारतों का निर्माण तो हो रहा है लेकिन कर्मचारी आवासों को विभाग मेंटनेंस करना भूल गया है।
  • इसलिए है मजबूरशासकीय कर्मचारी एक बार शासकीय आवास पाने के बाद कई वर्षों तक इन आवासों में अपने परिवार के साथ रहता है। शासकीय विभागों में कर्मचारियों को आवास भत्ता जितना मिलता है उससे अन्य स्थान पर किराए से एक कमरा मिलना मुश्किल है ऐसे में उनकी मजबूरी बन जाती है कि वह इन शासकीय आवासों में रहे। शुरूवात में इन शासकीय आवासों में वह काफी पैसा खर्च करते है फिर प्रतिवर्ष कुछ पैसा खर्च कर व्यवस्थाएं बनाते रहते है।
  • जहरीले कीड़ों से परेशानवर्तमान में सबसे ज्यादा शासकीय आवास वन विभाग तथा पीडब्ल्यूडी विभाग के हैँ तथा वन विभाग ने अधिकारियों व कर्मचारियों के लिए नए आवासों का निर्माण कराया गया है। बारिश के समय इन आवासों पर जहरीले कीड़े निकलते है क्योंकि इन आवासों की छत व फर्श खराब हो गए है। इन आवासों को तोडकऱ नए आवास बनाने की मांग कर्मचारी करते आ रहे है वहीं इन आवासों के आसपास पर्याप्त जमीन उपलब्ध है।
  • विभागों के कितने आवास हो गए जर्जर (खजरी मार्ग पर)विभाग आवास संख्यावन विभाग 35पीडब्ल्यूडी 20पीएचई 15शिक्षा 12
  • इनका कहना है।इस ओर जिला प्रशासन का ध्यान है, पीडब्ल्यूडी को कहा गया है कि वह प्रपोजल तैयार करें तथा बजट की स्वीकृति के साथ शासकीय आवासों का सुधार कार्य करवाया जाएगा। जिन विभागों के शासकीय आवास जर्जर है उन्हें भी कार्ययोजना बनाने के लिए कहा जाएगा।शीलेंद्र सिंह, कलेक्टर, छिंदवाड़ा।