जिला शिक्षा अधिकारी आरएस बघेल ने बताया कि उक्त व्यवस्था के चलते संचालित स्कूलों की संख्या घटकर आधी हो गई है। उन्होंने बताया कि एक शाला एक परिसर कार्यक्रम के तहत 1156 स्कूलों को एक करने पर अब एंकर स्कूलों की संख्या 503 हो गई है।
ये होंगे बदलाव
एक परिसर में संचालित अलग-अलग स्कूलों का एकीकरण तथा वरिष्ठ स्कूल के नाम से संस्था की पहचान, संचालन होगा। हालांकि महापुरुषों या विभूति के नाम से स्कूल होने पर वही नाम रहेगा तथा एकीकृत शाला का डाइस कोड भी एंकर शाला के अनुसार रहेगा। वरिष्ठतम संस्था के प्राचार्य या प्रधानाध्यापकों अथवा प्रभारी होने पर वरिष्ठता के आधार पर संस्था संचालन की जिम्मेदारी रहेगी। एकीकृत शाला में मौजूद समस्त विद्यालय, शैक्षणिक एवं अन्य अमला का उपयोग किया जा सकेगा। साथ ही समस्त गतिविधियां शासकीय निर्देशों के आधार पर संचालित की जाएंगी।
यह मिलेगा फायदा
एकीकृत शाला की कक्षा संचालन के लिए समय सारिणी तैयार करना तथा तय करना कि कोई भी कॉलखंड शिक्षक विहीन नहीं होगा तथा स्थिति निर्मित होने पर एंकर शाला प्रमुख द्वारा व्यवस्था बनाई जाएगी। प्राचार्य, प्रधानाध्यापक एवं समस्त शैक्षिक अमला सप्ताह में निर्धारित मापदंड के अनुसार बच्चों को पढ़ाएगा। मासिक समीक्षा के आधार पर शैक्षणिक गुणवत्ता परखी जाएगी। एकीकृत शाला के तहत वार्षिक कार्ययोजना तैयार की जाएगी।
विकासखंड एंकर शाला संख्या
1. अमरवाड़ा 71
2. चौरई 69
3. छिंदवाड़ा 99
4. मोहखेड़ 69
5. पांढुर्ना 65
6. परासिया 79
7. सौंसर 51
(जिला शिक्षा कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार)