उल्लेखनीय है कि विगत सप्ताह भोपाल से तीन सदस्यों का दल वित्तीय मामलों की जांच करने सीएमएचओ कार्यालय छिंदवाड़ा पहुंचा था। जांच के दौरान स्वास्थ्य संस्थाओं में किए गए रंगरोगन और मरम्मत पर एक करोड़ चालीस लाख रुपए खर्च करने का मामला सामने आया। जब जांच दल ने किए इसका ब्योरा मांगा तो विभाग प्रस्तुत नहीं कर पाया।
कैशियर समझ नहीं सकी तो मंैने दिखाया
जांच दल के समक्ष दस्तोवज प्रस्तुत करते समय कैशियर कन्फ्यूज हो गई थी। दोपहर एक बजे जब मैं कार्यालय पहुंचीं तो सभी दस्तोवज टीम के समक्ष प्रस्तुत किए गए। टीम इससे संतुष्ट थी। बाद में पैसों की मांग की गई। नहीं दिए तो मामले को तूल दिया गया।
भारती तिकाडे़, लेखापाल सीएमएचओ कार्यालय
सभी खर्चों के मौजूद हैं दस्तावेज
शासन से स्वीकृत बजट पर किए गए सभी खर्चों के दस्तावेज विभाग के पास मौजूद हैं। कभी भी इसकी जांच कराई जा सकती है। ऑडिट टीम द्वारा मामले को तूल देकर क्लीन चिट देने के लिए बेवजह पांच लाख रुपए मांगने के लिए दबाव बनाया जा रहा था।
डॉ. जेएस गोगिया, सीएमएचओ छिंदवाड़ा
रंगरोगन तथा मरम्मत कार्यों पर किए गए एक करोड़ चालीस लाख रुपए के बिल-बाउचर प्रस्तुत नहीं किए गए। जब आपत्ति लगाई गई तो जिस होटल में टीम ठहरी थी, वहां आकर पैसों का प्रलोभन दिया गया। टीम ने सही जांच की है। निर्माण सम्बंधी प्रकरण होने पर सिविल इंजीनियर की विशेष टीम को जांच के लिए भेजने का अनुमोदन किया जाएगा।
प्रभाकर ढोके, लेखापाल, मप्र स्वास्थ्य संचालनालय भोपाल