बेटा-बेटी की शादी सिर पर है। उधारी में लिए गए खाद बीज के पैसे देने हैं। अगली फसल की तैयारी करनी है, लेकिन मक्का की कम कीमत ने किसानों के हाथ पैर बांध के रख दिए हैं। कई किसानों को तो लागत निकलनी भी मुश्किल लग रही है। सरकारी भाव को लेकर प्रदेश सरकार ने अभी तक स्थिति स्पष्ट नहीं की है। बोनस को लेकर भी असमंजस की स्थिति है। सरकार ने बोनस के संबंध में कोई घोषणा नहीं की है।
किसानों को उम्मीद है कि प्रदेश सरकार उनके जख्म पर मरहम लगाएगी। बोनस और मुआवजे के तौर पर राहत देकर उनकी उदासी कम करेगी, लेकिन सर्वे होने के बावजूद अतिवृष्टि से प्रभावित फसल का मुआवजा अभी तक नहीं मिला है। कई महीने से किसान मुआवजे का इंतजार कर रहे हैं। अतिवृष्टि से 12 हजार से ज्यादा किसानों की फसल नष्ट हुई है। जिले में दस करोड़ से ज्यादा मुआवजा बंटना है। डिमांड भेजने के बाद भी राशि प्राप्त नहीं हुई है। प्रदेश सरकार को शीघ्र बोनस और मुआवजे की घोषणा कर किसानों को राहत देनी चाहिए।