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छिंदवाड़ा

भागवताचार्य के विचार सुन भक्त हुए भावविभोर, पढ़ें पूरी खबर

शरीर में भक्ति की कमी से सारा दुख, दुख लगता है।

छिंदवाड़ाDec 18, 2018 / 01:09 pm

ashish mishra

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भक्ति के हृदय में निवास करते ही कम होगा माया का प्रभाव


छिंदवाड़ा. शरीर में भक्ति की कमी से सारा दुख, दुख लगता है। सारा संसार समस्याओं से भरा पड़ा है। क्या मीरा, प्रहलाद, ध्रुव, सुदामा को कोई दुख नहीं था। हम सब पर माया का पर्दा पड़ा है, लेकिन जिस समय भक्ति हमारे हृदय में निवास कर लेगी फिर माया का प्रभाव अपने आप कम होने लगेगा। ये बातें माता मंदिर बरारीपुरा में चल रही भागवत कथा के छठवें दिन कथा वाचक एमएल शास्त्री ने कही। उन्होंने रासलीला, गोविंद बिरह, मथुरा गमन, रुक्मिणी विवाह का वृत्तांत विस्तार से सुनाया। उन्होंने कहा कि कलयुग में केवल हरिनाम संकीर्तन से भक्ति बढ़ेगी। क्योंकि हमारा जीवन क्षण भंगुर का है। जब चीरहरण हो रहा था तब चीर बढ़ाया, प्रहलाद के लिए खम्बे में आए, सुदामा को धनवान बनाया। भगवान आते हैं जब कोई उन्हें सच्चे मन से पुकारता है। उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति लगातार बिगड़ रही है। पाश्चात्य संस्कृति हावी हो रही है। आजकल घरों के द्वार पर वेलकम लिखा जाता है जबकि हमें द्वार पर स्वास्तिक, ओम, कलश बनाने चाहिए। भागवत कथा में श्रीकृष्ण रुक्मिणी विवाह प्रसंग आया। रुक्मिणी का भाई रुक्म अपनी बहन का विवाह शिशुपाल के साथ करना चाहता था, लेकिन रुक्मिणी श्रीकृष्ण से विवाह करना चाहती थीं। रुक्मिणी ने एक पत्रिका पंडित के हाथ द्वारिका पुरी भेजी। पत्रिका में लिखा प्रभु सायंकाल से पहले पधारो और मेरे प्राणों की रक्षा करो। भयंकर युद्ध हुआ अंत में भगवान ने रुक्मिणी से विवाह किया। कथा पांडाल भगवान की जयकारों से गूंजने लगा। इस अवसर पर कथा का श्रवण करने काफी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे।
मन शुद्धि का साधन है भागवत
श्रीमद् भागवत सम्पूर्ण सिद्धांतों का निष्कर्ष है। भागवत कथा को सुनने से जन्म-मृत्यु के भय का नाश होता है। यह ग्रंथ भक्ति के प्रवाह को बढ़ाता है। यही नहीं भगवान श्रीकृष्ण को प्रसन्न करने का यह प्रधान साधन है। मन की शुद्धि के लिए श्रीमद् भागवत से बढक़र कोई साधन नहीं है। यह उद्गार सोमवार को परासिया रोड पर षष्ठी माता मंदिर में आयोजित साप्ताहिक श्रीमद् भागवत ज्ञान यज्ञ में वृंदावन से आए ब्रजनंदन महाराज ने व्यक्त किए। कथा व्यास ने कहा कि मानव कल्याण के लिए श्रीमद् भागवत कथा का उच्चारण करना चाहिए। इसमें इंसान के जीवन का सार छिपा है। श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण करने एवं इसके उच्चारण करने मात्र से इंसान को मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। कथा का श्रवण करने काफी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे।

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