इसके तहत वित्तीय वर्ष मार्च 2016 को एसबीआइ ने 26 महीने का एक साथ किराया 78 हजार रुपए का भुगतान जिला अस्पताल की रोगी कल्याण समिति को किया। इसका उस समय की ऑडिट रिपोर्ट में उल्लेख भी किया गया है, लेकिन वित्तीय वर्ष 2016 के बाद से अब तक एटीएम कक्ष के किराए का न तो कोई रिकार्ड है और न ही दस्तावेज उपलब्ध है। इसके चलते उक्त मामले में भारी भ्रष्टाचार किए जाने के सवाल उठने लगे है।
जांच में सामने आ सकते है कई मामले –
विभागीय अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार प्रबंधन ने रोगी कल्याण समिति का लाखों रुपया राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के कार्यों पर खर्च कर दिया, जबकि किए गए खर्चों के लिए एनएचएम द्वारा भी पैसा जारी किया गया था, जिसे ऑडिट में दर्शा भी दिया गया था।
विभागीय अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार प्रबंधन ने रोगी कल्याण समिति का लाखों रुपया राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के कार्यों पर खर्च कर दिया, जबकि किए गए खर्चों के लिए एनएचएम द्वारा भी पैसा जारी किया गया था, जिसे ऑडिट में दर्शा भी दिया गया था।
इधर रोगी कल्याण समिति की रिपोर्ट पर सीए ने आपत्ति दर्ज कर दी तथा जो बिल-बाउचर एनएचएम की ऑडिट में दर्शाए गए उन्हें रोगी कल्याण समिति की ऑडिट में दिखाने का प्रयास किया गया। बताया जाता है कि अब तक उक्त मामला लंबित है, जिसकी सूक्षमता से जांच करने पर कई प्रकरणों का खुलासा हो सकता है।
जांच के बाद दोषियों के खिलाफ होगी कार्रवाई – एसबीआइ एटीएम कक्ष के किराए के संबंध में बैंक से दस्तावेजों की कॉपी मांगी जाएगी तथा पिछले कई सालों से किराया आरकेएस के पास जमा नहीं होने की जांच कराई जाएगी। मामले में जो भी दोषी पाया जाएगा उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
– डॉ. सुशील दुबे, आरएमओ जिला अस्पताल