पापा की इच्छा को बनाया सपना
आकांक्षा ने बताया यह खेल उनके पापा बहुत पसंद करते थे। उनकी इच्छा थी कि मैं यह खेल खेलूं। पापा ने मुझे वर्ष 2000 में टीवी पर पूरा ओलंपिक खेल देखने को कहा। मैं उस समय कक्षा 8वीं में पढ़ रही थी। वर्ष 2003 में पापा का देहांत हो गया। पापा की इच्छी को मैंने अपना सपना बनाया और फिर वेटलिफ्टिंग खेल में दिलचस्पी लेने लगी। एक साल में अंडर-16 प्रतियोगिता में एमपी को सात साल बाद वेटलिफ्टिंग खेल में गोल्ड मेडल दिलाया। इसके पश्चात आकांक्षा का चयन साईं हास्टल लखनऊ में हो गया। उन्होंने वहां वेटलिफ्टिंग खेल के गुर सीखे। वर्ष 2008 में पंजाब में आयोजित ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी प्रतियोगिता में ब्राउंज मेडल जीता। उन्होंने इस बीच नेशनल लेबल के कई मेडल जीते। आकांक्षा कहती हैं कि उस समय मेरे पास इतने पैसे नहीं थे कि मैं अपनी डाइट मेंटेन कर सकूं। मैंने पुलिस की नौकरी ज्वाइन कर ली। अगर मुझे सुविधाएं मिली होती तो पुलिस ज्वाइन न करके खेल पर ही ध्यान केन्द्रित करती।
आकांक्षा ने बताया यह खेल उनके पापा बहुत पसंद करते थे। उनकी इच्छा थी कि मैं यह खेल खेलूं। पापा ने मुझे वर्ष 2000 में टीवी पर पूरा ओलंपिक खेल देखने को कहा। मैं उस समय कक्षा 8वीं में पढ़ रही थी। वर्ष 2003 में पापा का देहांत हो गया। पापा की इच्छी को मैंने अपना सपना बनाया और फिर वेटलिफ्टिंग खेल में दिलचस्पी लेने लगी। एक साल में अंडर-16 प्रतियोगिता में एमपी को सात साल बाद वेटलिफ्टिंग खेल में गोल्ड मेडल दिलाया। इसके पश्चात आकांक्षा का चयन साईं हास्टल लखनऊ में हो गया। उन्होंने वहां वेटलिफ्टिंग खेल के गुर सीखे। वर्ष 2008 में पंजाब में आयोजित ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी प्रतियोगिता में ब्राउंज मेडल जीता। उन्होंने इस बीच नेशनल लेबल के कई मेडल जीते। आकांक्षा कहती हैं कि उस समय मेरे पास इतने पैसे नहीं थे कि मैं अपनी डाइट मेंटेन कर सकूं। मैंने पुलिस की नौकरी ज्वाइन कर ली। अगर मुझे सुविधाएं मिली होती तो पुलिस ज्वाइन न करके खेल पर ही ध्यान केन्द्रित करती।