मिडिल कक्षाओं की घर में की पढ़ाई
सोनाली कक्षा छठवीं में पढ़ती थी, उस समय अचानक उसके शरीर में बदलाव आने से पैरों का स्वरूप बदल गया। इसके कारण वह बिना किसी सहारे के चल नहीं पाती है। इसलिए पिता को स्कूल नहीं भेजने का फैसला लेना पड़ा, लेकिन छात्रा अपनी पढ़ाई जारी रखना चाहती थी। इसलिए उसने बिना स्कूल गए कक्षा छठवीं, सातवीं व आठवीं का अध्ययन घर में किया। हालांकि परीक्षा देने के लिए वह परिजन की मद्द से स्कूल जाती थी। वर्तमान में वह कक्षा ग्यारहवीं की नियमित छात्रा है तथा बस से स्कूल आती-जाती है।
बहुउद्देशीय समाज सेवा संस्थान करता मदद
बताया गया कि दिव्यांगों की मदद के लिए बहुउद्देशीय समाज सेवा संस्थान, नागपुर हमेशा तत्पर रहता है। संस्था के सदस्य स्वयं के खर्च पर दिव्यांगों की चिकित्सकीय जांच के लिए छिंदवाड़ा लेकर आते एवं लेकर जाते हैं। साथ ही आवश्यक मदद भी करते हंै। ब्लॉक समन्वयक विष्णु टांडेकर, गजानंद कडवे, शेषराव भोजने, जयराम वर्मा, गणेश सरयाम आदि ने सहयोग दिया।
इलाज में अब तक 5 लाख हुए खर्च
पिता कोमल पवार ने बताया कि बेटी की तबीयत बिगडऩे पर उन्होंने कई जगह इलाज कराया, लेकिन बच्ची के हालत में सुधार नहीं हो सका। उन्होंने बताया कि अब तक इलाज पर पांच लाख रुपए खर्च हो चुके है। खेती-किसानी के जरिए परिवार का पालन-पोषण करते हैं। बेटी को डॉक्टर बनाने के लिए वे हरसंभव प्रयास करेंगे।