ग्लोबल वार्मिंग के चलते बिगड़ते मौसम चक्र से पूरा समाज चिंतित है। हर किसी के मन में पर्यावरण को सुरक्षित करने पौधे लगाने और उनकी सुरक्षा का संकल्प आ गया है। रक्षाबंधन पर सभी पर्यावरण प्रेमी पेड़ों को रक्षासूत्र बांधेंगे और सुरक्षा का प्रण लेने दूसरों को प्रेरित करेंगे।
विनोद तिवारी, पर्यावरणविद्।
आदिवासी समाज में 750 गोत्र के हिसाब से इतने ही पेड़ और जीव देवी-देवताओं के रूप में पूजे जाते हैं। इसलिए उन्हें प्रकृति प्रेमी कहा जाता है। रक्षाबंधन पर रक्षा सूत्र बांधने की परम्परा रही है। यह खुशी की बात है कि आदिवासियों की इस परम्परा को पूरा समाज स्वीकारने लगा है।
विजय सिंह कुसरे,समाजसेवी।
भाई-बहनों के बीच प्रेम के रिश्ते का नाम ही रक्षाबंधन है। पर्यावरण की रक्षा की दिशा में समाज अपने आसपास मौजूद पेड़ों को रक्षा सूत्र बांधकर उनकी सुरक्षा कर लें तो मौसम चक्र अपने आप सुधर जाएगा।
-रविन्द्र सिंह कुशवाहा, वृक्षमित्र