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चित्तौड़गढ़

मानसून भले ही ना आया लेकिन अग्रदूत पहुंच गए

चित्तौडग़ढ़. जिले में भले ही मानसून की रंगत अभी पूरी तरह से नहीं छाई हो लेकिन मानसून के अग्रदूत माने जाने वाले जेकोबिन्स कूकू नामक पक्षी अब जिले में दिखाई देने लगे है। इन पक्षियों को बेगूं क्षेत्र के मोडिया महादेव वन क्षेत्र में अटखेलियां करते हुए देखा गया है। इससे यह माना जा रहा है कि आने वाले दिनों मानसून पूरी तरह से सक्रिय होगा।

चित्तौड़गढ़Jul 03, 2020 / 07:51 pm

Avinash Chaturvedi

मानसून भले ही ना आया लेकिन अग्रदूत पहुंच गए

मानसून भले ही ना आया लेकिन अग्रदूत पहुंच गए

चित्तौडग़ढ़. जिले में भले ही मानसून की रंगत अभी पूरी तरह से नहीं छाई हो लेकिन मानसून के अग्रदूत माने जाने वाले जेकोबिन्स कूकू नामक पक्षी अब जिले में दिखाई देने लगे है। इन पक्षियों को बेगूं क्षेत्र के मोडिया महादेव वन क्षेत्र में अटखेलियां करते हुए देखा गया है। इससे यह माना जा रहा है कि आने वाले दिनों मानसून पूरी तरह से सक्रिय होगा।
ऐसा माना जाता है कि यह पक्षी अफ्रीका में पाया जाता है और अरब सागर से उठने वाली मानसूनी हवाओं के साथ-साथ मध्य एवं उत्तरी भारत में प्रवास पर आता है। इस पक्षी को मानसून का अग्रदूत भी कहा जाता है। इस पक्षी की कुछ स्थानीय आबादी दक्षिणी भारत में भी पाई जाती है। बीते कुछ दिनों से यह चित्तौडग़ढ़ जिले के बेगूं क्षेत्र के मोडिया महादेव के जंगलों में दिखाई देने लगेा है।
दूसरे पक्षियों के घोसलों में देता हैं
यह कोयल के परिवार का पक्षी है । कोयल की तरह ही यह पक्षी स्वयं घोंसला नहीं बनाता है जबकि इसकी मादा पक्षी दूसरे पक्षियों जैसे कौवे, बुलबुल, बेबलर आदि पक्षियों के घोसलों में चुपके से अपने अंडे दे देती है तथा वह पक्षी अपने अंडे समझ कर ही चातक के अंडे को सेते है और इसके बच्चों का पालन पोषण करते हैं। इस प्रक्रिया को बर्ड पैरा साईटिस्म कहते हैं।
इसको लेकर है केवल पौराणिक मिथक
कालिदास के मेघदूत सहित कई अन्य ग्रंथो एवं कई पौराणिक मान्यताओं के अनुसार चातक एक पक्षी होता हैं जो कि स्वाति नक्षत्र की बारिश की पहली बूंदों से ही अपनी प्यास बुझाता है। कहते है कि बारिश आने पर अपनी चोंच को आसमान उठाकर बैठा रहता है और बारिश की बूंदे जब सीधे ही चोंच में गिरती है तो ही वह पानी पिता है। इस पक्षी को बहुत प्यास भी लगी हो और साफ सुथरी झील, तालाब या अन्य जल स्त्रोत में भी डाल दिया जाए तो भी यह पानी नहीं पिता है और अपनी चोंच को बंद कर लेता हैं जिससे पानी इसके मुहं में न चला जाये । लेकिन इन दिनों जंगल में यह पक्षी पानी पीते हुए देखा गया है। इससे यह बात मिथक साबित हो रही है। बेगूँ निवासी पक्षी प्रेमी राजू सोनी ने बताया कि यह सिर्फ मिथक है और ऐसा बिल्कुल नहीं होता हैं । यह पक्षी भी अन्य पक्षियों की तरह अपनी प्यास नदी, झील, तालाब आदि के पानी से बुझाता है। क्योकि यह पक्षी मानसून के दौरान ही नजर आता है अत: इस प्रकार के मिथक चले आ रहे हैं।
यह होता है आकार
इसे जेकोबिन्स कुकू या पाईड क्रे स्टेड कुकू भी कहते हैं। यह लगभग 15 इंच का एक काले रंग का पक्षी होता हैं। इसका नीचला हिस्सा सफेद होता है। सिर पर काली रंग की एक चोटी होती है ।

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