8 महीने पहले पद्मिनी महल में लगे शीशे तोडऩे वाली करणी सेना ने एक बार फिर से महल के बाहर लगे पुरातत्व विभाग केशिला पट्ट को नहीं हटाने पर पहले की तरह कार्रवाई की चेतावनी दी है। पद्मिनी महल के बाहर लगे इस पट्ट पर लिखा है कि महारानी पद्मिनी के सौंदर्य की झलक यहां शीशे में दिखाई गई थी। करणी सेना पहले भी इस शिला पट्ट को लेकर नाराजगी जता चुकी है।
.. इधर जारी है आंदोलन
फिल्म पद्मावती की रिलीज डेट भले ही टल गई हो, लेकिन चित्तौडग़ढ़ में फिल्म का विरोध कर रहे सर्वसमाज का दुर्ग मार्ग स्थित पाडनपोल पर धरना जारी है। इस फिल्म के विरोध में रविवार से उपवास शुरू कर दिया गया है। इसमें पहले दिन में दो जोड़ों सहित राजपूत समाज की 14 महिलाओं ने उपवास शुरू किया। मेवाड़ राजघराने की कुलदेवी बायण माता, कालिका माता व अन्नपूर्णा माता के साथ जौहर स्थल पर वीर वीरांगनाओं की पूजा की गई। इसके बाद धरनास्थल पर उपवास शुरू हुआ।
उदयपुर में प्रताप सेना मेवाड़, महादेव युवा संस्था नवयुवक मंडल सुखेर की ओर से संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावती के विरोध में रविवार को रैली निकाली गई। भुवाणा चौराहे पर पहुंचे कार्यकर्ताओं ने भंसाली और अभिनेत्री दीपिका पादुकोण का पुतला जलाया। कार्यकर्ताओं ने भंसाली के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। मेवाड़ क्षत्रिय महासभा और शिव सेना ने उदयपुर भी फिल्म को प्रतिबंधित करने की मांग कर रहे हैं। संगठनों का कहना है फिल्म में ऐतिहासिक पात्रों का गलत चित्रण किया जा रहा है। बीएन विश्विद्यालय के विद्यार्थी भी चेतावनी दे चुके हैं कि उदयपुर के किसी भी थियेटर में इस फिल्म को नहीं चलने दिया जाएगा।
कुम्भलगढ़ के प्रसिद्ध कवि माधव दरक का मानना है कि इतिहास को विकृत रूप में दिखाने वाली फिल्मों का प्रदर्शन नहीं होना चाहिए। पद्मावति फिल्म को लेकर देश में चल रहे हालात ठीक नहीं है। इस फिल्म में फिल्मकार ने इतिहास के साथ छलावा किया है। कोई भी फिल्मकार इतिहास को चाहकर भी नहीं बदल सकता। रानी पद्मावती ने अपने देश व मेवाड़ की शान और इज्जत बचाई है। एेसे में फिल्मकार भंसाली ने उसको जिस तरह से पेश किया है कि उसका मैं खुले रूप से विरोध करता हूं। इस फिल्म को पर्दे पर ना दिखाया जाए। दरक ने कवि सम्मेलनों में फूहड़ मजाक को भी गलत बताया।