गौरतलब है कि सालों से कृष्णधाम सांवलियाजी में भगवान की बेवाण यात्रा निकाली जाती है। इस अवसर पर भगवान को गंगाजल से स्नान करवाया जाता है। फिर फूलों से विशेष श्रंगार किया जाता है। भगवान के बाल स्वरूप को मंदिर चौक में रखे चांदी के बेवाण में विराजित कर विशेष पूजा व आरती की जाती है। उसके बाद भगवान की बेवाण यात्रा निकाली जाती है। इस यात्रा में बड़ी संख्या में श्रद्धालु हिस्सा लेते है। लेकिन इस बार कोरोना महामारी के चलते ऐसा नहीं हो रहा।
चित्तौडगढ़ के मंडफिया स्थित श्री सांवलिया सेठ का मंदिर करीब 450 साल पुराना है। मेवाड़ राजपरिवार की ओर से इस मंदिर का निर्माण करवाया गया था। मंडफिया मंदिर कृष्ण धाम के रूप में सबसे ज्यादा प्रसिद्द है। यह मंदिर चित्तौडग़ढ़ रेलवे स्टेशन से 41 किमी एवं डबोक एयरपोर्ट-उदयपुर से 65 किमी की दुरी पर स्थित है। सांवलिया जी का संबंध मीरा बाई से बताया जाता है। मान्यता के अनुसार मंदिर में स्थित सांवलिया जी मीरा बाई के वही गिरधर गोपाल है जिनकी वह पूजा किया करती थी। सांवरिया सेठ की ऐसी मान्यता है जिसके कारण देश के कोने-कोने व विदेशों से हर साल करीब एक करोड़ लोग मंदिर के दर्शन के लिए आते हैं। मंदिर के पुजारियों के अनुसार हर माह करीब साढ़े 8 से 9 लाख के बीच श्रद्धालु मंदिर में आते हैं।