विनाश रहित विकास ही सुखद भविष्य का आधार
एक तरफ जहां आदिकाल से ही भारतीय मनुष्यों ने अपनी परम्पराओं, दिनचर्या और आजीविका के कार्यो में प्रकृति को महत्व देकर उसके सरंक्षण का कार्य किया है
विनाश रहित विकास ही सुखद भविष्य का आधार
चित्तौडग़ढ़. एक तरफ जहां आदिकाल से ही भारतीय मनुष्यों ने अपनी परम्पराओं, दिनचर्या और आजीविका के कार्यो में प्रकृति को महत्व देकर उसके सरंक्षण का कार्य किया है, वहीं पश्चिमी देशों ने प्रकृति का अंधाधुन दोहन किया । केवल आर्थिक विकास को ही प्रगति का आधार मानने की भूल ने आम आदमी को उसके स्वाभाविक विकास से कोसों दूर कर असंतोष को जन्म दिया है। ये विचार गुरूवार को महाराणा प्रताप राजकीय स्नात्तकोत्तर महाविद्यालय के भूगोल विभाग के तत्वावधान में आयोजित ‘सुखद भविष्य के लिए पर्यावरण संरक्षण एवं सामाजिक विकास को लेकर वैश्विक चुनौतियांÓÓ विषयक नेशनल कान्फेंस के उद्घाटन सत्र में उभर कर आए। संगोष्ठी के मुख्य अतिथि दीनदयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय गोरखपुर के पूर्व कुलपति प्रोफेसर पीसी त्रिवेदी ने कहा कि सतत विकास की अवधारणा सामूहिक प्रयासों की परिणिति है जिसमें समाज के अंतिम पायदान तक खड़े व्यक्ति के साथ ही सामाजिक कार्यकताओं, जनप्रतिनिधियों, वैज्ञानिकों, शिक्षकों को अपना सम्पूर्ण योगदान देना होगा । मुख्य वक्ता इलाहबाद विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एचएन मिश्रा ने कहा कि मानव विकास सूचकांक ही सही मायने में सतत विकास का पैमाना है। भौतिक संसाधनों से परे जाकर मानवीय संसाधनों के विवेकपूर्ण उपयोग से ही हम विकास को सही मायने में मानवोपयोगी बना सकते हैं। इसी सत्र में स्मारक व्याख्यान प्रो. एएन. भट्टाचार्य ने दिया ।अध्यक्षीय उद्बोधन में महाविद्यालय प्राचार्य डॉ. बी.एल.आचार्य ने अकादमिक रूप से इस प्रकार के आयोजनों की निरन्तरता और शोधार्थियों के सक्रिय अवदान की बात कही । इससे पूर्व कान्फ्रेंस के आयोजक सचिव डॉ. नरेन्द्र गुप्ता ने स्वागत उद्बोधन देते हुए भूगोल विभाग के लिए इसे एक स्वर्णिम अवसर बताया। आभार कॉलेज के भूगोल विभागाध्यक्ष निर्मल कुमार देसाई ने किया। जबकि मंच संचालन किरण आचार्य और ख्याति सुनिया ने किया । राजस्थान भूगोल परिषद् के संरक्षक मोइनुद्दीन शेख भी कार्यक्रम में उपस्थित रहे । राजस्थान भूगोल परिषद् के महासचिव श्याम सुन्दर भट्ट ने परिषद् का परिचय दिया। परिषद के अध्यक्ष डॉ. जयदीप सिंह ने कान्फ्रेंस की उपयोगिता को रेखांकित किया ।कार्यक्रम में 11 राज्यों के 300 से अधिक शोधार्थी, महाविद्यालय एवं स्कूल व्याख्याता और विद्यार्थी उपस्थित थे ।
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तकनीकी सत्र में 17 शोध पत्र प्रस्तुत
कॉन्फ्रेस के प्रथम दिन के तकनीकी सत्र में 17 शोधार्थियों के द्वारा शहरीकरण की प्रवृति, प्रभाव और चुनौतियां – स्मार्ट सिटी एंड ग्रीन इन्फ्रास्ट्रक्चर विषय पर शोधपत्र का वाचन किया गया । इनमें दीपक कुमार दीपांकर, अंजू सिंह एवं डॉ. मिलन याधव, अविनाश कुमार सिंह, गगनदीप एवं रोहित सिंह, गौरिका मल्होत्रा एवं राकेश नेगी, गोविन्द सिंह, जयप्रकाश शर्मा, जेएन गुर्जर एवं अभिषेक वशिष्ठ, मिलन कुमार यादव एवं हिमांशु यिंहमहावर, मुकेश कुमार कुमावत, मुकेश सांखला, एम.जेेड.ए. खान, निवृता घोष, पीसी भाटी, नरेन्द्र वर्मा एवं अर्पिता रॉय, स्वाति अपूर्वा एवं नीरा रस्तोगी, उद्धव जरेकर ने अपने पत्र प्रस्तुत किए ।
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चित्तौड़ में दूसरी भूगोल नेशनल कान्फ्रेंस
चित्तौडग़ढ़ को भूगोल विषयक नेशनल कान्फेंस आयोजित करन का अवसर दूसरी बार मिला है। इससे पूर्व सन् 2004 में इस प्रकार का आयोजन हो चुका हैं । कार्यक्रम में 45वीं नेशनल कॉन्फ्रेंस में शोधार्थियों के द्वारा प्रस्तुत शोधपत्रों पर संपादित पुस्तक का विमोचन किया गया । इस दौरान स्थानीय महाविद्याालय की भूगोल विषय में उल्लेखनीय कार्य करने वाली प्रतिभाओं का सम्मान मंचासीन अतिथियों के द्वारा किया गया ।