इस प्रकोप के बढऩे से न तो खेती के लिए पर्याप्त बीज मिल रहे हैं और ना ही सिंचाई करने की सुविधा।चूरू जिले के किसानों की कुछ ऐसी ही दास्तां हैं। चूरू जिला मुख्यालय से महज पांच किमी दूर 15 सौ की आबादी वाले गांव देपालसर के किसान ऐसी ही परिस्थितियों से जूझ रहे हैं। किसानों ने बताया कि पानी खारा होने के कारण अब लोगों का खेती से मोहभंग हो रहा है। कुछ लोगों ने कुएं खोदे हैं, लेकिन पानी खारा होने से बहुत कम अनाज हो पाता है।
गांव के जगदीश प्रसाद ने बताया कि जितना अनाज होता है, उसे आस-पास के लोग खरीदकर ले जाते हैं। अगर कुछ बच पाता है तो गांव में ही एक दुकानदार को बेच देते हैं। पानी की उपलब्धता कम होने के कारण अधिकतर लोग काम की तलाश में दूसरे जिलों में चले गए हैं। किसानों ने बताया कि सरकार ने निशुल्क राशन उपलब्ध कराने की बात तो कही लेकिन हकीकत यह है कि सभी परिवारों के पास अब तक राशन नहीं पहुंच पाया है। लॉक डाउन के चलते गेंहू की कटाई के दौरान मजदूर नहीं मिल पाए, ऐसे में परिवार के सदस्यों ने काम किया।
दूध का काम प्रभावित हुआ किसान रामप्रसाद की पत्नी ने बताया कि गाय-भैंस का दूध निकालने के लिए सुबह जल्दी उठना पड़ता है। दूध चूरू शहर में सप्लाई होता है, लेकिन दूधवालों को कोरोना वायरस संक्रमण का भय सताता है। गांव के रामलाल गोदारा खेती का काम करते हैं, उन्होंने बताया कि खेती घाटे का सौदा होने पर युवा वर्ग इसमें रूचि नहीं ले रहा है।