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चुरू

पूर्व मुख्यमंत्री भैरोसिंह के सामने चुनाव लडऩे वाले पूर्व विधायक राठौड़ नहीं रहे

घांघू निवासी पूर्व विधायक सुरेन्द्र सिंह राठौड़ का रविवार को जयपुर में निधन हो गया। वे करीब 6४ साल के थे

चुरूJan 15, 2018 / 11:21 pm

Rakesh gotam

EX MLA Surendra rator

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चूरू/घांघू.

घांघू निवासी पूर्व विधायक सुरेन्द्र सिंह राठौड़ का रविवार को जयपुर में निधन हो गया। वे करीब 64 साल के थे। हालांकि सुरेन्द्र का जन्म गंगानगर में हुआ था और वे गंगानगर ही रहते थे। लेकिन चूरू से उनका काफी जुड़ाव था। चूरू के राजकीय बागला स्कूल में शिक्षा भी प्राप्त की थी। पंचायत राजमंत्री राजेन्द्र राठौड़ व विधायक भंवरलाल शर्मा भी उनके काफी करीबी थे। एक बार सरदारशहर से जनता दल के टिकट पर चुनाव लड़ रहे भंवरलाल शर्मा के प्रचार में भी वे चूरू आए थे और उस दौरान शर्मा की जीत भी हुई थी। लेकिन उनके निधन से घांघू व मित्रों में भी शोक की लहर छा गई। सुरेन्द्र सिंह की अंतिम यात्रा सोमवार को श्रीगंगानगर में उनके आवास पदमपुर रोड स्थित कल्याण भूमि में पहुंची जहां उनका अंतिम संस्कार किया गया।
सुरेन्द्र सिंह गंगानगर में जरूरतमंदों और पीडि़तों की मुखर आवाज बनकर अपनी छाप छोड़ी थी। हालांकि जब वर्ष 2003 में गैर कांग्रेसी के रूप में प्रखर नेता के रूप में भाजपा का दामन थामा तो उनको विधायक की कुर्सी भी मिल गई। उन्होंने तब कांग्रेस के कद्दावर कहे जाने वाले नेता और पूर्व आयुर्वेद मंत्री राधेश्याम गंगानगर को करीब 35 हजार से अधिक वोटों के अंतर से हराया था।
इस तरह श्रीगंगानगर गया सुरेन्द्र सिंह का परिवार

भंवर अजीत के मुताबिक सुरेन्द्र के पिता जोधसिंह राठौड़ गांव घांघू के रहने वाले थे। वे सेना में कर्नल थे। द्वितीय विश्वयुद्ध में सरहानीय कार्य किया था। इसी दौरान उन्हे गंगानगर जिले के गांव १३जी छोटी में जमीन मिल गई। इसके बाद से जोधसिंह परिवार सहित यहां रहने लगे। यहां पर ही सुरेन्द्र का जन्म हुआ था। लेकिन ननिहाल चूरू शहर में होने के कारण उन्होंने प्रारम्भिक शिक्षा चूरू से ही ग्रहण की। इससे चूरू से उनका लगाव बना रहा। जब भी वे चूरू आते ते अपने पैतृक गांव घांघू जरूर जाते थे। पत्नी संतोष कंवर के अलावा उनके एक बेटा व दो बेटी हैं। बेटियों की शादी कर दी और बेटा मुम्बाई में खुद का कारोबार करता है।
सुरेन्द्र राठौड़ का राजनीतिक सफर

सुरेन्द्र सिंह के भांजे प्रदेश कांग्रेस कमेटी सचिव भंवर अजीत सिंह ने बताया कि उनका जन्म 8 मई 1953 श्री गंगानगर में ही हुआ था। पांच भाइयों वे सबसे छोटे थे। लेकिन प्रारम्भिक शिक्षा चूरू में ग्रहण की। बोर्ड परीक्षा पास करने के बाद श्री गंगानगर चले गए। गंगानगर राजकीय महाविद्यालय से उनका राजनीतिक सफर शुरू हुआ।1974-75 में कॉलेज में अध्यक्ष बने। गंगानगर की ग्राम पंचायत १३जी छोटी से वे 1977 से 88 तक लगातार सरपंच रहे। 1989 में गंगानगर से प्रधान बन गए। इसके बाद 1993 में गंगानगर से जनता दल के टिकट पर चुनाव लड़े। उनके सामने पूर्व उप राष्ट्रपति भैरोसिंह शेखावत भी थेे। इस दौरान शेखावत तीसरे स्थान पर रहे और सुरेन्द्र दूसरे स्थान पर थे। भैरोसिंह बीजेपी से चुनाव लड़े थे। इस दौरान कांग्रेस की जीत हुई। 2003 में बीजेपी की टिकट पर श्रीगंगानगर विधानसभा से चुनाव लड़े और पहली बार विधायक बने।
यहां से गिरने लगा राजनीतिक ग्राफ

22 सितम्बर 2005 को वृंदावन विहार स्थित नगर परिषद के पूर्व सभापति महेश पेड़ीवाल पर जानलेवा हमला के मामले में तत्कालीन विधायक सुरेन्द्र सिंह राठौड़ पर षडयंत्र का आरोप लगा। इस प्रकरण से राठौड़ की राजनीति का यू टर्न हो गया। वर्षों की राजनीति का ग्राफ इस कदर नीचे गिरा कि वह अब तक नहीं संभला। गंगानगर पंचायत समिति का प्रधान बनने के बाद वे प्रधान जी के नाम से जाने पहचाने जाने लगे।
छह वर्ष पहले आए थे घांघू

घांघू के अजीत सिंह राठौड़ ने बताया की सुरेन्द्र सिंह लगभग छह वर्ष पहले घांघू आए थे। वहीं घांघू के शीशपाल प्रजापत ने बताया की वे 20 साल तक श्रीगंगानगर में रह कर काम करते थे वहां सुरेन्द्र सिंह को देखा था, उनसे मिलता था, वो गरीबों के मसीहा थे। गरीबों की बहुत सेवा करते थे। वो जो भी कहते थे डंके की चोट कहते थे। लीपापोती नहीं करते थे।

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