एसकेआरएयू, बीकानेर के कुलपति डॉ.अरुण कुमार का कहना है कि कृषि अनुसंधान केन्द्र बीकानेर में गत तीन वर्षों से लवणीय जल खारे पानी में सौंफ की खेती पर किए जा रहे रिसर्च के अच्छे परिणाम आए हैं। सौंफ की किस्म आर एफ 290 में लवणीय जल बूंद-बूंद सिंचाई से 9 क्विंटल प्रति हैक्टेयर का उत्पादन प्राप्त हुआ है। कुलपति डॉ. कुमार बताते हैं कि इस अनुसंधान से ना केवल राज्य के मसाला उत्पादक किसानों को लाभ होगा, बल्कि भविष्य में सौफ का क्षेत्रफल एवं उत्पादकता बढ़ाने में भी मदद मिलेंगी।
कृषि अनुसंधान केन्द्र बीकानेर के क्षेत्रीय निदेशक डॉ एसआर यादव का कहना हैं कि बीकानेर जिले में किसान मसाला फसलों की तरफ काफी आकर्षित हो रहे हैं। ऐसे में कृषि अनुसंधान केन्द्र बीकानेर के लवणीय जल में सौंफ की खेती को लेकर गत तीन वर्षों के अनुसंधान से आए सकारात्मक परिणाम से जिले में सौंफ की खेती को एक विकल्प के रूप में लिया जा सकता है। प्रोजेक्ट इंचार्ज डॉ भूपेन्द्र सिंह बताते हैं कि विद्युत चालकता ईसी 4 डेसी मीटर तक के पानी को बूंद बूंद सिंचाई के जरिए उपयोग में लेकर सौंफ की किस्म आरएफ 290 के जरिए 9 क्विंटल प्रति हैक्टेयर उत्पादन लिया जा सकता है।
प्रोजेक्ट कोऑर्डिनेटर एवं केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान, करनाल के प्रधान वैज्ञानिक डॉ रामेश्वर लाल मीणा ने प्रोजेक्ट का विजिट कर बताया कि तीन वर्षों के अनुसंधान से निष्कर्ष निकला है कि सौंफ की किस्म आरएफ 290 लवणीय जल की सिंचाई में अच्छा प्रदर्शन कर रही है। प्रति हैक्टेयर करीब 9 क्विंटल सौंफ का उत्पादन हुआ। लिहाजा लवणीय जल सिंचाई वाले जिलों में बीकानेर, नागौर, चूरू, बाड़मेर आदि में एवं उन जिलों में भी जहां ट्यूबवैल से खेती की जाती है वहां सौेफ की खेती से अच्छा उत्पादन लिया जा सकता है।
देश में राजस्थान और गुजरात प्रमुख सौंफ उत्पादक राज्य है। जिनका देश में सौंफ उत्पादन में करीब 96 फीसदी का योगदान रहता हैं। राजस्थान में सबसे ज्यादा सौंफ नागौर जिले में करीब 10 हजार हेक्टयर में होती है। इसके अलावा सिरोही, जोधपुर, जालौर,जैसलमेर भरतपुर, सवाई माधोपुर जैसलमेर और बीकानेर जिले में भी सौंफ की खेती की जाती है। अब खारे पानी में सौंफ की खेती पर किए गए अनुसंधान से आए सकारात्मक परिणामो ने बीकानेर, चूरू और उसके आसपास के जिलों में बड़े पैमाने पर सौंफ उत्पादन की उम्मीद जगा दी है।