सांप का नाम सुनते ही दिमाग में एक खौफनाक तस्वीर उभरती है। इनके याल से ही दिल की धड़कने तेज हो जाती है। हम सबने इनकी कहानियां तो खूब सुनी हैं, पर इनके बारे में कम ही लोग जानते हैं।
चुरू•Jul 30, 2021 / 10:47 am•
Madhusudan Sharma
सांप का जहर, कई बीमारियों का निदान
अजय स्वामी
चूरू. सांप का नाम सुनते ही दिमाग में एक खौफनाक तस्वीर उभरती है। इनके याल से ही दिल की धड़कने तेज हो जाती है। हम सबने इनकी कहानियां तो खूब सुनी हैं, पर इनके बारे में कम ही लोग जानते हैं। भारत में सांपों की करीब 275 प्रजातियां निवास करती हैं, जो किसी अन्य रेंगने वाली प्रजाति की तुलना में सबसे अधिक है। देश के किसी भी इलाके में निकल जाएं, आपको सांपों की कई प्रजातियां मिलेंगी जो नदियों से लेकर रेगिस्तान और पहाड़ों में बसती हैं। थार के मरुस्थल खासकर ताल छापर अभयारण्य की अगर बात करें तो यहां पाए जाने वाली सांपों की कई प्रजातियों में से महज चार ही जहरीली होती हंै, बाकि के सांपों मेें जहर नहीं होता। वन्यजीव विशेषज्ञ व फोटोग्राफर अनिल पुरोहित बताते हैं कि असल में सांप हमारे शत्रु नहीं मित्र व जंगल जीवन संतुलन की अहम कड़ी होते हैं। ये खेतों में चूहों का शिकार करके किसानों की मदद करते हैं। लोग इन्हें बिना समझे ही मार डालते हैं। जो कि प्रकृति के नियमों के विपरीत है।
ये प्रजातियां बसती है अभयारण्य में
क्षेत्रिय वन अधिकारी उमेश बागोतिया बताते हैं कि ताल छापर अभयारण्य समेत रेगिस्तान मेंं पाए जाने वाले घातक जहर वाले सांपों में रसल्स वाइपर, स्पैक्टेकलड कोबरा, सॉ ़ट स्केल्ड वाइपर व कॉमन करैत हैं। वे बताते हैं कि बिना जहर के सांपों की प्र्रजातियों में सेंड बोआ, रेड हैडेड बोआ, रेट स्नेक, ग्लोसी बिल्ड रेसर, रेड हैडेड रॉयल स्नेक, रेड स्पॉटेड स्नेक, कॉमन वोल्फ स्नेक, एफ्रो एशियन सेंड स्नेक, कॉमन इंडियन केट व ऑव्ल हैडेड स्नेक हैं।
डसने पर मानव शरीर में इस तरह के प्रभाव होते हैं
रेंजर बागोतिया के मुताबिक सांपों के काटने से मानव शरीर की कोशिकाओं के नष्ट होने, शरीर को लकवा मार जाना व रक्त के थक्के बनाने वाले तत्वों के नष्ट होने के अलावा श्वसन तंत्र बेकार पडऩे सहित कई अन्य प्रभाव होते हैं। एसीएफ प्रदीप चौधरी बताते हैं कि सांपों मारना या पकडऩा गैर कानूनी, ये भी वन्यजीव अधिनियम 1972 के तहत संरक्षित प्राणी है। जिसमें 14 साल तक की सजा का प्रावधान है।
5 लाख तक बिकते हैं जिंदा संाप, बनती है दवाएं
लोहिया कॉलेज में प्राणी विज्ञान के एसोसिएट प्रो. डॉ. केसी सोनी बताते हैं कि सांपों का शिकार इनकी खूबसूरत त्वचा के लिए किया जाता है। जिससे महंगे पर्स, बेल्ट व जूतों सहित कई सामान बनाए जाते हैं। उन्होंने बताया कि भारत से सांपों को तस्करी कर नेपाल के रास्ते अन्य देशों में भेजा जाता है। जिसमें इंडियन रेड हैडेड बोआ की कीमत 5 लाख तक है। इसकी खासियत ये है कि इसमें रेडियोधर्मी पदार्थ मिलता है। वहीं इसमें पाए जाने वाले कुछ तत्वों से कई दवा भी बनाई जाती है। वे बताते हैं कि सांप का जहर इंसानों के कई गंभीर रोगों के ईलाज में काम आता है, डाक्टर इसे ज्यादातर किडनी ब्लॉकेज सहित अन्य शिराओं को खोलने के लिए प्रयोग करते हैं।
बन रही है डिवाइस
वाईल्ड लाइफ एक्सपर्ट योगेंद्रसिंह ने बताया कि सर्पदंश से हर साल भारत में करीब 58 हजार मौतें हो जाती हैं, ये आंकड़ें चौंकाने वाले हैं। वे बताते हैं कि अब केरल के तिरुअनंतपुरम में शोधकर्ता एक डिवाइस पर काम कर रहे हैं। जो कि ग्लुकोमीटर की तर्ज पर काम करेगी। इससे सांप के काटने की सारी डिटेल पता चल जाएगी। उन्होंने बताया कि डिवाइस के आने से सर्पदंश से होने वाली मौतों में कमी आएगी।
ऐसे पहचान करें जहर और बिना जहर वाले सर्प की
जहर वाला सर्प अगर किसी को काटता है तो दो दांतों के निशान बनते हैं।
बिना जहर वाला काटता है तो दांतों के कई निशान बनते हैं।
सांप का जहर हल्के पीले रंग का गाढ़ा तरल होता है।
जहर वाले सांप की आंखों की बनावट लबंवत होती है।
बिना जहर वाले सांप की आंखों की बनावट क्षितिजीय होती है।
सांप शर्मिले स्वभाव का होता है व एकांत में रहना पसंद करता है।
इसका जहर ही इसकी लार होता है जो इसे भोजन पचाने में मदद करता है।