वैज्ञानिकों का कहना है कि ऊटी में औसत से अधिक गर्मी वाले वर्षों की संख्या बढऩे मे जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग बड़ा कारक है। अध्ययन में कहा गया है ऊटी में पुराने वाहनों के प्रयोग को सीमित किया जाना चाहिए ताकि कार्बन उत्सर्जन को नियंत्रित किया जा सके। अध्ययन में कहा गया है कि हरित क्षेत्र बढ़ाए जाने के साथ ही भारत स्टेज-1,2,3 के वाहनों के परिचालन को नियंत्रित किया जाना चाहिए। पुराने वाहनों को उन्नत किया जाना चाहिए ताकि उत्सर्जन के मापदंडों का पालन किया जा सके। इसके साथ ही वैज्ञानिकों का सुझाव है कि आम लोगों और किसानों को वर्षा जल संरक्षण के प्रति भी जागरुक किया जाना चाहिए।
वैज्ञानिकों का कहना है कि मौसम के मिजाज में बदलाव का खेती से लेकर आम लोगों के जीवन तक पड़ेगा। इससे पारिस्थितिकी प्रभावित होने के साथ ही पानी की उपलब्धता भी पड़ेगा। तापमान बढऩे से सर्दी और कुहरे वाले दिन भी बढ़ेंग।