मजदूर विल्लुपुरम के धर्मी जनजाति के हैं और जनवरी में ईंट भट्ठे पर काम के लिए आए थे। उन्होंने बताया कि हमें 1000 ईंट बनाने पर 100 रुपए दिए जाते। केवल किराना का सामान खरीदने के लिए बाहर जाने की अनुमति थी। उन्हें कुछ राशि अग्रिम दी गई थी और बंधुआ मजदूरों की तरह काम लिया जाता रहा।
कोयंबटूर•Jun 03, 2020 / 02:48 pm•
brajesh tiwari
crime in bhilwara
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