शुक्रवार को दिग्गज कमेंटेटर हर्षा भोगले ने भी इस मसले पर अपनी राय रखी और एक के बाद एक 8 ट्वीट कर इंग्लैंड और उनके खिलाड़ियों की आलोचना की। हर्षा ने इसे कल्चर से जोड़ते हुए बताया कि किस तरह इंग्लैंड, जहां क्रिकेट पैदा हुआ वो अपनी सोच अन्य लोगों, देशों पर थोपने की कोशिश कर रहा है। अब हर्षा ने इस ट्वीट्स पर इंग्लैंड के टेस्ट कप्तान बेन स्टोक्स ने अपनी प्रतिकृया दी है। स्टोक्स ने उनके ट्वीट्स पर नाराजगी जताई है।
स्टोक्स ने भी एक के बाद एक चार ट्वीट किए हैं। पहले ट्वीट में उन्होंने लिखा, ‘ हर्ष … मांकड़ को लेकर लोगों की राय में कल्चर ला रहे हैं?’ अगले ट्वीट में स्टोक्स ने लिखा, ‘हर्षा .. 2019 वर्ल्ड कप फाइनल 2 साल पहले हुआ था, मुझे आज भी भारतीय प्रशंसकों से अनगिनत मैसेज आते हैं, क्या यह आपको डिस्टार्ब करता है?’
एक अन्य ट्वीट में स्टोक्स ने लिखा, ‘क्या यह कल्चर की बात है ?? ….बिल्कुल नहीं, मुझे दुनिया भर के लोगों से उस ओवर थ्रो को लेकर मैसेज आते हैं। ऐसे ही सिर्फ इंग्लैंड ने नहीं बल्कि पूरी दुनिया भर के लोग मांकड़ पर टिप्पणी कर रहे हैं।’ इंग्लैंड के टेस्ट कप्तान ने आगे लिखा, ‘इस विशेष घटना पर बाकी दुनिया की प्रतिक्रिया के बारे में क्या? इंग्लैंड एकमात्र क्रिकेट खेलने वाला देश नहीं है जिसने इस फैसले के बारे में बात की है।’
बता दें हर्षा ने ट्वीट में लिखा था कि, ‘मुझे ये बात बहुत ही परेशान कर रही है कि इंग्लैंड की मीडिया का एक बहुत बड़ा हिस्सा एक ऐसी लड़की पर सवाल उठा रहा हैं। जिसने खेल के नियमों के दायरे में रहकर खेला और कोई भी उस खिलाड़ी पर सवाल नहीं उठा रहा है। जो गैरकानूनी तरीके से फायदा उठाने की कोशिश कर रही थी और ऐसा वो कई बार कर चुकी थी। इसमें बेहद तर्कसंगत लोग भी शामिल हैं।’
हर्षा ने आगे लिखा, ‘मुझे लगता है कि इसके पीछे संस्कृति का हाथ है। अंग्रेज़ ये सोच रहे हैं कि जो हुआ वो गलत था, क्योंकि उन्होंने क्रिकेट की दुनिया के बेहद बड़े हिस्से पर राज किया है, इसलिये उन्होंने सभी को ये बताया कि वो गलत था।’ हर्षा भोगले ने लिखा , “उपनिवेशी प्रभुता इतनी ताक़तवर थी कि उसपर बहुत कम उंगलियां उठीं। नतीजा ये रहा कि आज भी यही समझा जाता है कि इंग्लैंड जिसे गलत समझे, बची हुई क्रिकेट की दुनिया को उसे ग़लत ही समझना चाहिये। ठीक वैसे ही, जैसे ऑस्ट्रेलियाई लक्ष्मण रेखा पार न करने का उपदेश देते हैं। वो लक्ष्मण रेखा, जो उन्होंने अपनी संस्कृति के अनुसार खुद ही खींची है और जो दूसरों के अनुसार ठीक नहीं हो सकती है। बाकी दुनिया इंग्लैंड की सोच के अनुसार चलने के लिये प्रतिबद्ध नहीं है और इसीलिए जो ग़लत है, वो हमें साफ दिखाई दे रहा है। ये भी सोचना गलत है कि टर्न लेने वाली पिचें खराब हैं और सीमिंग पिचें एकदम सही हैं।’
दिग्गज कमेंटेटर ने कहा, ‘ये संस्कृति का मुद्दा है, ऐसा मैं इसलिये कह रहा हूं, क्योंकि ये ऐसी ही सोच के साथ बड़े होते हैं। इन्हें नहीं समझ में आता कि ये गलत है। ऐसे में समस्या खड़ी होती है और इसमें हम भी तब दोषी पाये जाते हैं जब लोग एक-दूसरे के नज़रिये के कारण लोगों को जज करते हैं। इंग्लैंड चाहता है कि बाकी के देश नॉन-स्ट्राइकर बल्लेबाज को रन आउट न करें और वो दीप्ति और ऐसा करने वाले बाकी खिलाड़ियों के प्रति बेहद आलोचनात्मक और कटुता से भरे रहे हैं। ऐसे में हमें भी ये कोशिश पुरजोर तरीके से करनी होगी कि बाकी लोग भी सदियों की गहरी नींद से जागें।’
हर्षा ने आखिरी ट्वीट में लिखा, ‘इसके लिये सबसे आसान है कि नियमों के दायरे में रहकर क्रिकेट खेला जाए और क्रिकेट में खेल भावना सरीखी व्यक्तिनिष्ठ व्याख्याओं के फेर में न पड़ें और अपनी ओपिनियन को दूसरों पर थोपना बंद करें।’