आचरेकर ने कहा- मेरे बाद तुम ही रहोगे
पंडित जब अपना कोचिंग करियर शुरू करने जा रहे थे तो वह अपने गुरु आचरेकर सर से आशीर्वाद लेने गए थे। जब उन्होंने जो बात उन्हें कही थी, वह बताना पंडित कभी नहीं भूलते। आचरेकर कहा था कि मेरे बाद तुम ही रहोगे। यह तब कि बात है, जब पंडित पहली बार मुंबई अंडर-19 टीम का कोच बनने के बाद आचरेकर से मिलने गए थे। उन्होंने कहा कि यह आचरेकर सर का उनके लिए आशीर्वाद था। सर के साथ ही उन्होंने क्रिकेट की बारीकियां सीखी है, जो काफी मायने रखती हैं। पंडित कहते हैं कि उन पर आचरेकर का काफी प्रभाव है। वह जिस तरह से कोचिंग करते थे, वह कई चीजें पंडित भी अपनी कोचिंग में शामिल कर चुके हैं, चाहे अनुशासन हो या खिलाड़ियों की गलतियां लिखना। वह बस की टिकट के पीछे प्लेयर्स की गलतियां लिखते थे और पंडित डायरी या कम्प्यूटर में लिखते हैं। वह उन चीजों को दोहरा रहे हैं, जो आचरेकर को करते देखा। यह सभी चीजें आचरेकर से ही उनमें आई है। इसमें उनका आनुशासन, उनकी सख्ती, उनका बच्चों को मैच खेलाना आदि शामिल है। जो आज पंडित की कोचिंग शैली का हिस्सा है।
इनका भी है काफी असर
पंडित कहते हैं कि उन पर न सिफ्र आचरेकर का असर है, बल्कि क्रिकेट के अन्य दिग्गजों से भी काफी कुछ सीखा है। इस फेहरिस्त में पॉली उमरीगर, अशोक मांकड़, दिलीप वेंगसरकर, सुनील गावस्कर का भी नाम है। उन्होंने कहा कि अशोक मांकड़ का भी उन पर काफी प्रभाव है। उनसे रणनीतियां बनानी सीखी। कैसे मैच जिताना है, खिलाड़ी से उसका सर्वश्रेष्ठ कैसे निकालना है। यह सब अशोक मांकड़ से सीखा।
पिच को पढ़ने कला पॉली उमरीगर से सीखी। उन्होंने कहा कि पिच पढ़ना आसान नहीं होता। जब वह मुंबई की कप्तानी कर रहे थे तब उमरीगर के साथ बैठकर पिच पढ़ने की कला समेत काफी कुछ सीखा। इससे उन्हें काफी मेरी मदद की।
वेंगसरकर के बारे में उन्होंने कहा कि जब उनके साथ खेल रहा था, तब उन्होंने बताया था कि गेंदबाजों को कैसे खेलना है। गावस्कर के साथ जब खेल रहा था, तब उन्होंने बताया था कि अगर अपने खेल में सुधार लाना है तो मैचों को गंभीरता से देखना होगा। उन्होंने कहा कि कई सीनियर खिलाड़ियों, प्रशिक्षकों से काफी कुछ सीखा है जो आज उनके काम आ रहा है और यही सब अपनी कोचिंग के दौरान खिलाड़ियों को बताता रहता हूं।