अग्रवाल ने कहा कि यह मानसिकता की बात है। अपने मन से विफलता का डर निकाल देने के बाद उनमें बहुत बड़ा बदलाव आया। उनके भीतर रनों की भूख पैदा हो गई। उन्होंने बताया कि ऐसा भी समय रहा है, जब वह रन नहीं बना पा रहे थे। अब वह जब भी सेट हो जाते हैं तो बड़ा स्कोर करने की कोशिश करते हैं।
अपने करियर के बारे में बात करते हुए मयंक ने कहा कि उन्होंने निश्चित रूप से अपने सफर का बहुत आनंद लिया। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मेलबर्न में उनका पहला पहला टेस्ट मैच बेहद खास था। इस मैच में उन्होंने टीम इंडिया की जीत में योगदान दिया था। भारत पहली बार ऑस्ट्रेलिया में मेजबान टीम के खिलाफ सीरीज जीती थी। इस कारण उन्हें काफी अच्छा महसूस हुआ। उन्होंने कहा कि यही वह भावना है, जो उन्हें और टीम के बाकी खिलाड़ियों को आगे बढ़कर टूर्नामेंट जीतने के लिए प्रेरित करती है। उन्होंने कहा कि वह लंबी योजना नहीं बनाते। एक समय पर एक गेंद खेलने और जब तक संभव हो बल्लेबाजी करने की कोशिश करते हैं।