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देवेंद्र झाझड़िया: वो एथलीट जिसने नीरज चोपड़ा से पहले जेवलिन थ्रो में भारत को दिलाए दो गोल्ड मेडल, अब तीसरे स्वर्ण पर नजर

राजस्थान के चुरू के रहने वाले देवेंद्र झाझरिया ने भारत को पैरा ओलंपिक में पहला स्वर्ण दिलाया था। अब उनका लक्ष्य है तीसरा गोल्ड मेडल हासिल करना।

नई दिल्लीAug 15, 2021 / 06:50 pm

भूप सिंह

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नई दिल्ली। टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympics) में भारत को स्वर्ण दिलाने वाले गोल्डन बॉय नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra) इन दिनों खूब सुर्खियों में हैं। लेकिन देवेंद्र झाझरिया (Devendra JhaJhdia) वो जेवलिन थ्रोअर हैं जिन्होंने भारत को भाला फेंक में पहला स्वर्ण पदक दिलाया था। दो स्वर्ण जीतने वाले झाझरिया का लक्ष्य है तीसरा स्वर्ण जीतना। खास बात यह है कि नीरज के विपरित, देवेंद्र झाझरिया के पास केवल एक हाथ है। देवेंद्र ने 2004 में एथेंस पैरालंपिक में भी एफ-46 भाला फेंक में अपना पहला स्वर्ण जीतकर भारत को गौरवान्वित किया और इसके बाद 2016 के रियो पैरालिंपिक में एक और स्वर्ण के साथ अपनी सफलता को दोहरायाा। 62.15 मीटर के विश्व रिकॉर्ड थ्रो सहित उनके प्रयासों को पद्म श्री से सम्मानित किया गया, जिससे देवेंद्र इस राष्ट्रीय सम्मान से सम्मानित होने वाले पहले पैरा-एथलीट बन गए।

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राजस्थान के चुरू के निवासी हैं देवेंद्र
40 वर्षीय देवेंद्र बेहद फिट है और एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि वह आगामी टोक्यो पैरालिंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए तैयार हैं। देवेंद्र राजस्थान के चुरू के हरने वाले हैं। फिलहाल वह रेलवे और भारतीय खेल प्राधिकरण के साथ जुड़े हैं। देवेंद्र ने कहा कि कुछ दिल पहले मैं 2004 को याद कर रहा था। मेरे पिता अकेले थे जो मुझे एथेंस खेलों के लिए विदा करने आए थे। न तो राज्य ने और न ही केंद्र सरकार ने कोई पैसा दिया। मेरे पिता नहीं रहे, लेकिन मुझे अभी भी उनके शब्द याद हैं, यदि आप अच्छा करते हैं, तो देश और सरकार आएंगे और आपका समर्थन करेंगे। दो दशकों से अधिक समय से खेल में सक्रिय रहे पैरा-एथलीट का कहना है कि उनके पिता सही थे, क्योंकि उन्होंने देश में अन्य खेलों की शुरुआत के बाद से एक लंबा सफर तय किया है।

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आज मेरे पिता होते तो बहुत खुश होते
झाझरिया ने कहा, आज, जब मैं सरकारों को एथलीटों को प्रेरित करते देखता हूं, तो मुझे लगता है कि मेरे पिता अब जहां भी होंगे, बहुत खुश होंगे। टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम (टॉप्स) वास्तव में अच्छी है और खेलो इंडिया युवा एथलीटों को भी लाभान्वित कर रही है। उन्होंने कहा, खेल ने एक लंबा सफर तय किया है। एथलीटों को सभी बुनियादी सुविधाएं मिल रही हैं। 2004 में वापस, मुझे यह भी नहीं पता था कि एक फिजियो या फिटनेस ट्रेनर क्या है। आज, साई के केंद्रों में सभी सुविधाएं हैं। सरकार इसके अलावा, एथलीटों और पैरा-एथलीटों को समान रूप से समर्थन दे रहा है।

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