कई खिलाड़ियों पर लगाए थे हितों के टकराव का आरोप
गुप्ता ने दो साल के भीतर भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) के लोकपाल डीके जैन (DK Jain) के पास कई खिलाड़ियों पर हितों के टकराव के आरोप लगाए थे। सबसे पहले उन्होंने क्रिकेट सलाहकार समिति (Cricket Advisory Committee) में शामिल सौरव गांगुली (Sourav Ganguly), वीवीएस लक्ष्मण (VVS Laxman) और सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) पर हितों का आरोप लगाया था। हालांकि सीएसी (CAC) के भंग हो जाने के बाद यह आरोप ऐसे भी निराधार हो गए थे। ताजा मामले में उन्होंने टीम इंडिया (Team India) के कप्तान विराट कोहली (Virat Kohli) पर भी हितों के टकराव का आरोप लगाया था। इन खिलाड़ियों के अलावा भी वह कइयों पर इस तरह के आरोप लगा चुके हैं।
एमपीसीए के सदस्यों ने की थी आजीवन सदस्यता से हटाने की शिकायत
सूत्रों ने बताया कि एमपीसीए के आजीवन सदस्य दिलीप चडकर और प्रसून कानमाडिकर ने संजीव गुप्ता को एमपीसीए के आजीवन सदस्य से हटाने की शिकायत की थी। उनका आरोप लगाया है कि संजीव गुप्ता ने एमपीसीए के नियमों का उल्लंघन किया है। बीसीसीआई को लिखी अपनी शिकायतों की गंभीरता को समझकर संजीव गुप्ता को अंदाजा हो गया था कि उनका निष्कासन हो सकता है। इसलिए उन्होंने इस्तीफा देना बेहतर समझा।
संजीव गुप्ता के खिलाफ ये था आरोप
संजीव गुप्ता के खिलाफ आरोप यह था कि उन्होंने दूसरों के कहने पर दिग्गज क्रिकेटरों पर हितों के टकराव के आरोप लगाए थे। आरोप पत्र के अनुसार, संजीव गुप्ता ने ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindhia) और संजय जगदाले (Sanjay Jagdale) सहित अन्य लोगों को पिछले सप्ताह लिखे पत्र में यह स्वीकार किया था कि दूसरे के कहने पर उन्होंने वे आरोप पत्र भेजे थे। बोर्ड के एक अधिकारी ने कहा कि यह उनका खुद का कबूलनामा है। इसमें वह कह रहे हैं कि दूसरों के कहने पर उन्होंने वह शिकायत पत्र भेजे थे। यह बताता है कि उनका उपयोग भारतीय क्रिकेट की कार्यप्रणाली को रोकने की साजिश के लिए किया जा रहा था।
किया जा रहा था संजीव गुप्ता का इस्तेमाल
अधिकारी ने बताया कि संजीव गुप्ता ने पहले ही भारतीय क्रिकेट का काफी नुकसान कर दिया है। उनका कबूलनामा कि दूसरे के कहने पर उन्होंने शिकायतें की थी, यह बताता है कि उनकी शिकायतें उतनी नुकसानदेह नहीं थी, जितनी उन्होंने बताई थीं। उनका इस्तेमाल प्यादे की तरह क्रिकेट संस्थाओं में सिर्फ उथल-पुथल मचाने के इरादे से किया जा रहा था। बीसीसीआई अधिकारी ने कहा कि सीएजी (CAG) ने भी अपनी शिकायत में सुप्रीम कोर्ट (Spreme Court) में इस बात को रखा था। सीएजी की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई अपील में कहा गया था कि ज्यादा मात्रा में आ रही शिकायतें बोझ बढ़ा रही हैं। इनमें से अधिकतर मामले हितों के टकराव की हैं।