भाजपा को चाहिए बंगाल में चेहरा
पश्चिम बंगाल में अगले साल ही विधानसभा चुनाव होना है और पिछले कुछ सालों में बंगाल में भाजपा मजबूत होकर उभरी है, लेकिन उसके पास मुख्यमंत्री पद के लिए कोई कद्दावर चेहरा इस राज्य में नहीं है। इसलिए भाजपा लंबे समय से गांगुली को राजनीति में लाने की कोशिशें कर रही है, लेकिन हर बार इस तरह की किसी भी संभावना से इनकार कर देते हैं। लेकिन हाल ही में राज्य सचिवालय जाकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मिलकर गांगुली ने स्कूल निर्माण के लिए न्यूटाउन में उन्हें आवंटित की गई दो एकड़ जमीन लौटा दी है। इसके बाद से उनके भाजपा में जाने की अटकलों ने फिर जोर पकड़ लिया है।
वाममोर्चा सरकार ने भी गांगुली को दी थी जमीन
सबसे पहले सौरव गांगुली को वाम मोर्चा सरकार (Left Alliance Government) में स्कूल निर्माण के लिए साल्टलेक में जमीन आवंटित की गई थी, लेकिन वह जमीन कानूनी पचड़े में पड़ गई। इसके बाद ममता की तृणमूल सरकार (Trinmool Government) की वेस्ट बंगाल हाउसिंग इंफ्रास्ट्रक्चर डवलपमेंट कॉरपोरेशन (BHIDC) ने उन्हें आईसीएससी (ICSE) बोर्ड वाले 12वीं कक्षा तक के स्कूल निर्माण के लिए जमीन प्रदान की थी। मगर अब गांगुली ने इसे भी लौटा दिया है।
गांगुली के ममता से हैं बेहतर संबंध
मिली जानकारी के मुताबिक गांगुली एजुकेशनल एंड वेलफेयर सोसाइटी की ओर से जमीन वापस करने का पत्र राज्य सरकार को भेज दिया गया है। इस संस्था के अध्यक्ष दादा हैं। राज्य सरकार ने इसे स्वीकार कर फाइल वित्त विभाग को भेज दी है। बता दें कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और सौरव गांगुली के बीच बहुत अच्छे संबंध हैं और दादा को क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बंगाल (CAB) का अध्यक्ष बनाने में ममता बनर्जी की भूमिका अहम रही थी।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बीसीसीआई अध्यक्ष बनने के बाद सौरव गांगुली भाजपा के दिग्गज नेता और गृहमंत्री अमित शाह (Home Minister Amit Shah) के करीब आए हैं। अमित शाह ने अपने बेटे जय शाह (Jay Shah) को बीसीसीआई का सचिव और गांगुली को अध्यक्ष बनाने में अहम भूमिका निभाई थी। ऐसे में राजनीतिक विश्लेषकों को लग रहा है कि गांगुली ने जिस तरह से राज्य विधानसभा चुनाव से एक साल पहले ममता सरकार से मिली जमीन लौटाई है, वह इस बात के संकेत हो सकते हैं कि अगले साल बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले गांगुली भाजपा ज्वाइन कर लें।