– इस पिगमेंट पर पॉलिशिंग नहीं करने से ये लाल गेंद के मुकाबले थोड़ी धुंधली दिखाई देती है, जिससे देखने में समस्या होती है
– लाल गेंद की तरह पॉलिश नहीं होने के चलते गेंद उतनी ज्यादा स्विंग भी नहीं करती, जो टेस्ट मैच की गेंदबाजी का असली मजा है
– विभिन्न अंतरराष्ट्रीय व घरेलू मैचों में पिंक बॉल से खेल चुके क्रिकेटरों का कहना है कि स्विंग के मामले में ये वनडे क्रिकेट की सफेद गेंद जैसी है
– 20 ओवर बाद स्विंग कम हो जाता है, जिससे गेंदबाज के लिए मुश्किल खड़ी हो जाती है और बल्लेबाज हावी हो जाते हैं
– स्विंग तो खत्म होता है, लेकिन गेंद उतनी ज्यादा रफ नहीं होती कि स्पिन को मदद देने के लिए आदर्श मानी जा सके
– लाल गेंद की तरह इसकी सीम हाथ से ही सिलाई वाली होती है, लेकिन ये काले रंग के धागे की होने से बल्लेबाज को आसानी से दिखाई देती है
– बल्लेबाज सीम की दिशा पहचानकर आसानी से स्विंग का अंदाजा लगा लेते हैं, जिससे ज्यादा रन बनने की संभावना है पिंक बॉल पर
– गेंद का अंदरुनी कोर कॉर्क व रबर के मिश्रण से आम लाल गेंद जैसा ही बनाया गया है, जबकि उसके ऊपर आम गेंद की तरह ही कॉर्क की लेयर है