2017 में चैम्पियंस ट्रॉफी के बाद तत्कालीन कोच अनिल कुंबले ने टीम इंडिया के मुख्य कोच पद से इस्तीफा दे दिया था। इसकी वजह यह थी कि उनके और टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली के बीच मतभेद हो गया था। तब सौरव गांगुली, सचिन तेंदुलकर और वीवीएस लक्ष्मण बीसीसीआई की क्रिकेट सलाहकार समिति में थे और गांगुली नहीं चाहते थे कि शास्त्री कोच बनें। हालांकि इसके बावजूद रवि शास्त्री कोच बनने में सफल रहे थे।
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शास्त्री ने खुले मंच से की थी गांगुली की बुराई
एक टॉक शो में रवि शास्त्री ने खुलेआम सौरव गांगुली की खिंचाई की थी। उन्होंने सौरव गांगुली का नाम लेकर सीधे-सीधे आरोप लगाया था कि उन्हें समय का ख्याल नहीं रहता। उदाहरण देते हुए बताया था कि 2007 में बांग्लादेश दौरे पर जब वह टीम इंडिया के मैनेजर थे, तब सुबह नौ बजे बस से टीम को निकलना था, लेकिन गांगुली ने देर कर दी थी। इसके बाद वह उन्हें छोड़कर पूरी टीम के साथ निकल गए थे। उन्होंने इस शो में यह भी कहा था कि वह समय के बहुत पाबंद हैं।
गांगुली ने किया था पलटवार
रवि शास्त्री के इस बयान पर सौरव गांगुली ने पलटवार करते हुए रवि शास्त्री के अल्कोहलिक होने की तरफ इशारा करते हुए कहा था कि अगर आपको शास्त्री का सुबह इंटरव्यू करना हो तो वह नहीं कर सकते। आप उन्हें कभी ब्रेकफास्ट शो पर मत बुलाइए, क्योंकि उन्हें याद नहीं रहता कि वह क्या कहते हैं। जब वह रवि शास्त्री से मिलेंगे तो इस बारे में उनसे पूछेंगे कि कब हुआ था ऐसा। क्योंकि ऐसा कभी हुआ ही नहीं था। इसलिए बेहतर है कि उनका इंटरव्यू सुबह की जगह शाम को किया जाए, ताकि वह बातें याद रख सकें।
47 साल के सौरव गांगुली के सिर बीसीसीआई अध्यक्ष का ताज सिर्फ 10 महीने रहेगा, क्योंकि इसके बाद बीसीसीआई के नए नियमों के मुताबिक उन्हें कूलिंग ऑफ पीरियड के कारण पद छोड़ना पड़ेगा। इस नए नियम के मुताबिक एक प्रशासक एक पद पर लगातार छह साल ही रह सकता है। अगर वह आना चाहे तो दोबारा एक ब्रेक के बाद उस पद के लिए अपनी दावेदारी पेश कर सकता है। इस लिहाज से देखें तो सौरव गांगुली कैब के अध्यक्ष पांच वर्षों से भी ज्यादा समय से हैं। इसलिए वह अधिकतम 10 माह तक ही इस कार्यकाल में अध्यक्ष रह पाएंगे। जबकि बतौर टीम इंडिया के कोच रवि शास्त्री का कार्यकाल उनसे ज्यादा समय 2021 टी-20 विश्व कप तक है।