नीतीश कुमार के काफिले पर आरजेडी कार्यकर्ताओं ने किया हमला,पुलिस ने भांजी लाठियां
कैसे पकड़ी गई वित्तीय अनियमितता
आपको बता दें कि ये दोनों मामले मुजफ्फरपुर और दरभंगा के जिला नजारत कार्यालय के हैं। ये गड़बड़ी महालेखाकार कार्यालय ने ऑडिट रिपोर्ट में पकड़ी है। इससे पहले सीएजी रिपोर्ट बताया गया था कि वर्ष 2009 से लेकर 2017 तक की ऑडिट रिपोर्ट में करीब 2 अरब 33 करोड़ 23 लाख की वित्तीय अनियमितता हुई है। हालांकि इस संबंध में जब सूचना के अधिकार के तहत गायघाट के अमित कुमार मंडल ने रिपोर्ट मांगी जिसमें यह खुलासा हुआ। आरटीआई के जवाब में बताया गया कि दोनों जिलो में करीब 233 करोड़ रुपये की गड़बड़ी पाई गई है। इसमें यह भी बताया गया है कि बाढ़ राहत के लिए बनाए गए पैकेट का सामान खरीदने में अनियमितता की गई है। इसके अलावा बैंक खाते से 11 लाख 58 हजार रुपये की अवैध निकासी भी की गई है तो वहीं दरभंगा में वर्ष 2015 में किए गए निरीक्षण में भी इस गड़बड़ी का खुलासा हो चुका है।
सरकार के पास पहुंची ऑडिट रिपोर्ट
आपको बता दें कि सीएजी की ऑडिट रिपोर्ट को सरकरा और लोक लेखा समिति को भेजी जा चुकी है। इसके अलावा आरटीआई कार्यकर्ता ने भी मुख्य सचिव को इस मामले की जांच के लिए सितंबर 2018 में पत्र लिखा है लेकिन कार्रवाई करने के बजाए यह मामला वित्त विभाग और सामान्य प्रशासन के बीच ही घूम रहा है। हालांकि इस मामले में सरकार की ओर से कोई कदम नहीं उठाए जाने से नाराज आरटीआई कार्यकर्ता पटना उच्च न्यायालय में चैलेंज करने की तैयारी कर रहे हैं। अब देखना दिलचस्प होगा कि नीतीश सरकार इस मामले में क्या कदम उठाती है। इससे पहले चारा घोटाला को लेकर नीतीश सरकार लगातार लालू प्रसाद यादव पर हमलावर रही है। इस मामले में लालू यादव फिलहाल सलाखों के पीछे हैं। लेकिन अब जब नीतीश के दामन में खुद इतना बड़ा भ्रष्टाचार के छींटे लगे हैं तो वे इससे कैसे निपटेंगे यह देखना काफी दिलचस्प होगा। हालांकि इससे पहले विपक्ष नीतीश सरकार पर सृजन घोटाला का आरोप लगाती रही है लेकिन उसमें भी तक किसी तरह से कोई साक्ष्य सामने नहीं आया है।