कोटा

Dowry Case Kota: हर रोज एक बेटी को निगल जाता है दहेज का दानव, डॉ. राशि बनेंगी मिसाल

तमाम कानूनों बावजूद कोटा में दहेज का दानव हर रोज बेटियों को निगल रहा है। हर महीने दहेज उत्पीड़न के औसतन 28 मामले दर्ज होते हैं।

कोटाDec 05, 2017 / 10:42 am

​Vineet singh

Dowry Case: A case of dowry harassment is recorded every day in Kota

दहेज विरोधी कानून बनने और तमाम सामाजिक बदलाव होने बाद भी दहेज की मांग को लेकर महिलाओं के साथ होने वाले अत्याचारों में कमी नहीं आई है। दहेज प्रताड़ना हो या दहेज के लिए हत्या या फिर महिलाओं को आत्महत्या के लिए मजबूर करना। कानून में कड़ी सजा का प्रावधान होने के बाद भी दहेज लोभियों के लालच में कोई कमी नहीं आ रही है। कोटा शहर में ही कमोबेश हर रोज एक मामला इस तरह का दर्ज हो रहा है। कोटा में हर माह करीब 28 मुकदमे दहेज प्रताड़ना के दर्ज हो रहे हैं। हालांकि पिछले दो सालों की तुलना में इस साल इनकी संख्या कुछ कम आई है।
 

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धर्म में दहेज का उल्लेख नहीं

साध्वी हेमा सरस्वती कहती हैं कि हिन्दू धर्म में कहीं भी दहेज का उल्लेख नहीं है। बेटी व दामाद को कोई तकलीफ न हो, इसलिए नई गृहस्थी बसाने के लिए माता पिता बेटी को प्रेम स्वरूप उपहार देते हैं। महाशिवपुराण में भगवान शिव के विवाह में देवी पार्वती से माता मैना ने कहा था ‘करहुं सदा शंकर पद पूजा, नारी धरम पतिदेव न दूजा।’ माता पिता की ओर से दिए जाने वाले उपहार को लोगों ने दिखावे व दहेज में बदल दिया। यह पाप है।
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प्रेरणास्पद फैसला

राजकीय महाविद्यालय कोटा की प्रोफेसर डॉ. प्रभा शर्मा कहती हैं कि डॉ. राशि ने दहेज के विरोध में जो निर्णय लिया है वह तारीफ के काबिल है। इससे अन्य दहेज लोभी भी सीख लेंगे, वहीं बेटियों के लिए भी प्रेरणादायक है। अब बेटियां शिक्षित होती जा रही हैं तो जागरूक हो रही हैं। जहां तक दहेज की धारणा है, माता पिता बेटी को उपहार के रूप में अपनी सामर्थ के अनुसार भेंट देते थे, लोगों ने इसका रूप बिगाड़ दिया।
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डॉ. राशि बनेगी नई प्रेरणा

मनोचिकित्सक डॉ. वीरेन्द्र मेवाड़ा कहते हैं कि दहेज में 1 करोड़ रुपए मांग रहे दूल्हे की बारात को दरवाजे से लौटाने के डॉ. राशि के फैसले से समाज में सकारात्मक संदेश जाएगा। लोगों की मानसिकता बदलेगी और लोग दहेज लोभियों के खिलाफ खडे़ होने लगेंगे। वहीं दहेज मांगने वालों को समाज अपने आप सजा देने लगेगा। शिक्षित बेटी के द्वारा उठाया जाने वाला ये कदम सार्थक कदम है। समाज को भी इसका समर्थन करना चाहिए।
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दंडनीय अपराध है दहेज लेना

वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक नंदवाना कहते हैं कि वधु पक्ष से दहेज की मांग करना दंडनीय अपराध है। दहेज की मांग पर आईपीसी की धारा 498 ए, 406 व 504 में मुकदमा दर्ज किया जा सकता है। दहेज की मांग करना सामाजिक बुराई है। दुल्हन ने दहेज मांगने पर बारात को लौटा कर जो मिसाल पेश की है वह लोगों के लिए आदर्श बनेगा। समाज में इसका सकारात्मक प्रभाव होगा।

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