गुस्साए मनोज ने अपनी पत्नी के भाई धर्मेन्द्र के साथ भांजे लोकेश को ठिकाने लगाने की साजिश रची। जिसके चलते 10 अप्रेल को मनोज और लोकेश गुजरात से दौसा आ गए। यहां 11 अप्रेल को लोकेश अचानक गायब हो गया। लोकेश के भाई कुंजीलाल ने जिसकी रिपोर्ट थाने में दर्ज करवाई। पुलिस ने जब जांच की और मनोज से सख्ती से पूछताछ की तो उसने लोकेश का अपहरण और हत्या करना कबूल कर लिया। पुलिस ने लोकेश का शव सवाईमाधोपुर क्षेत्र में मोरेल नदी के पास स्थित गड्ढे से बरामद किया।
गिरफ्त में आए मनोज से जब वारदात का खुलासा हुआ तो पुलिस रिश्तेदार धर्मेन्द्र की तलाश में जुट गई। इसी दौरान लालसोट थाने की हवालात में बंद आरोपी मनोज ने चादर का फंदा बना लोहे की जाली से लटककर जान दे दी। पुलिस ने प्रथम दृष्टया पत्नी की बेवफाइ, मानसिक तनाव व आत्मग्लानि के चलते यह घटना मान शव परिजन को सुपुर्द कर दिया।
पुलिस धर्मेंद्र की तलाश में जुटी थी। जब उसे अपने जीजा मनोज की आत्महत्या की सूचना लगी तो धर्मेन्द्र ने देर रात को जगतपुरा रेलवे स्टेशन पर ट्रेन के आगे कूदकर जान दे दी। सूचना पर पहुंची पुलिस को उसके पास एक सुसाइड नोट मिला। जिसमें धर्मेन्द्र ने इतना ही लिखा है कि मुझसे गलती हो गई। अपहरण व हत्या के मामले में अभी दो लोगों की तलाश है।