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डबरा

किसान आंदोलन में शामिल डबरा के किसान की दिल्ली में मौत

प्रशासन के आगे नहीं झुके सुरेन्द्र सिंह, कहा था लाठी-गोली खाएंगे पर दिल्ली जाएंगे
दिल्ली आंदोलन को समर्थन करने के लिए एकजुट किया किसानों को, शहीद का दर्जा देने की मांग उठी

डबराJan 04, 2021 / 11:43 pm

rishi jaiswal

किसान आंदोलन में शामिल डबरा के किसान की दिल्ली में मौत

किसान आंदोलन में शामिल डबरा के किसान की दिल्ली में मौत

डबरा/चीनोर. कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली में किसान आंदोलन में शामिल ड बरा के किसान सुरेन्द्र सिंह की हार्ट अटैक से मौत के बाद क्षेत्र में शोक का माहौल है। बताया गया है कि चीनोर क्षेत्र ग्राम पंचायत मैना के पूर्व सरपंच सुरेन्द्र सिंह सिद्धू आंदोलन की लगाम थामे हुए थे। वे किसानों को दिल्ली जाने के लिए एकत्रित कर रहे थे। स्थानीय स्तर पर आंदोलन में अगुआ बने हुए थे। दिल्ली जाने से पूर्व प्रशासन व पुलिस प्रशासन ने उन पर दिल्ली न जाने के लिए दबाव बनाया था तब वे तनिक भी विचलित नहीं हुए और अफसरों से दो टूक कर दिया कि चाहे हम पर पानी की बौछार हो, लाठी पड़े या गोली पर हम किसान दिल्ली जरूर जाएंगे।
डबरा बंद में भी रहे आगे-आगे:
दिल्ली आंदोलन के समर्थन में 8 दिसंबर को किसानों ने डबरा बंद का आह्वान किया था। उस समय सुरेन्द्र सिंह आंदोलन में आगे रहे थे। वे सुबह 8 बजे ठंड में अपने गांव से कृषि मंडी गेट पर किसानों के साथ सबसे पहले पहुंच गए थे। वहां उन्होंने पैदल मार्च किया था इस दौरान उन्होंने किसानों को समझाइश दी थी कि हमें पूरी शांति के साथ अपना आंदोलन करना है। किसी भी प्रकार की आशांति का माहौल पैदा नहीं करना है अकारण किसी भी दुकानदार या व्यापारी को जबरन प्रतिष्ठान बंद कराने के लिए जोर नहीं देना है।

अंतिम संस्कार में जुटे क्षेत्र के किसान
सोमवार को सुरेन्द्र सिहं का अंतिम संस्कार उनके गांव सात नंबर फार्म पर किया गया। क्षेत्र के किसानों को जैसे-जैसे उनके निधन की खबर मिलती जा रही थी किसान उनके गांव उनके घर पहुंचते जा रहे थे। किसानों में जहां गम था तो वहीं केन्द्र सरकार के खिलाफ बेहद गुस्सा था।
तीन भाइयों में बीच के थे: किसान सुरेन्द्र सिंह तीन भाई है जिसमें वे बीच के थे एक भाई उनसे बड़े और एक छोटे हैं। परिवार में एक पुत्र व तीन पुत्रियां हैं सभी की शादी हो चुकी है।
मिलनसार व दयालु प्रवृत्ति के थे: गांव के लोग बताते हैं कि सुरेन्द्र सिंह सिद्धू मिलनसार और दयालु प्रवृत्ति के थे। मिलनसार होने के कारण ही वे मैना पंचायत के सरपंच चुने गए थे। गांव के लोग बताते है कि गांव में कोई भी व्यक्ति मुसीबत में होता था तो वे उसकी मदद अवश्य करते थे। गांव में उनका काफी सम्मान था गांव के लोग उनसे सलाह लेने आते थे।
नहीं डरे प्रशासन की धमकी से: दिल्ली जाने से पूर्व चीनोर थाना परिसर में प्रशासन व पुलिस के अफसरों ने किसानों की बैठक ली जिसमें उन्हें दिल्ली न जाने के लिए समझाया दबाव भी बनाया लेकिन सुरेन्द्र सिंह प्रशासन की धमकी से डरे नहीं दो टूक कह दिया कि वे किसानों को लेकर दिल्ली अवश्य जाएंगे।
धरना स्थल पर रखते थे किसानों का ध्यान: दिल्ली में उनके साथ धरना स्थल पर मौजूद रहने वाले किसान राज रावत ने बताया कि सुरेन्द्र सिंह अपने साथ लेकर गए किसानों का काफी ख्याल रखते थे। किसने खाना खाया या नहीं खाया। ठंड से बचाव के लिए सभी के पास रजाई या कंबल हैं या नहीं। कोई बीमार तो नहीं है। वे सभी के पास जाकर हालचाल पूछते थे। रात में पुलिस बार-बार पूछताछ करने आती थी इसलिए किसानों की नींद खराब न हो वे रातभर जागते थे।
शहीद का दर्जे की मांग उठी: पीडि़त किसान के परिजनों एवं किसान संगठन किसान बिरादरी द्वारा प्रदेश सरकार से मृतक किसान को शहीद का दर्जा देने, उसके परिवार में से किसी एक को शासकीय नौकरी देने एवं उसके परिजनों को एक करोड़ रुपये की सहायता राशि प्रदान करने की मांग की है।

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