दमोह शहर लगे ग्राम आमचौपरा, मारूताल, लाडऩबाग, पिपरिया दिगंबर, किल्लाई, हिरदेपुर, कौरांसा, इमलाई, खैजरा, सिंगपुर, समन्ना, मढ़ाहार में करीब एक लाख आबादी रहती है। इन गांवों में से कुछ में नल से जल पहुंचने लगा हैं, जबकि अधिकांश लोग अब भी ग्राउंड वॉटर यानि कुंआ, हैंडपंप और बोरवेल के भरोसे ही पानी की आपूर्ति कर रहे हैं। इसके अलावा जिले का 60 प्रतिशत हिस्सा भी ग्राउंड वॉटर के ही भरोसे अब भी है, क्योंकि, अधिकांश गांवों में अब भी नल से जल नहीं पहुंच सका है। जनसंख्या पर बात करें तो अब भी जिले की 5 लाख से अधिक जनता ग्राउंड वॉटर के ही भरोसे हैं।
मार्च से ही शुरू हो गया जलस्तर गिरना
अटल भूजल ने जनवरी 2024 में सर्वे किया था। जिसमें जिले में वॉटर लेवल अच्छी स्थिति में था, लेकिन मार्च शुरू होते ही जलस्तर गिरने लगा था। इसका असर बोरवेल और कुंओं में नजर आने लगा था। इसके बाद अभी भूजल सर्वे चल रहा है। जिसकी रिपोर्ट 31 मई तक आ जाएगी। जिसके बाद कितना वॉटर लेवल किस क्षेत्र में गिरा, इसके आंकड़े सामने आएंगे। हालांकि, मौजूदा स्थिति में बोरवेल स्तर पर वॉटर लेवल 20 फीट तक गिरना बताया जा रहा है, जबकि कुंआ लेवल पर कुछ जगहों पर 8 फीट तो कहीं 15 फीट तक वॉटर लेवल गिर गया है। दमोह, पथरिया, बटियागढ़ क्षेत्र में हालात खराब
जिले के पथरिया और बटियागढ़ क्षेत्र ग्राउंड वॉटर का उपयोग सबसे ज्यादा करते हैं, जिसका कारण पानी अन्य माध्यम से कम पहुंचता हैं। इससे सबसे ज्यादा खराब स्थिति इन क्षेत्रों में देखने मिलती है। मौजूदा स्थिति में दोनों ही जगहों पर पानी की भीषण समस्या देखने मिल रही हैं। पथरिया नगर से लेकर गांव-गांव में लोगों को पानी के लिए भटकना पड़ रहा हैं। कुछ गांवों में सूखा भी हो गया हैं। इसके अलावा
दमोह शहर के उपनगरीय क्षेत्रों में भी हालात खराब है। यहां के लोग भी अब पानी के लिए शहर का रुख कर रहे हैं। जिससे शहर की वॉटर सप्लाई पर भी फर्क नजर आने लगा है।
ये हैं वॉटर लेवल जांचने के पैरामीटर
1972 में जिले में सिलेक्ट हुए 100 कुंओं पर जनवरी और मई में सर्वे किया जाता है। जिसके आधार पर ही रिपोर्ट बनती हैं। – कुंआ का वॉटर लेवल जांचने के लिए अलग-अलग समय इंचीटेप के माध्यम से वॉटर लेवल चेक किया जाता है। जिससे पानी कितना नीचे खिसका, अंकित किया जाता है। – बोरवेल को भी टेप के माध्यम से ही चेक करते है। हालांकि, मौजूदा समय में टेलीमेपिंग मशीनों के माध्यम से भी बोरवेल के ग्राउंड वॉटर को नापा जा सकता है। – वॉटर लेवल का कोई औसत ग्राउंड नहीं होता। यह क्षेत्र के समुद्र से ऊंचाई के आधार पर तय होता है।
– जिन स्थानों पर पत्थर सहित अन्य खनिज होते हैं, वहां वॉटर लेवल ड्राइ अधिकांश बताया जाता है।
दमोह आसपास के इस तरह कम हो रहा वॉटर लेवल गांव मार्च मई
आमचौपरा 3-5 फीट 10 से 15 फीट
- इमलाई 7-8 फीट 15 से 18 फीट
- समन्ना 2-3 फीट 8 से 9 फीट
- मढ़ाहार 1-2 फीट 8 से 10 फीट
- हिरदेपुर 3-5 फीट 12 से 18 फीट
- लाडऩबाग 3-5 फीट 12 से 20 फीट
- ( औसत आंकड़े स्थानीय लोगों की अनुभव और अटल भूजल के सर्वे के अनुसार )
वर्शन
भीषण गर्मी और पानी की बर्बादी के कारण वॉटर लेवल लगातार कम हो रहा है। मॉनसून में देरी होने से निश्चित ही जलसंकट की संभावना है। ताजा रिपोर्ट 31 मई के बाद आएगी। जिसमें अभी तक की स्थिति सामने आएगी।
जीपी अहिरवार, अटल भूजल टेक्निशियन
दमोह