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दमोह

शहर की बेशकीमती भूमि व इमारत पर बस संचालकों का अवैध कब्जा

सीलबंद कमरों के ताले तोड़कर खोल लिए गए ऑफिस व गैरिज

दमोहDec 24, 2017 / 12:05 pm

Rajesh Kumar Pandey

Illegal occupation of bus operators on the precious land and building

बस संचालकों द्वारा कब्जा कर लिया गया है

दमोह. शहर के बस स्टैंड की इमारत पर निजी बस संचालकों द्वारा कब्जा कर लिया गया है। कमरों के ताले तोड़कर कुछ बस संचालक अपने ऑफिसों का संचालन कर रहे हैं तो कुछ ने गैरिज खोल रखी है। वर्तमान में बाजारु कीमत के हिसाब से बस स्टैंड की इमारत की कीमत करोड़ों में है साथ ही इससे लगी भूमि जिस पर वर्तमान में परिवहन विभाग का कब्जा है यह भी करोड़ों रुपए कीमती है। दरअसल में यह पूरी संपत्ति मप्र राज्य परिवहन की थी, लेकिन कुछ कारणों की वजह से इस संपत्ति पर परिवहन विभाग ने अपने कब्जे में ले लिया था, हालांकि दोनों विभागों के बीच विवाद अब तक पूरी तरह सुलझा नहीं है जिसकी वजह से यह संपत्ति करोड़ों रुपए कीमती होने के बाद भी कोडिय़ों के दाम नजर आ रही है।
एक समय की गई थी इमारत सील

राज्य परिवहन की संपत्ति को न्यायालयीन आदेश पर सील कर दिया गया था, कुछ वर्षों तक इमारत के सभी कमरे सीलबंद रहे, लेकिन इस दौरान बस संचालकों ने ताले तोडऩे का प्रयास किया था और ऐसी स्थिति में पुन: परिवहन विभाग द्वारा तालाबंदी कर दी गई थी। लेकिन हाल ही के दो वर्षों में अब स्थिति बदल गई है। इमारत के विभिन्न कमरों में करीब आधा दर्जन से अधिक बस संचालकों द्वारा कब्जा कर निजी कार्यों का संचालन किया जा रहा है।
किसने दी उपयोग की अनुमति

कब्जाधारी बस संचालकों का कहना है कि उन्होंने परिवहन विभाग की अनुमति पर इमारत के कमरों को अपने निजी उपयोग में लेना शुरु किया है। सूत्रों के अनुसार कमरों के मासिक किराए के रुप में भी कुछ राशि कब्जाधारियों द्वारा परिवहन विभाग के कर्मचारियों को दी जाती है, लेकिन दी जाने वाली यह राशि विभाग में राजस्व के रुप में जमा नहीं होना सामने आया है। यहां एक बात यह भी प्रमुख है कि कब्जाधारियों के पास परिवहन विभाग का ऐसा कोई पत्र नहीं है जो इन्हें इमारत के कमरों का उपयोग करने के लिए अधिकृत करता हो। इस स्थिति में सवाल यह है कि कब्जाधारी किसकी अनुमति पर कमरों का उपयोग कर रहे हैं।
इस वजह से संपत्ति हुई विवादित

इस मामले में परिवहन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार राज्य परिवहन की इस संपत्ति को परिवहन विभाग का टैक्स जमा नहीं करने के चलते अधिकृत कर ली गई थी। बताया गया है कि राज्य परिवहन बंद होने के समय विभाग पर काफी अधिक टैक्स बकाया था जिसकी रिकवरी राज्य परिवहन विभाग की इस बेशकीमती भूमि और इमारत के रुप में परिवहन विभाग द्वारा किया गया है। लेकिन यहां राज्य परिवहन के कुछ कर्मचारियों ने इस भूमि की किसी भी प्रकार की खरीद फरोक्त तब तक नहीं होने की न्यायालयीन गुहार लगाई जब तक कि राज्य परिवहन के सभी कर्मचारियों के फंड सहित अन्य मदों का भुगतान शासन के द्वारा नहीं कर दिया जाता है।
परिवहन विभाग ने नहीं दी अनुमति

इमारत के कमरों के ताले तोड़कर इनका निजी उपयोग किए जाने की अनुमति परिवहन विभाग द्वारा नहीं दिए जाने की बात सामने आई है। परिवहन अधिकारी ह्देश यादव ने पत्रिका को बताया है कि विभाग द्वारा लिखित व मौखिक अनुमति किसी को भी नहीं दी गई है जिसके आधार पर निजी बस संचालकों व अन्य के द्वारा इमारत के कमरों का उपयोग किया जा सके। परिवहन अधिकारी द्वारा दी गई इस जानकारी से साफ जाहिर है कि इमारत पर अवैध कब्जा कर लिया गया है।
पुलिस विभाग का भी अवैध कब्जा

बस स्टैंड की इमारत के एक हिस्से में बने कमरें पर पुलिस विभाग का भी कब्जा है। यातायात पुलिस चौकी के सामने वाले कमरे पर पुलिस विभाग द्वारा किए गए अवैध कब्जा को दर्शाने वाला साइन बोर्ड भी मौके पर लगा देखा जा सकता है। इस संबंध में भी परिवहन विभाग द्वारा किसी प्रकार की अनुमति कमरे के पुलिस द्वारा उपयोग किए जाने के संबंध में नहीं दी गई है। विदित हो कि बस स्टैंड की इमारत व भूमि पर स्थानीय राजनेताओं की भी नजर टिकी हुई है। बताया जाता है कि यह भूमि राज्य परिवहन के मालिकाना हक से पहलेे नगरपालिका की थी जिसे राज्य परिवहन द्वारा लिया गया था। शहर के बीचों बीच होने की वजह से यह संपत्ति काफी बेशकीमती है।
वर्जन
विभाग द्वारा किसी को भी कमरों का उपयोग करने की अनुमति नहीं दी गई है, मैं इस मामले की पूरी जानकारी एकत्र कर वैधानिक कार्रवाई करुंगा, इस तथ्य की जांच भी की जाएगी कि कब्जाधारियों द्वारा विभाग के किस कर्मचारी को लाभांवित किया जा रहा है।
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