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दमोह

बफरजोन की शौकीन बाघिन की कर दी विदाई, संजय टाइगर रिजर्व होगा नया ठिकाना

तीन माह से अमानगंज के बफर और उत्तर वन मंडल में विचरण कर रही थी

दमोहMar 28, 2018 / 11:14 am

rakesh Palandi

new location Tigress p 213-33Sanjay Tiger Reserve Panna buffer range

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मडिय़ादो. मडिय़ादो और किशनगढ़ बफरजोन में कई दिनों स्वछंद विचरण करने वाली युवा बाघिन पी 213-33 अब पुन: मडिय़ादो व किशनगढ़ बफरजोन में नहीं आएगी क्योंकि इस युवा बाघिन के सुरक्षित कोरजोन से बार-बार निकल कर बफरजोन में घूमने के कारण इसे संजय टाइगर रिजर्व भेज दिया गया है।
इस बाघिन को 10 जनवरी २०18 को पन्ना बफर परिक्षेत्र के बीट बांधी दक्षिण कक्ष में राजा तालाब के पास ट्रंकुलाइज कर रेडियो कालर पहनाया गया था। उसके बाद बाघिन पन्ना टागर रिजर्व के किशनगढ़ मडिय़ादो बफरजोन में आ गई थी, रेडियो कालर से प्राप्त सिंगनल की मदद से पार्क प्रबंधन द्वारा तीन हाथियों की सहायता और लगभग आधा सैंकड़ा कर्मचारियों की मदद से बाघिन को खदेड़ कर पन्ना टाइगर रिजर्व के सुरक्षित कोर जोन में वापिस पहुंचाया लेकिन बाघिन को कोर बिल्कुल पसंद नहीं था। बाघिन कोरजोन से निकल कर फिर बफरजोन में घूमती रही उसके द्वारा बफरजोन में शिकार भी किया और ठिकाना तलाश रही ।
फील्ड डायरेक्टर विवेक जैन ने बताया कि युवा बाघिन पन्ना टाइगर रिजर्व के सुरक्षित कोर जोन से लगातार बाहर बफरजोन में भटकने की आदत के कारण बाघिन और लोगों के बीच द्वंद के हालात बनने की आशंका के चलते बाघिन सुरक्षित कोर जोन में अपना क्षेत्र बनाने के बजाए बफरजोन मेें भटक रही थी। इससे बाघिन की सुरक्षा को लेकर यह निर्णय लिया है। बाघिन लगातार भटक रही थी। वह बीते तीन माह से अमानगंज के बफर और उत्तर वन मंडल में विचरण कर रही थी। उसके द्वारा लगातार मवेशियों का शिकार किए जाने की जानकारी मिल रही थी। इस कारण बाघिन और मानव के बीच द्वंद के हालात बनने की आशंका थी। बाघिन की सुरक्षा को भी खतरा था दूसरी ओर संजय टाइगर रिजर्व से बाघिन की डिमांड भी लंबे समय से की जा रही थी।
यह संयोग ही रहा और इसकी जानकारी प्रदेश के वरिष्ठ अधिकारियों को भी दी गई थी। वहां से अनुमति मिलने के बाद बाघिन को शिफ्ट करने की योजना बनाई गई थी। इसके तहत 25 मार्च को बाघिन को अमानगंज बफर जोन के ग्राम गदहरा के पास बाघिन को टे्रंकुलाइज करके उसे रेस्क्यू वाहन से संजय टाइगर रिजर्व भेज दिया है। यह पूरी कार्रवाई फील्ड डायरेक्टर के निर्देशन मेें की गई। इस दौरान टाइगर रिजर्व के वन्य प्राणी चिकित्सक सहित स्टाफ मौजूद था।
पर्यावरण प्रेमियों में उदासी
बाघ का नाम सुनते ही भले ही लोग डर जाते हों, लेकिन बफर जोन में बाघिन की उपस्थिती से पर्यावरण प्रेमियों को एक अच्छी खबर थी। बाघिन के क्षेत्र में होने से लोगों में उत्साह था। दूसरी और बाघिन की सुरक्षा में वन विभाग की टीमें लगातार जंगल की सर्च में रहती थी जिस कारण जंगल में चल रहे अवैध कार्य को अंजाम देने वाले चोरों की गतिविधियों पर भी वन विभाग की नजर रहती थी। जिस कारण अवैध खनन पेड़ों की कटाई पर अंकुश रहता था। अगर जंगल में बाघ मौजूद रहें तो निश्चित जंगल की सुरक्षा जंगल का राजा ही कर सकता है।

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