अवैध कनेक्शनों को हटाने में नाकाम बिजली कंपनी अधिकारी
शहर में अवैध बिजली कनेक्शनधारियों की संख्या हजारों में
दमोह. बिजली कंपनी के अथक प्रयासों के बाद भी शहर में अवैध बिजली खपत पर अंकुश नहीं लग सका है। साल दर साल बिजली खपत के रुप में कंपनी को होने वाले राजस्व का नुकसान बढ़ता जा रहा है। इस समय दमोह शहर में अवैध कनेक्शनधारियों द्वारा की जा रही बिजली खपत से कंपनी को करीब डेढ़ करोड़ का हर माह नुकसान उठाना पड़ रहा है। नुकसान के इस बढ़ते क्रम को रोकने के लिए जो भी प्रयास कंपनी द्वारा अवैध कनेक्शनधारियों के विरुद्ध किए वह नाकाफी साबित होना ही सामने आए हैं।
कार्यपालन यंत्री दक्षिण संभाग डीके सोनी ने बताया है कि शहर में 30 हजार वैध कनेक्शनधारी हैं। वहीं शहर में बिजली खपत की लागत की बात करें तो 4 करोड़ रुपए की बिजली खपत हर माह हो रही है। जबकि 02 से ढाई करोड़ रुपए के बिजली बिल वितरित किए जाते हैं। डीके सोनी के अनुसार हर माह 30 प्रतिशत का नुकसान कंपनी को हो रहा है। इस नुकसान में लाइन लॉस के साथ साथ प्रमुख रुप से अवैध कनेक्शनधारियों द्वारा की जा रही बिजली खपत शामिल है।
3500 चोरी करते पकड़े गए फिर भी नहीं माने
कंपनी अधिकारियों द्वारा बताया जाता है कि अवैध कनेक्शनधारियों के विरुद्ध बिजली चोरी करने पर सैकड़ों प्रकरण दर्ज किए जा चुके हैं। डीके सोनी का कहना है कि शहर के लगभग साढ़े तीन हजार केस न्यायालय में बिजली चोरी के लंबित हैं। जिन्हें चोरी करते हुए पकड़ा गया वह दूसरे बार दी गई दबिश पर पुन: बिजली चोरी करते हुए मिले। कार्रवाई के दौरान बिजली तार जब्त किया गया। उपयोग किए जा रहे इलेक्ट्रानिक आइटम जब्त किए गए और प्रकरण दर्ज किए गए इसके बाद भी स्थिति में सुधार नहीं आया है।
काम नहीं आए अभियान
शहर में बिजली चोरी रोकने के लिए कंपनी द्वारा साल में पांच से छह बार विशेष अभियान चलाया जाता है। इस अभियान के तहत एक साथ शहर के अलग अलग वार्डों में टीमें पहुंचकर कार्रवाई करतीं हैं। विशेष अभियानों के आयोजनों का क्रम जारी है। लेकिन की जाने वालीं कार्रवाइयां बिजली चोरी को कम नहीं कर सकीं हैं। आगामी दिनों में पुन: अभियान के रुप में कार्रवाई की जाने की तैयारी कंपनी द्वारा कार्यालय स्तर पर कर ली गई है। बताया गया है कि शहर के कुछ इलाके ऐसे हैं जहां पर बिजली चोरी को रोक पाना संभव नहीं हो पा रहा है। इन इलाकों में बिजली कंपनी की टीम उस वक्त तो पहुंच जाती है जब सुरक्षा के लिए पुलिस बल मौजूद होता है लेकिन आमतौर पर यहां पहुंचने से पहले ही कंपनी अधिकारियों की सांसे फूलने लगतीं हैं। इनमें कसाई मंडी, शोभानगर क्षेत्र, पथरिया फाटक इलाका, धरमपुरा वार्ड, ढिमरौला, मुकेश कॉलोनी, जटाशंकर बीड़ी कॉलोनी सहित अन्य संवेदनशील इलाके हैं।
इनको बनी आफत
शहर में रहने वाले ऐसे लोगों की संख्या भी हजारों में है जो हर माह बिजली खपत अनुसार भुगतान जमा करते हैं। लेकिन ऐसे ईमानदार उपभोक्ताओं को भी उस वक्त आफत बन जाती है जब प्राप्त होने वाले बिजली बिल खपत के अलावा आंकलित बिजली खपत का बिल थमा दिया जाता है। ऐसा हर माह सैकड़ों उपभोक्ताओं के साथ हो रहा है। मंगलवार को कंपनी कार्यालय में मौजूद उपभोक्ता हरिकिशन नामदेव, पंकज दुबे, सीताराम पटेल, हरीशंकर प्रजापति, रत्नेश मिश्रा ने बताया कि वह बिजली बिल में सुधार कराने के लिए आए हैं। इन्हें आंकलित खपत का बिजली बिल दिया गया है। किसी उपभोक्ता को 200 यूनिट खपत तो किसी को 250 से 300 यूनिट बिजली खपत का बिल दिया गया है। इस संबंध में कार्यालय में मौजूद लेखाधिकारी ने बताया कि शिकायत के आधार पर मीटर रीडिंग दोबारा कराई जाती है। गलत रीडिंग का बिल होने पर बिल में सुधार कर दिया जाता है। लेकिन इस प्रक्रिया में उपभोक्ता को कम से कम एक सप्ताह तक कार्यालय के चक्कर कांटने पड़ जाते हैं।
पुरानी व जर्जर लाइनें भी नुकसान की वजह
शहर में बिछी पुरानी बिजली लाइनों व लाइनों में मौजूद ज्वाइंटों की वजह से भी बिजली नुकसान होने की बात अधिकारियों ने बताई है। डीके सोनी का कहना है कि कुछ क्षेत्रों में बिजली लाइन काफी पुरानी हो चुकी है जिसकी वजह से फॉल्ट भी होते हैं साथ ही बिजली खपत भी प्रभावित होती है। इस नुकसान को रोकने के लिए कुछ समय पहले केबलीकरण की प्रक्रिया अपनाई गई थी जिससे नुकसानी में काफी कमी आई है।
वर्जन
बिजली चोरी को रोकने के लिए निरंतर कार्य किया जा रहा है। बिजली चोरी के हजारों प्रकरण विचारणीय हैं। वैध कनेक्शनधारियों की संख्या बढ़ाने के लिए प्रयास जारी हैं।
डीके सोनी, कार्यपालन यंत्री दमोह शहर
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