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दमोह

Jan Agenda 2019 Meeting : जन एजेंडा में गूंजा रोजगार का मुद्दा,ये नए मुद्दे भी आए सामने

लोकसभा चुनाव 2019 के चुनाव में खास मुद्दे

दमोहMar 31, 2019 / 05:19 pm

pushpendra tiwari

जन एजेंडा की बैठक

जन एजेंडा की बैठक

दमोह. लोकसभा चुनाव 2019 के चुनाव में खास मुद्दे क्या होंगे, जो दमोह संसदीय क्षेत्र के मतदान को प्रभावशाली बनाएंगे। इसे लेकर शहर के किल्लाई चौराहा समीप नीलकमल गार्डन में पत्रिका द्वारा रविवार की दोपहर जन एजेंडा की बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में शामिल हुए जिले के प्रबुद्धों ने अपनी बात रखी और उन मुद्दों को उजागर किया जो इस बार लोकसभा चुनाव में उनके मतदान का आधार होगा। बैठक में 80 फीसदी लोगों द्वारा प्रमुखत: से रोजगार का मुद्दा उठाया गया। जिले में बेरोजगारी की वजह से हो रहे पलायन की रोकथाम नहीं होने की वजह से लोगों का आक्रोश भी सामने आया। बैठक में शामिल लोगों ने पत्रिका की पहल को सराहा और कहा कि इस माध्यम से उनकी मतदान संबंधी भावना लोगों तक पहुंच सकी जो अच्छे प्रतिनिधि के चयन के लिए बहु उपयोगी साबित होगी। पत्रिका द्वारा अपने इस कार्यक्रम के जरिए लोकसभा चुनाव में मतदाताओं प्रबुद्धजनों की प्रतिक्रियाओं चुनावी मुद्दों से अवगत कराया जा रहा है।
दमोह संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाला व्यक्ति कैसा होना चाहिए, इस पर मतदान के पूर्व विचार करना अतिआवश्यक है। जिस तरह की बच्चों के एडमीशन पर अभिभावक स्कूल की तमाम खूबियों, शिक्षकों की उपलब्धता सहित अन्य व्यवस्थाओं की जानकारी जुटाता है उसी तरह हमें अपना सांसद चुनने से पहले उसके विषय में जानना जरुरी है। इस विचार के बाद ही अच्छे जनप्रतिनिधि को चुना जा सकता है।
मुख्तार जाफरी, अधिवक्ता
बुंदेलखंड की सबसे बढ़ी समस्या जलापूर्ति नहीं होने की है। वर्षों बीत गए लेकिन इस समस्या का समाधान नहीं हो सका है। क्षेत्र में स्वच्छता अभियान चलाया गया, घर घर शौंचालय बनाए गए, लेकिन पानी की कमी की वजह से यह शौंचालय शोपीस बन गए। चुनाव के पहले जलसंकट को कौन प्रतिनिधि किस तरह से निपटाने की बात कह रहा है यह जानना जरुरी होगा।
सोमेश गुप्ता, सरपंच संघ अध्यक्ष
ऐसे जनप्रतिनिधि को चुनना चाहिए जो हमें उच्च शिक्षा की उपलब्धता की गारंटी दे। इस मांग को पूरा करने के लिए आश्वासन तो दिए गए, लेकिन चुनाव के पूर्व किए गए वादे पूरे नहीं हुए। एक बार फिर लोकसभा चुनाव के रुप में यह मौका आया है और अब हमें यह बात ध्यान रखनी होगी।
दिनेश मिश्रा, बीएसपी नेता
लोकसभा चुनाव में मतदान के पहले विकास की परिपाठी तय होना जरुरी है, क्योंकि अब तक जो विकास हुए वह दिशाहीन साबित हुए हैं। मेडिकल कॉलेज की मांग की जाती है, तो कह दिया जाता है कि जिले से सटे शहरों में मेडिकल कॉलेज हैं, यदि ऐसा है तो दमोह जिले में आयुर्वेदिक कॉलेज खोला जाना जाना चाहिए, शहर के पॉलीटेक्निक को इंजीनियरिंग कॉलेज में बदला जाना चाहिए। जनप्रतिनिधि चुनने से पहले यह जाने कौन इन मुद्दों को साथ लेकर आगे आ रहा है। जनता को भ्रष्टाचार की परिभाषा भी समझनी होगी। किए हुए वादे को पूरा न करना भी भ्रष्टाचार ही माना जाता है।
डॉ. नवीन दुबे
युवाओं के पक्ष में बीते चुनाव के दौरान किए गए वादे आज तक पूरे नहीं किए गए। युवा बेरोजगारी से जूझ रहा है। कॉलेज नहीं खुलने से रोजगार के अवसर नहीं मिल सके। जनप्रतिनिधियों ने निजी स्वार्थ की वजह से शहर में नए आयाम नहीं आ सके। मतदान के पहले अब इन बातों को ध्यान रखकर ही वोट देना जरुरी है।
जया ठाकुर, युवा नेत्री
हमारे जिले की ६० फीसदी आबादी गांवों में रहती है। ग्रामीण क्षेत्रों का विकास नहीं हो सका है, यहां लोग सुविधाओं के नहीं होने की वजह से परेशान हैं। नेताओं की निजिता की वजह से किसानों को लाभ नहीं मिला है, किसान पानी की विकट समस्या से जूझ रहा है। बीते सालों में इन समस्याओं का निराकरण क्यों नहीं हुआ यह सोचनीय बात है और अब मतदान से पहले इस विचार किया जाना चाहिए और यह जानना चाहिए कि वोट मांगने आए जनप्रतिनिधि के पास इसका क्या हल है।
दिनेश रैकवार, राष्ट्रीय कॉ-आर्डिनेटर युवा कांग्रेस
शहर में एक मात्र महिला कॉलेज है, दिनोंदिन बढ़ रही महिला छात्राओं की संख्या के विरुद्ध संचालित एक मात्र महिला कॉलेज में सुविधाएं नहीं हैं, छात्राएं परेशान होतीं हैं, जनप्रतिनिधियों द्वारा अब तक इस पर विचार नहीं किया गया। आखिर शासन की योजनाएं महिलाओं तक क्यों नहीं पहुंच पातीं हैं। इसे लेकर जनप्रतिनिधि का रवैया बहुत मायने रखता है। इस विषय पर जनप्रतिनिधि की सोच का जानना अतिआवश्यक होगा।
निकिता नेमा, छात्र नेत्री
चुनाव प्रक्रिया में शामिल जनप्रतिनिधि के विषय में यह जानना जरुरी है कि उसका आपराधिक गतिविधियों में संबंध तो नहीं है, स्वच्छ छवि जनप्रतिनिधि की प्रमुख पहचान होती है। जिले की विधानसभा क्षेत्रों का विकास कैसे होगा इसे लेकर क्या योजना जनप्रतिनिधि की है यह जानना जरुरी है।
अनुपम भारती, अधिवक्ता
जब से मैंने होश संभाला है विकास हुए हैं, लेकिन इन विकास कार्यों में उद्योगों को स्थान नहीं मिला है, जिले में बेरोजगारी लगातार तेजी से बढ़ती ही जा रही है। अब समय आ चुका है जब जिलेवासियों को उद्योगों की लड़ाई लडऩा होगी। चुनाव में उद्योगों के लिए किसने क्या खाका तैयार किया यह जानना मतदाता के लिए जरुरी है, उद्योगों के बिना बेरोजगारी को जिले से दूर करना संभव नहीं है।
हरीष नागदेव लंकेश, व्यापारी
जिले में जो उद्योग धंधे हैं उनमें जिले के युवाओं को रोजगार का अवसर नहीं दिया गया, सरकारें पैसा भेजतीं हंै और कमीशनबाजी के चक्कर में योजना का लाभ सही तरीके से नहीं मिलता है, वोट मांगने के समय नेता नजर आने लगते हैं और चुनाव के बाद इन्हें मतदाताओं के दुख दर्द से कोई सरोकार नहीं रहता है। जिला अस्पताल में तमाम संसाधन हैं, लेकिन डॉक्टर नहीं हैं, कॉलेज स्कूल हैं, लेकिन पर्याप्त शिक्षक नहीं हैं। निजी क्लीनिकों में सुविधाएं बढ़ रहीं हैं, लोगों को ठगा जा रहा है। अब मौका आया है तो पहले यह जाने कौन समस्याओं से निजात दिलाने में सक्षम हैं।
मनोज देवलिया, सपाक्स नेता
रोजगार इस बार चुनाव का प्रमुख मुद्दा है, वोट मांगने जो आएगा उससे रोजगार मुहैया कराए जाने की बात की जाएगी और फिर जनप्रतिनिधि के विचार को समझा जाना चाहिए। शिक्षित बेरोजगारों के लिए क्या व्यवस्था रहेगी, यह जानना जरुरी है। अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी कैसे पूरी होगी, इसे समझना भी जरुरी है। पथरिया में कुछ दिन पहले हादसा हुआ अस्पताल पहुंचे तीन बच्चे डॉक्टरों की कमी की वजह से मौत के घाट उतर गए, ऐसा क्यों। इस अव्यवस्था को कैसे दूर किया जाएगा।
कृष्णा पटेल, छात्र क्रांति दल अध्यक्ष
जिले में पलायन की समस्या लगातार पैर पसारती जा रही है, बेरोजगार नहीं मिलने से इस संसदीय क्षेत्र के लोग राजस्थान, दिल्ली, पंजाब के लिए पलायन कर रहे हैं, लोगों को रोजगार कैसे मुहैया हो सकेगा, इस पर जनप्रतिनिधि की सोच को समझना जरुरी है। अब तक साहित्य के क्षेत्र में कोई प्रयास नहीं हुआ, अस्पताल हैं लेकिन सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर इस्तीफा दे रहे हैं, ऐसा क्यों हुआ।
अभिषेक शर्मा, युवा मतदाता
समय के साथ साथ नारियों के साथ दुव्र्यव्यवहार में बढ़ोत्तरी हो रही है, नारियों की सुरक्षा प्रमुख मुद्दा है। महिलाओं को सुरक्षा के साथ रोजगार के अवसर क्यों नहीं मिले, जो पार्टी आगामी सरकार बनाने के लिए उत्साहित है वह नारियों की सुरक्षा को लेकर कितनी संजीता है।
उजमा नाज, कॉलेज छात्रा
चुनाव में जातिवाद को स्थान नहीं मिलना चाहिए, चुनाव का मुद्दा जातिवाद से परे और रोजगार की उपलब्धता से जुड़ा होना चाहिए, जिले में सबसे अधिक युवा बेरोजगार हैं जिनके पास कोई रोजगार नहीं है। जानना होगा कि बेरोजगारी को दूर करने के लिए राजनैतिक पार्टियों की क्या प्लानिंग है।
शना खान, नव मतदाता
बुंदेलखंड में बेरोजगारी अधिक है और दिनों दिन इसमें बढ़ोत्तरी हो रही है, अब तक रोजगार के क्षेत्र में वास्तविक कार्य नहीं हुआ है, इसके पीछे क्या वजह रही है। चुनाव में शामिल जनप्रतिनिधियों में कौन राष्ट्रहितेषी है जो आगे चलकर देश हित में कार्य करेगा यह ध्यान देने योग्य विषय है।
शिवेंद्र तिवारी, भाजपा युवा मोर्चा पदाधिकारी
प्रमुख रुप से स्वरोजगार की समस्या कैसे दूर होगी, देखा जाता है कि बेरोजगारों को चलाई जा रहीं योजनाओं का लाभ उन्हें नहीं मिलता है, यह लाभ रसूखदारों को शीघ्रता से मिल जाता है। हमें यह ध्यान रखना होगा कि कौन देश की सुरक्षा करने में सक्षम है।
अखिलेश ठाकुर, भाजपा युवा नेता
केंद्र सरकार हो या फिर प्रदेश की सरकार, हमेशा से ही जिले का कोई न कोई जनप्रतिनिधि ऐसा रहा है जिसने मंत्री बनकर सरकार में अपना प्रतिनिधित्व किया, लेकिन वह क्षेत्र का प्रतिनिधित्व सिर्फ नाम के लिए ही कर सका, विकास नहीं हुआ, विशेष अवसरों पर लाभ राजनैतिक गतिविधियों में शामिल लोगों को मिला, जरुरतमंदों को यह लाभ नहीं मिला।
सुनील राय, आप जिलाध्यक्ष
लोकसभा चुनाव का समय नजदीक आ चुका है, अपना मतदान करने से पहले मतदाता को चिंतन करना होगा कि वह अपना मत किस जनप्रतिनिधि को दे रहा है, उसके द्वारा चयन किया गया जनप्रतिनिधि उन उम्मीदों को पूरा कर पाएगा जो मतदाता ने लगाईं हैं। हमारा जिला विकास से दूर है, क्यों है कौन जिम्मेदार है इस पर भी ङ्क्षचतन जरुरी है।
दीपक मिश्रा, युवा
जिले में यातायात का दबाव बढ़ता जा रहा है, जिला मुख्यालय में यातायात को नियंत्रण करने के लिए इतने वर्षों में कोई व्यवस्था नहीं की गई, शहर में एक भी चौराहे पर ट्राफिक सिग्नल नहीं लगाए गए, आखिर क्यों इस क्षेत्र में विकास आगे नहीं बढ़ा, लोगों को सड़क हादसों से बचाने के लिए कोई सार्थक प्रयास नहीं किए गए, जनप्रतिनिधियों की इस विषय पर क्या प्लानिंग है, यह जानना नितांत जरुरी है।
लकी गांगरा, व्यापारी
रेल सुविधाओं में कोई खास बढ़ोत्तरी नहीं हुई है, जिले के लोगों को जब विशेष मौकों पर धार्मिक यात्राओं के लिए जाना पड़ता है तो मरने मारने की स्थिति ट्रेनों में नजर आने लगती है, ऐसे मौकों पर ट्रेनों की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए, ऐसा नहीं होता है, हुआ यह है कि कुछ ट्रेनें बंद हो गईं। सांसद का दखल केंद्र में होता है, सही प्रतिनिधित्व ही यहां काम आता है।
इस्लाम पठान, पूर्व पार्षद
दमोह लोकसभा संसदीय क्षेत्र अंतर्गत लोगों के बीच गंभीर समस्याएं व्याप्त हैं, परिवहन की समस्या वर्षों से चली आ रही है, परिवहन को लेकर यह क्षेत्र काफी पिछड़ा है, परिवहन सुविधाओं को लेकर घोषणाएं तो हुईं लेकिन इन पर अमल नहीं हुआ। अब जो प्रतिनिधि आए व रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य के साथ साथ परिवहन सुविधाओं का ध्यान रखे और इसकी गारंटी भी दे।
लालचंद राय, समाजसेवी
शिक्षा के क्षेत्र में विकास नहीं हुआ, जो भी विकास हुए वह निजी क्षेत्रों में हुए हैं, निजी स्कूलों में फीस पर कोई नियंत्रण नहीं है, अभिभावकों से अधाधुंध फीस वसूली की जा रही है, ऐसा क्यों हो रहा है, इसका हल क्या नहीं किया गया, जनप्रतिनिधियों को इस सवालों का मतदाताओं के बीच जाकर जबाव देना होगा।
लोकेश, समाजसेवी
सांसद, विधायक बनते हुए लोगों की समस्याओं से इन्हें कोई मतलब नहीं रहता, चुनाव के पहले लोगों को बढ़ी बढ़ी उम्मीदें बंधा दी जाती हैं, और फिर कुछ कार्य नहीं किए जाते हैं। सरकार ने सांसदों को गांव गोद दिए लेकिन ऐसे गांवों की बदहाली आज भी जस की तस ही है।
शुभम तिवारी, एनएसयूआई पदाधिकारी
जनप्रतिनिधि बताएं कि वह शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा, रोजगार, के क्षेत्र में क्या काम करेंगे, लोगों को हो रहीं परेशानियों से कैसे वह मुक्ति दिलाएंगे, क्या योजना लाएंगे, जिले की पेय जल समस्या का कैसे निपटारा करेंगे, कई ट्रेनें बंद हो गईं लोगों को विशेष मौकों पर परेशानी होती है। स्वयं के विकास से परे आम लोगों के हितों को ध्यान में रखने वाले जनप्रतिनिधि क्या सोचते हैं इस पर जनप्रतिनिधियों को समझना होगा।
नितिन मिश्रा, अधिवक्ता
्रजिनके पास साइकिलें नही थीं आज वह लग्जरी गाडिय़ों में घूम रहे हैं। ऐसा नहीं कि लग्जरी गाडिय़ों में घूमने वालों ने कोई खासा परिश्रम किया हो, बल्कि राजनेताओं की चरणवंदना का परिणाम इस रुप में उन्हें मिला। अपने चहेतों का विकास तो जनप्रतिनिधियों ने कर दिया लेकिन आम लोगों को अनदेखा करते गए, ऐसे जनप्रतिनिधियों को सबक सिखाने का यह मौका है।
मुकेश सेन, व्यापारी
विकास की बात राजनैतिक पार्टियों द्वारा कही जा रहीं है, लेकिन ऐसा है तो किसान और गरीब तबके के लोग क्यों परेशान है, मध्यमवर्गीय व्यक्ति बमुश्किल से अपने परिवार का भरण पोषण कर पा रहा है, तो विकास कहां हुआ। इसके पीछे कौन जिम्मेदार है, हमने अपने चयन में जो कमी पहले रखी वह अब नहीं होने देना है।
शिवा ठाकुर, युवा
हमें दिव्यांगों का नाम तो दे दिया, लेकिन शोषण से बचाने के उपायों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है, नौकरी के अवसर दिए जाते हैं तो उनमें भी केटेगिरी बना दी गईं हैं। विशेष नाम देने से दिव्यांगों का पेट नहीं भरता है। संवैधानिक अधिकारों को सीधा लाभ मिलना चाहिए, चुनाव में यह मुद्दा हम दिव्यांगों की बीच है। इस मुद्दे पर किस जनप्रतिनिधि की क्या प्रतिक्रिया है यह जाना जाएगा।
जागेश्वर लोधी, दिव्यांग उत्थान समिति
जिले में अपराध चरम पर है, हत्याओं जैसे संगीन अपराध सामान्य बात बन गई है, पिछले एक पखवाड़ा के भीतर नौ हत्याएं हुईं, यह घटनाएं सुरक्षा व्यवस्था पर बढ़ा सवाल खड़ा करती है। लोगों की सुरक्षा को लेकर बातें बढ़ी बढ़ीं की जातीं हैं, लेकिन इन पर अमल नहीं होता है। लोग घरों में, घरों के बाहर खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं, इसके लिए कौन जिम्मेदार है।
बिनोद अबलानी, व्यापारी
चुनाव से पहले रोजगार उपलब्ध कराए जाने की लिए खूब वादे किए जाते हैं, लेकिन रोजगार उपलब्ध नहीं होते हैं, जिले का ९० फीसदी युवा शिक्षित होने के बाद भी बेरोजगारी का दंश झेल रहा है, ऐसे शिक्षित बेरोजगारों को रोजगार से लगाने के लिए कोई संसाधन जिले में नहीं है। इस क्षेत्र में किसी भी जनप्रतिनिधि द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
अरविंद अवस्थी, समाजसेवी
युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ हो रही है, सांसदों द्वारा युवाओं के उत्थान के लिए अवसर प्रदान नहीं किए गए, जिले की चारों और संसदीय क्षेत्र के सभी आठों विधानसभा क्षेत्रों में बेरोजगारी है। इसके अलावा संसदीय क्षेत्र में पानी की विकट समस्या है। आगे जो भी जनप्रतिनिधि चुनावी मैदान में है वह लोगों की प्रमुख समस्याओं के हल की बात करे और बताए कि कैसे समस्याओं का समाधान कर सकेगा।
राशू चौहान, नेता प्रतिपक्ष नपा

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