मोहर्रम पर्व पर शहर में करीब 100 से अधिक ताजिया बनाए गए थे
दमोह•Sep 22, 2018 / 11:47 am•
Rajesh Kumar Pandey
Tazia removing the Imam recalled Hussein
दमोह. मोहर्रम पर्व पर शहर में करीब 100 से अधिक ताजिया बनाए गए थे। जिन्होंने गुरु-शुक्र की दरम्यानी रात शहर गस्त की थी। इसके बाद शुक्रवार की रात्रि 9 बजे के करीब 100 ताजियों का विशाल जुलूस कर्बला की ओर रवाना हुआ जहां सभी ताजिया शुक्र-शनि की अल सुबह तक ठंडे किए जाते रहे।
दमोह शहर में सबसे पहला ताजिया गढ़ी मोहल्ला के अहमद शाह परिवार के द्वारा रखा गया था। इसके बाद ताजियों की संख्या बढ़ती गई और इस बार 100 से अधिक ताजिया निकाले गए। ताजिया इमाम हुसैन, हसन व उनके 72 परिजनों की शहादत की याद में निकाले जाते हैं। बताया जाता है कि तैमूर लंग ने ताजिया निर्माण की शुरुआत की थी। वह इराक जाते थे, जहां मझार पर जियारत करते थे। जिसमें उन्हें 6 माह जाने व 6 माह का वक्त आने में लगता था। एक बार उन्हें ख्आब आया कि मेरी मझार की अनुकृति बनाकर जियारत किया करो। पहला ताजिया तैमूर लंग ने बनाया और जियारत करने के बाद ताजिया ठंडा किया। तब से लेकर अब तक ताजिया बनाकर जियारत करने का क्रम चलता आ रहा है, जिसका निर्वहन आज भी पूरी शिद्दत के साथ मुस्लिम समाज करता आ रहा है।शहर में शिया समुदाय द्वारा भी ताजिया जुलूस निकाला गया। इस समाज के लोगों ने मातम मनाते हुए ताजिए निकाले।
पुरैना तालाब व दीवान जी की तलैया में बनाए गए कर्बला में ताजिया ठंडे करने के लिए आते रहे। ताजिया जुलूस के साथ अखाड़े भी चल रहे थे। जिनमें हैरत अंगेज कारनामे दिखा रहे थे। हटा हजरत इमाम हुसैन की शहादत की याद में मुस्लिम समाज द्वारा शुक्रवार को मोहर्रम मनाया गया। इस मौके पर परंपरागत ढंग से मातमी धुनों के बीच शहर में ताजिया जुलूस निकाल जुलूस के बाद ताजियों को मातम घाट किया गया।
मोहर्रम की नौ यानी कत्ल की रात ताजिया मदार चिल्ला स्थित मैदान में एकत्रित हुए। जहां आग का विशाल अलाव लगाया गया। जिसमे तमाम हुसैनी द्वारा सवारियां के साथ अलाव में कूदकर चाहने वालों ने अपनी आस्था व्यक्त की गई।
वही शुक्रवार की सुबह 11 बजे तीनो अखाड़ों के साथ ताजिया निकाले गए। इन ताजियों के साथ हुसैनी अखाड़ा, इमाम बाड़ा का अखाड़ा, मंसूरी अखाड़ा के बैंड बाजे के साथ नगर के सार्वजनिक स्थल मंदिर मस्जिद चौराहा, तहसील कचहरी तिराहा, बड़ा बाजार में अखाड़े में बाजार में युवाओं ने अपने हैरत अंगेज करतब दिखाए।
इस दौरान प्रतिवर्ष अनुसार भी नगर में लगभग छोटे बड़े दो दर्जन से अधिक ताजिया का निर्माण किया जाता है। ताजियों में मुख्य आकर्षण का केंद्र ***** मुस्लिम एकता की मिसाल ताजिया जो वर्षों से नीम वाले बाबा साहिब कमेटी ताजिया और कमलेश बर्मन के द्वारा बनाया गया। कौमी एकता का ताजिया रहा। जो नगर के भाईचारे और सहोदर की मिसाल है।
वही 10 मोहर्रम की रात 8 बजे मातमी जुलूस निकाला गया। शहीदाने कर्बला हजरत इमाम हुसैन को याद करते हुए ताजिया निकाले गए। जूलूस ताजिया को लेकर मंदिर मस्जिद चौराहा से बड़ा बाजार से बजरिया होते हुए मातम घाट पर विसर्जन किया गया। मदार लंगर कमेटी के बबलू खान, इकबाल बाबा, शान मुहम्मद, शकील पठान, अमजद कुरैशी, हसीम खान, शेख नफीस, अमजद खान, अनीस कुरैशी, फारुख अली, सोनू खान, जाहिद खान, रईस पठान, शेख इसरार, अस्फाक अली के द्वारा आम लंगर का इंतेजाम किया गया। वहीं पुलिस प्रशासन के द्वारा तीसरी आंख के माध्यम से मुहर्रम के चल समारोह के कार्यक्रमों पर नजर रखी गई। पुलिस द्वारा चल सामारोह में डीजे बजाने पर प्रतिबंध रखा गया।